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दो नये मरीज की हुई पहचान

दहशत. सीमांचल में बढ़ने लगी डेंगू मरीजों की संख्या सीमांचल में डेंगू मरीज की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. मंगलवार को भी सदर अस्पताल में दो नये डेंगू मरीजों को भरती कराया गया. इसमें एक अररिया जिलाव दूसरा मधेपुरा जिला का निवासी है. पूर्णिया : सदर अस्पताल में मंगलवार को डेंगू के दो नये […]

दहशत. सीमांचल में बढ़ने लगी डेंगू मरीजों की संख्या

सीमांचल में डेंगू मरीज की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. मंगलवार को भी सदर अस्पताल में दो नये डेंगू मरीजों को भरती कराया गया. इसमें एक अररिया जिलाव दूसरा मधेपुरा जिला का निवासी है.
पूर्णिया : सदर अस्पताल में मंगलवार को डेंगू के दो नये मरीजों को भरती कराया गया है. इसमें से एक अररिया जिला निवासी और दूसरा मधेपुरा जिला निवासी है. जाहिर है कि सीमांचल में डेंगू ने अपनी जगह बना ली है और इसका विस्तार लगातार होता नजर आ रहा है. खास बात यह है कि सभी डेंगू के मरीज ने इसे सौगात के रूप में परदेस से लाया है.
अब तक इस वर्ष इलाके में डेंगू के 17 मरीज मिलने की पुष्टि हो चुकी है. डेंगू की बढ़ती संख्या के मद्देनजर विभागीय तैयारी नाकाफी साबित हो रही है. ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि आने वाले दिनों में यह संख्या और भी बढ़ सकती है. इन सबके बावजूद विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है.
पटना व हरियाणा से लौटे हैं दोनों
सोमवार की शाम अररिया जिले के जोकीहाट प्रखंड के मोहद्दीपुर गांव निवासी मो महबूब आलम के पुत्र आइकॉम के छात्र मो मशरुफ कौशर डेंगू पॉजिटीव पाया गया. सदर अस्प्ताल के डेंगू वार्ड में उसका इलाज किया रहा है. चिकित्सकों के अनुसार उसकी प्लेटलेट्स संख्या घटकर 98 हजार हो गयी है. मशरुफ रजा ने बताया कि वह पटना में रह कर पढ़ाई करता है.
पटना से घर लौटने के बाद उसे बुखार हुआ. वहीं दूसरा मरीज मधेपुरा जिले के बिहारीगंज प्रखंड के सरौनी बलुआ गांव निवासी मजदूर सत्यनारायण मंडल है. वह एक माह पूर्व हरियाणा के गेरावर गांव धान काटने गया था और पांच दिन पूर्व ही घर लौटा था. उसे पेट दर्द और दस्त के साथ बुखार की शिकायत होने लगी. बिहारीगंज में इलाज कराया. जहां डॉक्टरों ने उसे डेंगू पॉजिटिव बताया. उसका भी इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है. इससे पूर्व शनिवार को भी एक निजी नर्सिंग होम में डेंगू से पॉजिटिव दो मरीज मिले थे. इसमें अररिया जिले के रानीगंज निवासी दिलीप कुमार मंडल व कटिहार जिले के विनोदपुर निवासी जैनब खातून डेंगू पॉजिटिव पायी गयी थी. इस प्रकार कोसी एवं सीमांचल क्षेत्र में कुल 17 मरीज तक मिले हैं.
डेंगू का सॉफ्ट टारगेट बना सीमांचल
सामाजिक व आर्थिक पिछड़ेपन के कारण इस इलाके के अधिकांश लोग रोजगार व उच्चतर शिक्षा के लिए अन्य राज्यों में जाते हैं. जहां से वह डेंगू को बतौर सौगात में ले कर आते हैं. डेंगू में बुखार होने पर लोग जागरूकता के अभाव के कारण सामान्य बुखार मान कर नजर अंदाज कर देते हैं. इससे लोग डेंगू की आक्रामकता के शिकार बन जाते हैं. सबसे बड़ी बात है कि कोसी व सीमांचल के किसी भी सदर अस्पताल में डेंगू के इलाज की मुक्कमल व्यवस्था नहीं होने से के कारण पूर्णिया के सदर अस्पताल का डेंगू वार्ड ही मरीजों की एक मात्र उम्मीद है, लेकिन इस जोन का सबसे बड़ा अस्पताल होने के नाते यहां भी व्यवस्था के नाम पर महज खानापूर्ति ही की जाती है.
प्लेटलेट्स की नहीं है व्यवस्था
सदर अस्पताल के डेंगू वार्ड में इलाज की तमाम सुविधा उपलब्ध है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि डेंगू प्रभावित मरीजों को प्लेटलेट्स की आवश्यकता होती है,जो सदर अस्पताल में उपलब्ध नहीं है. लिहाजा यहां के मरीजों को प्लेटलेट्स के लिए अन्य मेडिकल कॉलेजों में रेफर कर दिया जाता है. ऐसे में यहां डेंगू वार्ड का होना या न होना कोई मायने नहीं रखता है. भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी में ब्लड सेपरेटर लगना है, लेकिन विभागीय हील-हवाली के कारण ब्लड सेपरेटर का कार्य वर्षों से लंबित है. इसका खामियाजा यहां के गरीब मरीजों को भुगतना पड़ता है.

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