मोर्चरी सह पोस्टमार्टम घर का निर्माण के बाद रंग रोगन भी हो चुका है. इसमें सिर्फ उपकरण लगाना बांकी है. विभागीय उदासीनता के कारण इसमें अब तक कोई उपकरण नहीं लग पाया है.
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सदर अस्पताल का मुरदा घर बना जीवित लोगों का आशियाना
मोर्चरी सह पोस्टमार्टम घर का निर्माण के बाद रंग रोगन भी हो चुका है. इसमें सिर्फ उपकरण लगाना बांकी है. विभागीय उदासीनता के कारण इसमें अब तक कोई उपकरण नहीं लग पाया है. पूर्णिया : सदर अस्पताल में मुरदा के लिए कोई जगह नहीं है. आपातकालीन मौत में मुर्दों को बिना शिनाख्त किये ही रफा […]
पूर्णिया : सदर अस्पताल में मुरदा के लिए कोई जगह नहीं है. आपातकालीन मौत में मुर्दों को बिना शिनाख्त किये ही रफा दफा कर दिया जाता है. हालांकि सदर अस्पताल में लाखों की लागत से मुर्दाघर बनाया जा चुका है, लेकिन वहां मुर्दों को नहीं रख कर जिंदा लोगों को रखा जाता है. ऐसे में अज्ञात मुर्दों की शिनाख्त के लिए सहेज कर रख पाना मुश्किल काम हो गया है. ऐसे में मुर्दा घर का चालू नहीं होना कई सवाल छोड़ रहे हैं.
मुरदा घर बन कर तैयार
पटना हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में सदर अस्पताल में नया मोर्चरी एवं पोस्टमार्टम घर बन कर तैयार किया जा चुका है. इसमें उपकरण लगना अभी बांकी है. विभागीय निर्देशानुसार यह पोस्टमार्टम घर फोरेंसिक लैब, एक्स रे, लैब टेक्निशियन सुविधा आदि से सुसज्जित रहेगा. मोर्चरी सह पोस्टमार्टम घर निर्माण के बाद रंग रोगन भी हो चुका है. इसमें सिर्फ उपकरण लगाना बांकी है. विभागीय उदासीनता के कारण इसमें अब तक कोई उपकरण नहीं लग पाया है. इस समय यह भवन अस्पताल के सुरक्षा गार्डों का रैन बसेरा बना हुआ है. जानकार बताते हैं कि इस मुर्दाघर में विभागीय इच्छाशक्ति के कारण इस मुर्दा घर का संचालन शुरू नहीं हो पाया है.
वार्डों में सड़ते हैं मुरदे
आपातकाल स्थिति के मुर्दे या फिर अज्ञात मुर्दे अस्पताल के विभिन्न वार्डों में ही पड़े रहते हैं. मुर्दों पर मक्खियां तो भिनभिनाते ही हैं. साथ ही मुर्दों के सड़ांध से वहां मौजूद मरीजों व स्वास्थ्य कर्मियों का भी बुरा हाल हो जाता है. ऐसे में जब लाशों से काफी बदबू आने लगती है तो अस्पताल प्रशासन द्वारा बिना शिनाख्त के अंतिम संस्कार करा दिये जाते हैं. बाद में जब मृतक के परिजन लाश लेने आते है तो उसे निराशा हाथ आती है. इसके कई उदाहरण भी हैं. अस्पताल में मुर्दा को ले कर भागने वाले गिरोह भी सक्रिय हैं. जो आपराधिक मामलों के मृतकों के शव को सहजता से उड़ा ले जाते हैं. जिससे अपराधी बाल बाल बच जाते हैं.
हाइकोर्ट के निर्देश की अनदेखी
वर्ष 2014 में जमुई की फरीदा परवीन की ओर से जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को प्रदेश के सभी जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम घर बनाने का निर्देश दिया था. दरअसल श्रीमती परवीन की ओर से बदहाल पोस्टमार्टम घर के बाबत याचिका दायर की थी. इसमें कहा गया था कि अमानवीय परिस्थिति में शव का पोस्टमार्टम हो रहा है. उसके बाद ही राज्य सरकार की ओर से जिलों में नये पोस्टमार्टम घर व मुर्दाघर बनाने की कवायद शुरू हुई.पूर्णिया में तो न्यायालय के आदेश के आलोक में दोनो भवन बन कर तैयार भी हो चुका है.लेकिन इसका काम में न आना एक नहीं कई सवालों को जन्म दे रहा है.
दिलायी जायेगी कड़ी सजा
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