पूर्णिया : केंद्र सरकार की ओर से 500 व 1000 के नोट पर पाबंदी क्या लगायी गयी, मजदूरों की दिन-दुनिया ही बदल गयी. अमूमन मजदूरों को वाजिब मजदूरी के लिए भी जद्दोजेहद करनी पड़ती थी, लेकिन आज कल मालिक मेहरबान हैं तो मजदूर साहूकार बन गये हैं. अन्य दिनों जिन्हें बमुश्किल 300 रुपये तक की […]
पूर्णिया : केंद्र सरकार की ओर से 500 व 1000 के नोट पर पाबंदी क्या लगायी गयी, मजदूरों की दिन-दुनिया ही बदल गयी. अमूमन मजदूरों को वाजिब मजदूरी के लिए भी जद्दोजेहद करनी पड़ती थी, लेकिन आज कल मालिक मेहरबान हैं तो मजदूर साहूकार बन गये हैं. अन्य दिनों जिन्हें बमुश्किल 300 रुपये तक की मजदूरी मिलती थी,
उन्हें 500 तक की मजदूरी मालिकों की ओर से दी जा रही है. खास बात यह है कि पहले आठ घंटे काम करना पड़ता था और अब मुश्किल से 04 से 05 घंटे तक ही काम करना पड़ता है. काम का स्थान और तरीका भी बदल चुका है. हाड़-तोड़ मेहनत करने की बजाय अब उन्हें बैंकों में लाइन में खड़ा रहना पड़ता है. मतलब यह कि मजदूर अब कालाधन सफेद करने का जरिया बन कर तेजी से उभर रहे हैं. इन मजदूरों को रुपये एक्सचेंज करने के लिए बैंकों में खड़ा आसानी से देखा जा सकता है. वहीं दूसरी ओर बाजार से मजदूर अचानक गायब हो गये हैं.
अनपढ़-गरीब पर रहती नजर
शातिर दिमाग वालों के इस खेल में हर रोज हजारों मजदूर इनके खेल का शिकार हो रहे हैं. दरअसल बाजारों में इन दिनों कारोबार शिथिल है. बड़े नोटों के चलन बंद होने से ठप पड़े कारोबारी बाजार में मजदूरों को काम मिलना बंद है. जिसका फायदा कालेधन को सफेद करने में लगे शातिर दिमाग लोग उठा रहे हैं. जानकारी के अनुसार इन लोगों की ओर से मजदूरों के दो-दो-तीन-तीन आइडी का प्रयोग करा कर वे अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं.
चल पड़ा है बट्टे का खेल
मजदूरों के कंधे पर सवार बट्टे के कारोबारी बाजारों में 20 से 30 फीसदी का खेल खेल कर मोटी रकम की उगाही कर रहे हैं. 500 रुपये पर बहाल मजदूरों की ओर से लाये गये 04 हजार रुपये बाजार में 06 हजार में बदले जा रहे हैं. बड़ी बात तो यह है कि बाजार में कालाधन सफेद करने वाले मजदूरों के सहारे बैंकों से हर रोज हजारों बदल कर मोटी कमाई के साथ कालाधन भी सफेद कर रहे हैं. बैंकों के अंदर और बाहर तथा एटीएम में जिस तरह भीड़ बढ़ रही है, लोग परेशानी से निजात पाने के लिए बट्टे के खिलाड़ी के शरण में जाना मुनासिब समझ रहे हैं.
काले कारोबार का मजदूर हो रहे हैं शिकार
कालाधन को सफेद बनाने वालों से लेकर बट्टा के खेल से जुड़े लोग इस खेल को अंजाम दे रहे हैं. इन लोगों की ओर से मजदूरों को पहचान पत्र के साथ मालिकों की ओर से काम पर बुलाया जा रहा है और घर तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में काम लेने की बजाय 500 और 1000 के नोट देकर बैंकों में भेजा जा रहा है.
सुबह से 12 बजे व 02 बजे तक चार हजार रुपये एक्सचेंज कराने की कवायद में जुटे इन मजदूरों को मजदूरी के एवज में 300 के बदले 500 रुपये मिल रहा है. यह अलग बात है कि ये मजदूर काले धंधेबाजों के शिकार हो रहे हैं, लेकिन 300 रुपये की जगह 500 रुपये पाकर बहरहाल ऐसे मजदूर खुश नजर आ रहे हैं.