दालकोला चेकपोस्ट. परिवहन से लेकर सेल्स टैक्स के नियमों की उड़ती हैं धज्जियां
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हर माह सरकार को करोड़ों का चूना
दालकोला चेकपोस्ट. परिवहन से लेकर सेल्स टैक्स के नियमों की उड़ती हैं धज्जियां दालकोला चेकपोस्ट से राज्य सरकार को हर माह करोड़ों के राजस्व का चूना लग रहा है. इतना ही नहीं यहां अवैध इंट्री का कारोबार भी जम कर अिधकािरयों की िमलीभगत से हो रहा है. प्रशासन इस िदशा में मूकदर्शक बना हुआ है. […]
दालकोला चेकपोस्ट से राज्य सरकार को हर माह करोड़ों के राजस्व का चूना लग रहा है. इतना ही नहीं यहां अवैध इंट्री का कारोबार भी जम कर अिधकािरयों की िमलीभगत से हो रहा है. प्रशासन इस िदशा में मूकदर्शक बना हुआ है.
पूर्णिया : बायसी प्रखंड के दालकोला चेकपोस्ट से अवैध इंट्री का कारोबार अधिकारियों की मिलीभगत से होता है और इसके कारण राज्य सरकार को हर माह करोड़ों रुपये के राजस्व का चूना लग रहा है. सबसे अधिक चोरी लोडिंग के मामले को लेकर होती है. यहां क्षमता और परमिट के विरुद्ध वाहनों से तीन गुणा अधिक वजन तक का माल ढ़ोया जाता है.
यही कारण है कि अक्सर यहां दुर्घटनाएं भी होती रहती है. वहीं प्रशासन इस दिशा में खामोश बना हुआ है. इतना ही नहीं चेकपोस्ट पर तैनात लगभग सभी सरकारी कर्मी भी यहां बिचौलिये की भूमिका में होते हैं. हर अवैध इंट्री पर उनका और संबंधित विभाग के अधिकारी का फिक्स कमीशन होता है.
सरकारी कर्मचारी ही
बने हैं बिचौलिया
चेकपोस्ट पर तैनात लगभग सभी सरकारी कर्मी भी यहां बिचौलिये की ही भूमिका में होते हैं. इसमें डाटा इंट्री ऑपरेटर, होमगार्ड जवान व अन्य कर्मी से लेकर एसआइएस के गार्ड तक शामिल हैं. चेकपोस्ट के आसपास सक्रिय इंट्री माफिया व तस्करों के बावजूद ये कर्मी बिचौलियागिरी करते हैं.
इन कर्मियों ने बिचौलियागिरी के माध्यम से अच्छी-खासी संपत्ति अर्जित कर लिया है. दिलचस्प यह है कि यहां पोस्टिंग कराने के लिए ये कर्मी संबंधित विभागीय अधिकारी को मोटी रकम भी चुकाने के लिए तैयार रहते हैं. सूत्र बताते हैं कि यहां एक बार जिस कर्मी ने ड्यूटी कर ली, दोबारा जिले के किसी अन्य हिस्से में ड्यूटी करना नहीं चाहता है. क्योंकि चेकपोस्ट पर जितनी काली कमाई होती है, उतनी कमाई कहीं और नहीं है.
सेल्स टैक्स की होती है व्यापक पैमाने पर चोरी
दालकोला चेकपोस्ट पर अवैध इंट्री हो या तस्करी हर काला कारोबार अधिकारियों की मिलीभगत से होता है. यहां सबसे अधिक चोरी सेल्स टैक्स की होती है. सूत्र बताते हैं कि चेकपोस्ट से होने वाले हर वाहनों की इंट्री में अकेले सेल्स टैक्स का यहां प्रति माह 60 से 70 लाख रुपये की चोरी होती है. चेकपोस्ट से गुजरने वाले अधिकतर वाहनों से यहां टैक्स वसूला ही नहीं जाता है. वहीं जिनसे टैक्स की वसूली होती है, वह भी अपेक्षाकृत न के बराबर होती है.
इसके अलावा अन्य प्रकार के कई टैक्स की भी वसूली न के बराबर ही होती है. हालांकि टैक्स चोरी के किसी भी मामले में अधिकारियों की सीधी भागिदारी नहीं होती है. अधिकारी पर्दे के पीछे होते हैं. वही उनके नाम की वसूली बिचौलियों का गिरोह व चेकपोस्ट पर तैनात कर्मी करते हैं. इस अवैध वसूली का हिसाब विभाग के राजस्व के अनुसार होता है. कुछ विभाग से जुड़े हिसाब प्रतिदिन किये जाते हैं. जबकि अधिकतर हिसाब साप्ताहिक होता है. सूत्रों का यहां तक दावा है कि यह हिसाब बंगाल के दालकोला में किशनगंज रोड स्थित एक चर्चित होटल के कमरे में होती है.
बड़े पैमाने पर होता है ट्रैक्टर का अवैध इस्तेमाल
दालकोला चेकपोस्ट पर धड़ल्ले से चल रहे ओवरलोड ट्रक.
दालकोला चेकपोस्ट पर बड़े पैमाने पर ट्रैक्टर की इंट्री में गड़बड़ी व्याप्त है. दरअसल इन ट्रैक्टरों को अधिकतम 05 टन तक माल ढ़ोने का परमिट परिवहन विभाग द्वारा दिया जाता है. वही इससे अधिक वजन होने पर जुर्माना का भी प्रावधान है. साथ ही ढुलाई किये जा रहे माल की ऊंचाई भी डाला की ऊंचाई से अधिक होने पर भी विभाग द्वारा जुर्माना किया जाना है. जबकि जुर्माने के बावजूद सुधार नहीं करने पर संबंधित ट्रैक्टर के चालक व मालिक के विरुद्ध जुर्माना सहित जेल की सजा भी हो सकती है. लेकिन इस परिवहन नियम का चेकपोस्ट पर धड़ल्ले से उल्लंघन किया जाता है. चेकपोस्ट से गुजरने वाले सभी ट्रैक्टर ऊंचाई और वजन दोनों के मामले में प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं, बावजूद विभाग न तो जुर्माना वसूलती है और न ही इस दिशा में पहल की जा रही है.
परमिट से तीन गुना तक वजन ढ़ोता है ट्रैक्टर का डाला
चेकपोस्ट से गुजरने वाला हर ट्रैक्टर परिवहन निमयों की धज्जियां उड़ाता है. सामान्य तौर पर बाजार में ट्रैक्टर के ट्रेलर तीन अलग-अलग मॉडल में उपलब्ध हैं. इनमें से सबसे अधिक क्षमता 05 टन है, जिसका परमिट परिवहन विभाग देती है. लेकिन प्रत्येक ट्रेलर में यहां 14 से 18 टन तक माल चेकपोस्ट के पार कराया जाता है. इसमें दिलचस्प यह है कि इन ट्रैक्टरों के मालिक भी गिने-चुने लोग हैं, जिनकी स्थानीय अधिकारी अथवा कर्मी से अच्छी सांठ-गांठ होती है. वही बिना पहचान के ट्रैक्टर को इंट्री की अनुमति नहीं होती है. चेकपोस्ट के पार लगने वाले वैसे ट्रक, जिन्हें केवल पूर्णिया अथवा आसपास के इलाके में माल पहुंचाना होता है, उनसे माल अनलोड कर ये ट्रैक्टर चेकपोस्ट पार कराते हैं. इस प्रकार हर ट्रेलर पर दो तिहाई टैक्स की बचत होती है. इसमें सबसे अधिक बचत सेल्स टैक्स की होती है.
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