पूर्णिया : सोमवार की घटना के बाद जिला का सरकारी स्वास्थ्य महकमा एक बार फिर सवालों के घेरे में है. साथ ही संदेह के दायरे में है, मातृत्व मृत्यु दर पर नियंत्रण की कवायद. दरअसल यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि प्रसव के लिए महिला को जहां ले जाया गया था, वह एक सरकारी चिकित्सक का निजी क्लिनिक था.
इतना ही नहीं डा भीम लाल जलालगढ़ प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी हैं. ऐसे में आखिर एक सरकारी चिकित्सक द्वारा इतनी बड़ी लापरवाही किन परिस्थितियों में बरती गयी, यह एक बड़ा सवाल है. सूत्र बताते हैं कि इस प्रकार की डिलेवरी का मामला डा लाल के लिए कोई नया नहीं है. दरअसल डा लाल जब भी अपनी सरकारी ड्यूटी पर होते हैं, रंजू प्रिया नामक महिला ही प्रसूताओं का प्रसव कराती है. कभी-कभार तो डॉक्टर की उपस्थिति में भी डिलेवरी का सारा काम रंजू ही करती है. जबकि वह न तो इस कार्य के लिए प्रशिक्षित है और न ही उसके पास प्रमाणपत्र है.
न डिग्री, न अनुभव, फिर भी कराती है महिलाओं का प्रसव : लाइन बाजार स्थित पोस्टमार्टम रोड में यूं तो कहने को जलालगढ़ के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा भीम लाल का निजी क्लिनिक अवस्थित है. लेकिन क्लिनिक संचालन की लगभग सभी जिम्मेवारी रंजू प्रिया की ही होती है. हैरत की बात यह है कि उक्त महिला के पास क्लिनिकल प्रैक्टिस अथवा इससे जुड़ा कोई भी डिग्री उपलब्ध नहीं है. यहां तक कि वह फर्जी डिग्रीधारी की श्रेणी में भी नहीं आती है.
जबकि महीने में रंजू द्वारा न्यूनतम 20 से 25 डिलेवरी करायी जाती है. सूत्र बताते हैं कि डा लाल के क्लिनिक पर कार्य करने से पूर्व रंजू का इस क्षेत्र में कोई अनुभव भी नहीं रहा है. अवैध तरीके से इस प्रकार की प्रैक्टिस के मामले में वह पूर्व में जेल भी जा चुकी है. हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
अप्रशिक्षित महिलाएं धड़ल्ले से कराती है प्रसव : जिला ही नहीं संपूर्ण देश में मातृत्व मृत्यु दर का रिकॉर्ड काफी बुरा रहा है. जिसकी मूल वजह अप्रशिक्षित दाई द्वारा प्रसव कराना बताया जाता है. यही कारण है कि केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार इस दिशा में जागरुकता लाने के लिए करोड़ों रुपये का विज्ञापन प्रचारित और प्रसारित करती है. साथ ही कई जागरुकता कार्यक्रम भी चलाये जाते हैं. इसका मूल उद्देश्य लोगों को जागरुक कर ऐसे प्रसव से बचाने की होती है.
इस दौरान थोड़ी सी भी चूक प्रसूता और उसके बच्चे दोनों की जान ले सकती है. लेकिन जिले में फिलहाल इस विज्ञापन व जागरुकता कार्यक्रम का असर शायद सरकारी डॉक्टरों पर भी नहीं पड़ रहा है. शायद यही कारण है कि डगरुआ के सोरहा निवासी नीलम देवी हो या इसी प्रकार की अन्य महिलाएं, उनका प्रसव एक अप्रशिक्षित महिला के माध्यम से करा दिया जाता है या कराने का प्रयास होता है.
मानकविहीन हैं अधिकांश ऐसे क्लिनिक
कहने को डा भीम लाल पोस्टमार्टम रोड स्थित अपने निजी क्लिनिक में कई प्रसूताओं की डिलेवरी करा चुके हैं. लेकिन जिस भवन में उनका क्लिनिक संचालित होता है, उसकी स्थिति किसी लॉज से भी बदतर है. भवन में दो कमरों के बीच इतनी जगह भी नहीं है कि इसमें दो व्यक्ति एक साथ सीधा हो कर अंदर तक प्रवेश कर सके. जबकि डॉ लाल का कार्यालय भवन के आखिरी मुहाने पर है. भवन में अन्य मूलभूत सुविधाओं का भी घोर अभाव है.
ऐसे में किसी आपात स्थिति में यहां से बाहर निकला भी मुश्किल है. जबकि क्लिनिकल एक्ट के मुताबिक किसी भी क्लिनिक में पर्याप्त रोशनी, खुली जगह, पेयजल, शौचालय आदि की अनिवार्य रूप से व्यवस्था होनी चाहिए. इसके अलावा अग्नि सुरक्षा के मानकों का भी भवन में पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए. जाहिर है एक सरकारी चिकित्सक होने के नाते डॉ लाल को भी प्रावधानों की जानकारी होगी. बावजूद इसका उल्लंघन किया जाना, प्रशासनिक चूक को दर्शाता है. कुछ ऐसी ही हालत शहर के कई अन्य क्लिनिक की भी है, जहां न्यूनतम सुविधा भी उपलब्ध नहीं है और तमाम तरह के उपचार किये जा रहे हैं.
जान से खिलवाड़
सोमवार की घटना के बाद उठ रहे हैं सवाल
सरकारी चिकित्सक ही दे रहे हैं अवैध प्रसव को संरक्षण !
जांच के बाद दोिषयों पर होगी कार्रवाई
रोजाना इस प्रकार के हजारों मामले आते हैं. सभी की जानकारी रखना संभव नहीं है. बावजूद अगर ऐसा हुआ है तो मामले की जांच की जायेगी. इसके उपरांत विधि सम्मत कार्रवाई की जायेगी.
डा एमएम वसीम, सिविल सर्जन, पूर्णिया