नगर निगम . चार वर्षों से खंडहर बना पड़ा है 69 लाख से बना मुक्तिधाम
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एक भी शव को नहीं मिली मुक्ति
नगर निगम . चार वर्षों से खंडहर बना पड़ा है 69 लाख से बना मुक्तिधाम सौरा नदी के किनारे 69 लाख रुपये की लागत से हाइटेक सुविधा से युक्त शवदाह गृह बनाया गया था. लेिकन पिछले चार वर्षों में यहां एक भी शव नहीं जला और न ही किसी ने इसकी परवाह की. पूर्णिया : […]
सौरा नदी के किनारे 69 लाख रुपये की लागत से हाइटेक सुविधा से युक्त शवदाह गृह बनाया गया था. लेिकन पिछले चार वर्षों में यहां एक भी शव नहीं जला और न ही किसी ने इसकी परवाह की.
पूर्णिया : सौरा नदी के किनारे खंडहरनुमा खड़ा मुक्ति धाम नगर निगम की उदासीनता और लापरवाही की कहानी बयां कर रहा है. 69 लाख रुपये की लागत से हाइटेक सुविधा के साथ बना मुक्ति धाम (शवदाह गृह) सफेद हाथी बन कर रह गया है. देख-रेख और चालू होने के राह में इतने पेच फंसे कि मुक्ति धाम के कुछ हिस्से को सौरा नदी निगल गयी तो बांकी रही-सही कसर चोरों ने पूरी कर दी. हद तो इस बात की है कि वर्ष 2012 में तत्कालीन प्रभारी मंत्री द्वारा बड़ी तामझाम के साथ मुक्ति धाम के उद्घाटन के बाद केवल खानापूर्ति ही हुई.
यह कैसे आरंभ हो और कैसे लोग लाभान्वित हो सके, इसकी सुधि नहीं ली गयी. स्थिति यह हो गयी कि 69 लाख से बना मुक्ति धाम नदी के किनारे खंडहर बन कर खड़ा है. चार वर्षों में न कोई शव जला और न ही किसी ने इसकी परवाह की है.
69 लाख हुआ निर्माण में खर्च
वर्ष 2012 में बन कर तैयार मुक्ति धाम का निर्माण कार्य 43 लाख की राशि खर्च कर की गयी थी. उसके बाद इसे सुरक्षित एवं सुविधा युक्त बनाने के लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने 26 लाख रुपये खर्च कर शौचालय, शेड, शवदाह के लिए छह प्लेटफॉर्म, रैन बसेरा, दो दुकान एवं सोलर लाइट से बिजली की व्यवस्था की थी. लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण इसका कोई लाभ शहरवासियों को नहीं मिल पाया. विडंबना यह है कि पास ही नदी किनारे शव को जलाया जाता है और मुक्ति धाम की कोई उपयोगिता नजर नहीं आती है.
हर स्तर पर लापरवाही
विभागीय लापरवाही का आलम यह रहा कि 69 लाख रुपये खर्च करने के बाद भी पीएचइडी ने मुक्ति धाम को निगम को हस्तांतरित कर पल्ला झाड़ लिया. उसके बाद निगम के स्तर पर मुक्ति धाम की कभी सुध नहीं ली गयी. वहीं नगर निगम टेंडर के बहाने खुद में व्यस्त रहा. स्थानीय लोग बताते हैं कि एप्रोच पथ नहीं बनना भी बड़ा कारण रहा. इन सब बातों के अलावा वर्ष 2015 में निगम के बोर्ड एवं स्थायी समिति की बैठक में मुक्ति धाम की चर्चा तो हुई, लेकिन इसे संवारने एवं चालू करने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई. जाहिर है मुक्ति धाम को किसी उद्धारक की तलाश है.
टेंडर का पेच निगल गया मुक्तिधाम को
उपलब्ध जानकारी अनुसार कुल 69 लाख की लागत से बन कर तैयार मुक्ति धाम के उद्घाटन के उपरांत लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने मुक्ति धाम को नगर निगम को सौंप दिया था, जिसके बाद निगम द्वारा टेंडर निकाला गया था. लेकिन न तो किसी ने टेंडर डाला और न ही निगम द्वारा पुन: कोई प्रयास ही किया गया. इतना ही नहीं निगम द्वारा उक्त मुक्ति धाम की सुरक्षा को लेकर भी कोई पहल नहीं की गयी.
नतीजा यह हुआ कि चोरों की नजर से मुक्ति धाम बच नहीं सका. लापरवाही का अंजाम यह हुआ कि खाली पड़े मुक्ति धाम में लगे सोलर लाइट, वेपर, लोहे के सामान आदि को चोरों ने उड़ाना शुरू कर दिया. हालांकि इस सूचना के बाद सदर थाने में एक मामला दर्ज भी हुआ, लेकिन उसके बाद भी नगर निगम की नींद नहीं खुली और हाल यह हुआ कि मुक्ति धाम में लगी खिड़की और गेट तक चोर उड़ा ले गये और देखते ही देखते मुक्ति धाम खंडहर में तब्दील हो गया.
पुराने शवदाह गृह का ही कराया गया है जीर्णोद्धार
सौरा नदी की स्थिति को देखते हुए अब पुराने शवदाह गृह का ही जीर्णोद्धार कराया गया है. वहां रोशनी की व्यवस्था की गयी है. लिहाजा अब यहीं मुक्ति धाम के बदले शवदाह की प्रक्रिया पूरी की जाती है.
सुरेश चौधरी, आयुक्त, नगर निगम, पूर्णिया
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