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दिग्गी टोला में शव के पास विलाप करते परिजन. जिला हिंदुओं से विश्वनाथ व मुसलमानों से अल्लाह के नाम पर ठगी पूर्णिया : कोसी और सीमांचल के अलग-अलग जिले में काशी विश्वनाथ और अल्लाह के नाम पर ठगी करने वालों की एक टीम तीन दिन पहले पहुंची है. इसमें किशोरवय के लड़के खुद को लाचार […]

दिग्गी टोला में शव के पास विलाप करते परिजन.

जिला हिंदुओं से विश्वनाथ व मुसलमानों से अल्लाह के नाम पर ठगी
पूर्णिया : कोसी और सीमांचल के अलग-अलग जिले में काशी विश्वनाथ और अल्लाह के नाम पर ठगी करने वालों की एक टीम तीन दिन पहले पहुंची है. इसमें किशोरवय के लड़के खुद को लाचार बता कर ईश्वर और अल्लाह के नाम पर ठगी को अंजाम दे रहे हैं. खास बात यह है कि दल में शामिल किशोर खासतौर पर इसके लिए प्रशिक्षित किया जाता है. वह स्वयं का जीभ कटा होने का हवाला देते हुए सामने वाली की नजर में दया का पात्र बन जाता है और अच्छी-खासी रकम वसूल कर लेता है. इस प्रकार एक दिन में 500 से 01 हजार रूपये तक की आसानी से कमाई कर लेता है.
चूंकि ठगी करने वाला किशोर खुद को गूंगा बताता है, इसलिए अपनी बात रखने के लिए उसने हिंदू और मुसलमानों के लिए अलग-अलग कार्ड छपा रखा है. इस कार्ड को पढ़ने के बाद धार्मिक भावना को जगा कर रूपये ऐंठा जाता है. प्रभात खबर की टीम ने जब लगातार निगरानी के बाद उक्त किशोर से हकीकत जानना चाहा तो पहले तो उसने गूंगा होने का नाटक किया और बाद में उसने अपनी सच्चाई स्वीकार कर ली.
हिंदू और मुसलमानों के लिए अलग-अलग कार्ड : गिरोह के सदस्य के पास जो कार्ड है, वह हिंदू और मुसलमानों के लिए अलग-अलग है. हिंदूओं से निवेदन किया गया है तो मुसलमानों से दरख्वास्त की गयी है. हिंदूओं के लिए बने कार्ड में किशोर को ब्राह्मण जाति का और काशी का रहने वाला है, जिसमें कहा गया है कि इस व्यक्ति को जीभ नहीं है. इतना ही नहीं इसकी चार बहन और तीन भाई हैं, जिनके जीभ नहीं हैं. माता-पिता दोनों का देहांत हो चुका है. अंत में यह कहा गया है कि 50,100, 200 और 500 रूपये देंगे तो काशी विश्वनाथ आपका कल्याण करेगा. वहीं मुसलमानों के बने कार्ड में बताया गया है कि व्यक्ति अजमेर का रहने वाला है और मुसलमान है. इसकी पांच बहनें और दो भाई है और सभी को जीभ नहीं है. अल्लाह के इख्तियार में इन्हें मदद करें और दूसरे से भी मदद दिलाएं. साथ ही सलाह दी गयी है कि इस कार्ड को पढ़ने के बाद वापस कर दें.
महीनों देते हैं प्रशिक्षण
श्याम ने बताया कि उन्हें उनके आका द्वारा जीभ कटा दिखाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. बताया कि जीभ को दोनों तरफ फैलाने से वह छोटा हो जाता है और सामने से कटा हुआ दिखने लगता है. लोगों से बात नहीं करना और इशारे में बात कहना जैसे प्रशिक्षण भी दिये जाते हैं. इस तरह का प्रशिक्षण चितौड़गढ़ में स्थित उस प्रशिक्षण केंद्र में दर्जनों बच्चों को दिया जाता है. इसके अलावा भीख मांगने की भी ट्रेनिंग वहां दी जाती है. प्रशिक्षण प्राप्त बच्चों के परिजन भी इस कार्य में सक्रिय रहते हैं. तय करार के अनुसार कमाई की एक निश्चित राशि प्रशिक्षण देने वाले आकाओं को भी देनी होती है.
हिंदुअों को अलग व मुसलमानों को दिखाता है अलग कार्ड
जीभ कटा दिखाने की कला.
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में है मुख्य केंद्र
बड़ी मुश्किल से ठग गिरोह के सदस्य श्याम ने माना कि वह बोल सकता है. उसने कहा कि उसके जीभ कटे नहीं है और न ही वह गूंगा व बहरा है. बस कार्ड देखने के बाद लोग आसानी से 50 से 100 रूपये दे देते हैं. उसने बताया कि वह चितौड़गढ़ (राजस्थान) का रहने वाला है. उसके पिता गब्बर दास की मृत्यु हो चुकी है और मां चंद्रवती चितौड़गढ़ में ही रहती है. वह दो दिन पहले ही पूर्णिया पहुंचा है और उसका कोई स्थायी ठिकाना नहीं है. उसके साथ उसकी बहन गब्बो व बहनोई भी साथ आया है. बहनोई सजावट का फूल घूम-घूम कर बेचता है. कहा कि यहां से वसूली के बाद वह दूसरे शहर के लिए प्रस्थान कर जायेगा.

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