काला कारोबार. मानकविहीन पैथोलॉजी ने फिर पसारा पांव
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कारोबार के पीछे हैं कई सफेदपोश, लुट रहे मरीज
काला कारोबार. मानकविहीन पैथोलॉजी ने फिर पसारा पांव वर्ष 2014 में मानकविहीन पैथोलॉजी पर नकेल कसने के इरादे से स्वास्थ्य विभाग ने टीम गठित कर 24 पैथोलॉजी सेंटरों को सील किया था. विभागीय कार्रवाई के कुछ ही दिन बाद सील किये गये तमाम पैथोलॉजी सेंटर बारी-बारी से पुन: अस्तित्व में आ गये और धंधा चल […]
वर्ष 2014 में मानकविहीन पैथोलॉजी पर नकेल कसने के इरादे से स्वास्थ्य विभाग ने टीम गठित कर 24 पैथोलॉजी सेंटरों को सील किया था. विभागीय कार्रवाई के कुछ ही दिन बाद सील किये गये तमाम पैथोलॉजी सेंटर बारी-बारी से पुन: अस्तित्व में आ गये और धंधा चल निकला.
पूर्णिया : लाइन बाजार में मानकविहीन पैथोलॉजी का धंधा एक बार फिर परवार चढ़ने लगा है. होटलों, ढाबों, लॉजों एवं दवा दुकान में धड़ल्ले से पैथोलॉजी सेंटर चलाया जा रहा है. सड़क छाप लोगों द्वारा संचालित इन पैथोलॉजी में गरीबों की जेब की सेंधमारी की जा रही है. विभाग की कार्रवाई के बाद कुछ दिनों के लिए इस काले धंधे पर विराम लग जाता है, किंतु विभाग के शिथिल पड़ते ही यह धंधा एक बार फिर परवान चढ़ने लगता है. विभाग के द्वारा पैथोलॉजी के धंधेबाजों पर अंकुश लगाने की दिशा में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है.
तकनीशियन देते हैं रिपोर्ट
लाइन बाजार में दर्जनों ऐसे पैथोलॉजी सेंटर हैं, जो टेबुल और साईन बोर्ड के सहारे संचालित हो रहे हैं. ऐसे सेंटरों के साइन बोर्ड में डॉक्टरों के नाम तो लिखे होते हैं, किंतु वहां डॉक्टर दूर-दूर तक नजर नहीं आते हैं. इन सेंटरों में सैंपल कलेक्शन से लेकर जांच का काम भी सड़क छाप तकनीशियन ही करते हैं. यहां तक कि रिपोर्ट पर भी हस्ताक्षर वही करते हैं, जिससे मरीजों की रिपोर्ट ही संदिग्ध हो जाती है.
यदि कोई मरीज भूल से असली पैथोलॉजिस्ट के पास पहुंच जाता है तो डॉक्टर रिपोर्ट को सिरे से नकार देता है. जानकारों के अनुसार रिपोर्ट को इसलिए भी नकार दिया जाता है कि डॉक्टरों को इस जांच का कमीशन नहीं मिलता है. मानक विहीन पैथोलॉजी के प्रति स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासन के नरम रवैये के कारण गरीब मरीज रोजाना लुट रहे हैं. लेकिन विभाग द्वारा ऐसे संचालकों पर नकेल कसने की कवायद सिफर है.
विभाग के साथ होती है आंख-मिचौनी काले धंधे में बड़े रैकेट की संलिप्तता
वर्ष 2014 में 29 जनवरी को मानकविहीन पैथोलॉजी पर नकेल कसने के इरादे से स्वास्थ्य विभाग ने टीम गठित कर 24 पैथोलॉजी सेंटरों को सील किया था. सील किये गये तमाम पैथोलॉजी मानकों के विरुद्ध पाये गये थे. किंतु विभागीय कार्रवाई के कुछ ही दिन बाद सील किये गये तमाम पैथोलॉजी सेंटर बारी-बारी से पुन: अस्तित्व में आ गये. आश्चर्य इस बात का है कि आखिर कैसे सील किये गये मानक विहीन पैथोलॉजी सेंटर धीरे-धीरे अस्तित्व में आ गये. जानकार बताते हैं कि कार्रवाई एवं खुलने के पीछे बहुत बड़ा रैकेट काम कर रहा है, जिससे सील किये गये पैथोलॉजी स्वत: खुल जाते हैं.
बिचौलियों की अहम भूमिका
मानक विहीन पैथोलॉजी के संचालन में बिचौलियों की अहम भूमिका होती है. ऐसे बिचौलिये डॉक्टरों एवं पैथोलॉजी के बीच सेतु का काम करते हैं. जो डॉक्टरों को प्रलोभन देकर मरीजों को बहला-फुसला कर पैथोलॉजी तक ले जाते हैं, जहां मरीजों की जांच की आड़ में जम कर शोषण किया जाता है. डॉक्टर इन्हीं झोला छाप पैथोलॉजिस्टों की रिपोर्ट के आधार पर इलाज शुरू कर देते हैं. जानकार बताते हैं कि लाइन बाजार में हर एक निकम्मे लोगों के लिए पैथोलॉजी का कारोबार कामधेनु साबित होता रहा है.
होटल, ढाबा, लॉज व दवा दुकानों में धड़ल्ले से चलाये जा रहे हैं पैथोलॉजी सेंटर मरीजों का हाे रहा शोषण
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