31.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सावधान! डेंगू कभी भी दे सकता है सीमांचल में दस्तक

रक्षाबंधन, विषहरी पूजा, दुर्गा पूजा को लेकर घर लौटने लगे हैं परदेसी पूर्णिया : त्योहारों का मौसम आ रहा है. लोगों की घर वापसी का सिलसिला जारी है. ऐसे में परदेस से लौटने वाले लोग अपने साथ डेंगू भी ला सकते हैं. ऐसे में बाहर से आने वाले संभावित लोगों की जांच के साथ साथ […]

रक्षाबंधन, विषहरी पूजा, दुर्गा पूजा को लेकर घर लौटने लगे हैं परदेसी

पूर्णिया : त्योहारों का मौसम आ रहा है. लोगों की घर वापसी का सिलसिला जारी है. ऐसे में परदेस से लौटने वाले लोग अपने साथ डेंगू भी ला सकते हैं. ऐसे में बाहर से आने वाले संभावित लोगों की जांच के साथ साथ सावधानी से डेंगू के खतरे से काफी हद तक टाला जा सकता है.
परदेस से लौटने लगे लोग : जैसे-जैसे त्योहारों का मौसम नजदीक आ रहा है. वैसे वैसे परदेस से लौटने वाले लोगों की संख्या में बढोतरी भी हो रही है. लोग परदेस से रक्षाबंधन, विषहरी पूजा, दुर्गा पूजा, मोहर्रम, छठ पर्व को लेकर घर लौटने लगे हैं. ऐसे में परदेस से आने वाले लोगों में डेंगू होने की संभावना अधिक होती है. डेंगू की भयावहता के मद्देनजर सदर अस्पताल में व्यवस्था नहीं के बराबर है. पिछले वर्ष अगस्त से सितंबर माह में डेंगू प्रभावित मरीजों की संख्या लगभग 13 के आसपास थी. इस बार यह संख्या बढ़ने के आसार हैं.
डेंगू के मच्छरों को पनपने से रोकें : वॉश बेसिन, सिंक, नालियां जहां भी धुलाई-सफाई का काम होता है, उन जगहों को साफ व सूखा रखें. कई दिनों तक किसी भी बर्तन में पानी भरकर न रखें. एक हफ्ते के भीतर उसे बदलते रहें. खराब हो चुकी वस्तुओं जैसे टायर, नारियल के खोल, बोतलें आदि को फेंक दें या नष्ट कर दें. छत, छज्जे आदि पर भी बरसात का पानी जमा न होने दें. मच्छर मारने की दवाओं का प्रयोग करें. डेंगू संक्रमित मच्छर दिन के वक्त काटता है, इसलिए अच्छा हो कि आप दिन के समय नमी वाली जगहों पर न जायें और पूरे शरीर को ढंकने वाले वस्त्र पहनें.
ऐसे करें डेंगू बुखार से खुद का बचाव
डेंगू एडिज एजिप्टी मादा मच्छर के काटने से होता है. डॉक्टरों के अनुसार मरीज में अचानक प्लाज्मा लीकेज होने से समस्या हो सकती है. इसलिए ज़्यादा खतरे वाले मरीजों की जांच शुरुआत से ही हो जानी चाहिए. सबसे ज्यादा शॉक का खतरा बीमारी के तीसरे से सांतवें दिन में होता है. यह बुखार के कम होने से जुड़ा हुआ होता है. प्लाज्मा लीकेज का पता बुखार खत्म होने के प्रथम 24 घंटे और बाद के 24 घंटे में चल जाता है.
ऐसे में व्यक्ति में पेट में दर्द, लगातार उल्टियां, बुखार से अचानक हाईपोथर्मिया हो जाना या असामान्य मानसिक स्तर, जैसे कि मानसिक भटकाव वाले लक्षण देखे जाते हैं. इसमें हमेटोक्रिट में वृद्धि हो जाती है, जो इस बात का संकेत होता है कि प्लाज्मा लीकेज हो चुका है और शरीर में तरल की मात्रा को दोबारा सामान्य स्तर पर लाना बेहद आवश्यक हो गया है. गंभीर थ्रोमबॉक्टोपेनिया (100,000 प्रति एमएम से कम) डेंगू हेमोर्हेगिक बुखार का मापदंड है और अक्सर प्लाज्मा लीकेज के बाद देखने को मिलता है.
सदर अस्पताल में प्लेटलेट की व्यवस्था नहीं
स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू के लिए संक्रमण वार्ड में मात्र एक कमरा में वार्ड बनाया गया है. इसमें चार बेड की व्यवस्था की गयी है. डेंगू की गंभीरता को देखते हुए यह प्रबंध नाकाफी है. डेंगू प्रभावित मरीजों को प्लेटलेट की संख्या घटने पर प्लेटलेट देने की आवश्यकता होती है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि स्वास्थ्य नगरी के दो बड़े रक्त अधिकोषों में ब्लड सेपरेटर नहीं लगने के कारण मरीजों को प्लेटलेट के लिए पटना या दिल्ली रेफर करना पड़ रहा है. जबकि स्थानीय रेडक्रॉस सोसाइटी में ब्लड सेपरेटर लगाने की योजना कई वर्षों से लंबित पड़ी हुई है. रेड क्रॉस के इस ढुल मुल रवैये से डेंगू मरीजों की जान हमेशा सांसत में रहती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें