बायसी अनुमंडल के लोग वर्ष दर वर्ष बाढ़ की त्रासदी झेलने को विवश हैं
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बाढ़ : पीड़ा और दर्द के बीच जिंदा रहने की जारी है जद्दोजहद
बायसी अनुमंडल के लोग वर्ष दर वर्ष बाढ़ की त्रासदी झेलने को विवश हैं पूर्णिया : बायसी अनुमंडल के लोग वर्ष दर वर्ष बाढ़ की त्रासदी झेलने को विवश हैं. वे बाढ़ की पीड़ा और दर्द के बीच हर वर्ष जीते और मरते हैं. एक बार फिर वैसी ही स्थिति देखने को मिल रही है. […]
पूर्णिया : बायसी अनुमंडल के लोग वर्ष दर वर्ष बाढ़ की त्रासदी झेलने को विवश हैं. वे बाढ़ की पीड़ा और दर्द के बीच हर वर्ष जीते और मरते हैं. एक बार फिर वैसी ही स्थिति देखने को मिल रही है. अनुमंडल क्षेत्र के अधिकांश गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. खेती-बाड़ी और जिंदगी भर की कमाई बाढ़ में गंवा कर लोग राहत शिविर में पनाह लिए हुए हैं. शिविरों में ठहरे इन लोगों के चेहरे पर भविष्य की चिंता की लकीरें स्पष्ट देखी जा सकती है. समस्या यह है कि तत्काल अगर समस्या का समाधान हो भी जाये तो भविष्य का कोई ठिकाना नजर नहीं आता है.
चारो ओर पानी ही पानी
एनएच 31 से उतरते ही बायसी प्रखंड के चारो ओर पानी ही पानी दिखाई देता है. एनएच के निकटवर्ती गांव कौआनगर ,पानी सदरा, हिजला, शादीपुर बुतहा, चरैया, सठियारा, नवाबगंज,डंगराहा, गांगर आदि गांव में पानी ही पानी दिखाई पड़ रहा है. यदि किसी घर में पानी नहीं भी गया है तो लोगों का आवागमन का रास्ता बंद पड़ा है. लोग एनएच या फिर विद्यालयों में बने शिविरों में पनाह लिए हुए है. जबकि चटांगी हाट, पुरानागंज,बनगामा मड़वा, मजलिसपुर, खुटिया, सुढ़ीगांव, फूटानी हाट, मिलिक टोला, चहट आदि गांवों में सैलाब ही सैलाब नजर आ रहा है. इन गांवों से विस्थापित लोग पास ही के विद्यालयों में बने शिविरों में शरण लिए हुए हैं. ग्रामीणों ने माना कि यूं तो हर वर्ष बाढ़ आती है, लेकिन इस बार मुश्किल हालात पैदा हो गये हैं.
सूची बनाने में हो रही अवैध वसूली : प्रखंड के कई पंचायतों से बाढ़ पीड़ित की सूची बनाने में जनप्रतिनिधियों द्वारा अवैध वसूली की शिकायत आ रही है. मलहरिया,चंद्रगांवा,आसजा मुबैया एवं श्रीपुर मल्लाह टोली पंचायत से ऐसी शिकायत आ रही है. ग्रामीणों के अनुसार रुपये नहीं देने की स्थिति में पीड़ितों की सूची में नाम नहीं डाला जा रहा है.
बताया जा रहा है कि इस काम को वहां के वार्ड सदस्य अंजाम दे रहे हैं. हालांकि आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि नहीं हो पायी है.
पीड़ितों ने बयां किया दर्द
आसजा मुबैया पंचायत के बजरडीह निवासी शंकर शर्मा की पत्नी लक्ष्मी देवी ने बताया कि पांच दिनों से राहत का इंतजार कर रहे हैं, आज तक सूखा राशन भी नसीब नहीं हुआ है. शिविरों में भोजन का कोई समय निर्धारित नहीं है. जिससे छोटे-छोटे बच्चे भूख से बिलबिलाते रहते हैं. बायसी फूटानी चौक निवासी झपटिया ऋषि की पत्नी कारी देवी ने बताया कि अपने बहन के घर में ठहरी हुई है, उन्हें भी अब तक राशन नहीं मिला है. शादीपुर बुतहा के लालो ऋषि की पत्नी कुशिया देवी ने बताया कि राशन ,प्लास्टिक आदि कुछ नहीं मिला है. यहां हमारी कोई सुनने वाला ही नहीं है. नेता और मंत्री आते हैं और बातों का खाना खिला कर चले जाते हैं.अचानक आयी बाढ़ की स्थिति से चारों तरफ अफरा-तफरी मची है. प्रशासनिक स्तर पर राहत की व्यवस्था तो जरूर की गयी है, लेकिन पीड़ितों के संख्या के अनुपात में यह कम पड़ जा रही है. लिहाजा राहत के लिए छीना-झपटी भी आरंभ हो गयी है. बायसी प्रखंड मुख्यालय में वितरण हेतु आये प्लास्टिक शीट की छीना-झपटी की घटना मंगल वार को हुई.लोग वितरण की प्रतीक्षा किये बगैर अपने अपने जरुरत के हिसाब से प्लास्टिक शीट ले कर चलते बने. वहीं सूखा राशन के लिए लोग छीना-झपटी से लेकर मारपीट करते हैं. कुछ लोग स्थायी तौर पर प्रखंड मुख्यालय में भूखे-प्यासे राहत सामग्री के आस में बैठे हैं. मवेशी को नहीं मिल रहा चारा : बाढ़ पीड़ितों के मवेशी सड़क के किनारे बंधे हुए देखने को मिलते हैं. जिसे पिछले कई दिनों से चारा नसीब नहीं हुआ है, लेकिन बेजुबां पशुओं के लिए कोई भी व्यवस्था नजर नहीं आती है.
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