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संसाधन के रहते स्थापना में विलंब

मेडिकल कॉलेज. न्यूट्रल मैटेरियल उपलब्ध केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के आश्वासन के बाद पूर्णिया में मेडिकल कॉलेज की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है पूर्णिया : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के आश्वासन के बाद पूर्णिया में मेडिकल कॉलेज की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है. केंद्र ने मेडिकल कॉलेज के लिए […]

मेडिकल कॉलेज. न्यूट्रल मैटेरियल उपलब्ध

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के आश्वासन के बाद पूर्णिया में मेडिकल कॉलेज की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है
पूर्णिया : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के आश्वासन के बाद पूर्णिया में मेडिकल कॉलेज की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है. केंद्र ने मेडिकल कॉलेज के लिए 189 करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिये हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से प्रोजेक्ट रिपोर्ट नहीं सौंपी गयी है. प्रोजेक्ट रिपोर्ट सौंपते ही मेडिकल कॉलेज के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हो जायेगी. स्वास्थ्य मंत्री के इस संकेत से पूर्णिया के लोगों की उम्मीद को पंख लग गये हैं. दरअसल सदर अस्पताल में मेडिकल कॉलेज खुलना है इसके लिए कई प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है.
मेडिकल कॉलेज के सत्र संचालन के लिए मामूली निर्माण की आवश्यकता होगी. इसमें प्राचार्य कक्ष,लेक्चर थियेटर, सेंट्रल लाइब्रेरी, लेबोरेट्री आदि का निर्माण कराने की आवश्यकता होगी. इन जरुरी भवनों का निर्माण हो जाये तो शायद जल्द ही मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो जायेगी. आश्चर्य इस बात का है कि घोषणा के चार वर्ष से भी अधिक समय हो चुके हैं. इसके बावजूद मामूली निर्माण नहीं हो पाया. शायद यही कारण है कि मेडिकल कॉलेज के स्थापना में विलंब हो रहा है.
कहां फंसा है पेच : केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य सरकार से डीपीआर नहीं भेजे जाने के कारण मेडिकल कॉलेज की स्थापना में देरी हो रही है. सबसे अहम सवाल है कि आखिर राज्य सरकार की ओर से डीपीआर तैयार कराने में क्या परेशानी है. जानकार बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज की स्थापना में केंद्र सरकार की 75 प्रतिशत राशि की हिस्सेदारी होती है. जबकि राज्य सरकार केवल 25 प्रतिशत राशि ही लगाती है. केंद्र तो अपने हिस्से की राशि दे दी है. किंतु राज्यांश नहीं मिलने की स्थिति में मेडिकल कॉलेज की स्थापना में देर हो रही है. शायद यही वजह है कि डीपीआर लंबित पड़ा है.
न्यूटल मेटेरियल का खान है पूर्णिया : मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है न्यूटल मेटेरियल अर्थात रोगी. पूर्वोत्तर बिहार का पूर्णिया न्यूटल मेटेरियल के लिए प्रसिद्ध है. यहां बिहार ,प बंगाल,नेपाल,बांग्लादेश आदि इलाके से मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. यही कारण है कि पूर्णिया मेडिकल हब के रुप मे विख्यात हुआ है. यहां रोजाना दस हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. यदि मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो जाये तो यहां के गरीब मरीजों को काफी राहत मिलेगी.
मेडिकल कॉलेज की दिशा में हुए काम : मेडिकल कॉलेज की घोषणा के बाद सबसे पहले सदर अस्पताल को आइएसओ प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ. उसके बाद बेड की व्यवस्था बढ़ा कर पांच सौ कर दी गयी. अत्याधुनिक उपकरणों से लैस आसीयू, एनआइसीयू, डायलिसिस यूनिट, आर्थोपेडिक ऑपरेशन थियेटर, सुसज्जित मेटरनिटी वार्ड, कार्डियोलॉजी विभाग की स्थापना सहित कई प्रकार के अपग्रेडेशन का काम किया जा चुका है. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस पोस्टमार्टम एवं मोर्चरी का निर्माण आदि कार्य पूरे कर लिए गये हैं. शैक्षिक सत्र संचालन की दृष्टि से प्राचार्य एवं प्राध्यापकों की नियुक्ति हो चुकी है. कॉलेज प्रबंधन की ओर से चालू वर्ष 2015 में ही सत्र आरंभ करने के संकेत भी दिये गये थे.
किंतु विभागीय शिथिलता के कारण सत्र का संचालन नहीं हो सका और नियुक्त प्राध्यापकों को वापस बुला लिया गया. वैसे मेडिकल कॉलेज की दिशा में अपग्रेडेशन के तौर पर लगभग महत्वपूर्ण कार्य पूरे कर लिये गये हैं. अब सिफ भवन निर्माण का कार्य बाकी है. यहां मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो जाने से कोसी, सीमांचल, नेपाल, पश्चिम बंगाल एवं पूर्वोत्तर राज्यों के मरीजों को लाभ मिलेगा.
संरचना मौजूद, जल्द बनेगा मेिडकल कॉलेज
पूर्णिया में मेडिकल कॉलेज बनना तय है. विलंब हो रही है. इसके पीछे क्या कारण है,यह सरकार ही जाने. इतना तो अवश्य कहा जा सकता है कि पूर्णिया सदर अस्पताल में न्यूट्रल मैटेरियल, आधारभूत संरचना आदि सभी मौजूद है.
डॉ ए के सिंह ,प्राचार्य ,पूर्णिया मेडिकल कॉलेज

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