अवहेलना. प्रधान सचिव का आदेश ठंडे बस्ते में, वर्ष 2014 में िदया गया था प्रपत्र क गठित करने का आदेश
Advertisement
तत्कालीन डीडीसी पर नहीं हो पा रही कार्रवाई
अवहेलना. प्रधान सचिव का आदेश ठंडे बस्ते में, वर्ष 2014 में िदया गया था प्रपत्र क गठित करने का आदेश सूचना के अधिकार अधिनियम से हुआ खुलासा 13 वीं वित्त आयोग से जुड़ा है मामला विधानसभा में वित्तीय अनियमितता का उठाया गया था मामला डीडीसी के खिलाफ प्रपत्र क गठित करने का हुआ था आदेश […]
सूचना के अधिकार अधिनियम से हुआ खुलासा
13 वीं वित्त आयोग से जुड़ा है मामला
विधानसभा में वित्तीय अनियमितता का उठाया गया था मामला
डीडीसी के खिलाफ प्रपत्र क गठित करने का हुआ था आदेश
पूर्णिया : जनतंत्र का यह स्याह सच है कि आज के दौर में जन पर तंत्र भारी है. लिहाजा आम आदमी के लिए अलग कानून तो कुछ विशिष्ट लोगों के लिए अलग कानून होता है. मामला जिले के तत्कालीन उप विकास आयुक्त जयप्रकाश मंडल से जुड़ा है. इनके खिलाफ वर्ष 2014 जनवरी में पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा की ओर से जिलाधिकारी को प्रपत्र क गठित करने का निर्देश दिया गया था.
लेकिन सवा दो वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रधान सचिव का वह आदेश धूल फांक रहा है. यह अलग बात है कि इस दौरान भारतीय प्रशासनिक सेवा के कई जिम्मेवार अधिकारी जिले में आये और चले गये, लेकिन श्री मंडल के विरुद्ध दिये गये आदेश ठंडे बस्ते में ही पड़ा रहा. इन बातों का खुलासा सूचना के अधिकार अधिनियम से हुआ है. प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई नहीं होने के बाद न्यू शास्त्रीनगर सिपाही टोला निवासी मुकेश कुमार सिंह ने उच्च न्यायालय में 09 मार्च को लोकहित याचिका दायर की है.
प्रमंडलीय आयुक्त ने की थी जांच : मामले की जांच का निर्देश 11 जून 2012 को पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव मनोज कुमार श्रीवास्तव ने तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त ब्रजेश मेहरोत्रा को दिया था. श्री मेहरोत्रा ने 11 दिसंबर 2012 को सौंपे गये अपने जांच रिपोर्ट में कहा है कि उप विकास आयुक्त यह स्पष्ट नहीं कर पाये कि किस प्रकार वे आश्वस्त हुए कि कुल कार्यरत आंगनबाड़ी केंद्र, जिनके भवन निर्माण किये जाने हैं,
वे सभी के सभी दूसरे विभागों से प्राप्त होने वाली राशि से निर्मित किये जा रहे हैं या कर लिए जायेंगे. इस तथ्य को स्पष्ट रूप से स्थापित किये बिना अन्य किसी मद में इस राशि के खर्च करने का निर्देश दिया जाना अनियमितता प्रतीत होता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि महत्वपूर्ण यह है कि 13वें वित्त आयोग की अनुशंसा में वर्ष 2010-11 में प्रथम किस्त की राशि जब भेजी गयी, तब राज्यादेश में मात्र आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण का आदेश ही अंकित था.
प्रधान सचिव ने दिया कार्रवाई का आदेश : पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने 22 जनवरी 2014 को जिलाधिकारी को पत्र लिख कर कहा था कि विधायक कृष्ण कुमार ऋषि की शिकायत के आधार पर प्रमंडलीय आयुक्त से मामले की जांच करायी गयी थी. इस जांच रिपोर्ट में प्रमंडलीय आयुक्त की ओर से तत्कालीन डीडीसी जेपी मंडल को दोषी ठहराया गया है. लिहाजा विभाग की ओर से उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई चलाने की अनुशंसा करने का निर्णय लिया गया है. इसलिए तत्कालीन उप विकास आयुक्त के विरूद्ध आरोप गठित कर प्रपत्र क सामान्य प्रशासन विभाग बिहार को भेजते हुए इसकी सूचना पंचायती राज विभाग को भी दी जाय. इसकी प्रतिलिपि सामान्य प्रशासन विभाग और प्रमंडलीय आयुक्त को भी भेजी जाये.
आरटीआइ के बाद अब पीआइएल दाखिल : इस मामले में न्यू शास्त्रीनगर निवासी मुकेश कुमार सिंह ने सबसे पहले 28 जून 2013 को पंचायती राज विभाग से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्रगति की जानकारी मांगी गयी थी. जवाब में विशेष कार्य पदाधिकारी ने लिखा था कि प्रमंडलीय आयुक्त से प्राप्त जांच प्रतिवेदन पर कार्रवाई की जा रही है. यह मामला संप्रति प्रक्रियाधीन है. इसके बाद श्री सिंह ने पुन: 22 सितंबर को सामान्य प्रशासन विभाग से सूचना अधिकार अधिनियम के तहत तत्कालीन डीडीसी के खिलाफ चल रही कार्रवाई की जानकारी मांगा.
जवाब में सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव सह लोक सूचना पदाधिकारी रामकिशुन राय ने बताया कि ज्ञापांक 4112, 17 मार्च 2015 के की ओर से विभागीय कार्यवाही संत्थित है. क्योंकि प्रासंगिक विभागीय कार्रवाई अभी प्रक्रियाधीन है. अंतत: इस बार श्री सिंह ने उच्च न्यायालय का शरण लिया है और 09 मार्च को लोकहित याचिका दायर की गयी है.
13वीं वित्त आयोग से जुड़ा था मामला अब तक सवा दो साल बीत गये
13 वीं वित्त मद के तहत जिला परिषद को वित्तीय वर्ष 2010-11 में प्राप्त राशि का सदुपयोग करने के लिए दिशा-निर्देश प्राप्त हुए थे. इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि ग्राम पंचायत, पंचायत समिति तथा जिला परिषद की ओर से आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण के लिए अन्य योजनाओं से राशि उपलब्ध नहीं होने तक इस राशि का उपयोग आंगनबाड़ी केंद्र निर्माण में किया जायेगा. अन्यथा इस राशि का उपयोग पंचायत के कार्यालय भवन में आधारभूत संरचना उपलब्ध कराने के मद में किया जा सकता है.
लेकिन तत्कालीन डीडीसी ने पहले विकल्प को छोड़ कर पंचायत सचिवों को आधारभूत संरचना की खरीद के लिए राशि का उपयोग करने का निर्देश दे दिया. गौरतलब है कि अक्टूबर 2009 से अप्रैल 2013 तक श्री मंडल पूर्णिया के उप विकास आयुक्त थे. वे फिलहाल ग्रामीण एवं आवास विकास विभाग में विशेष सचिव के पद पर कार्यरत हैं.
विधायक ऋिष ने उठाया था मामला
बनमनखी विधायक कृष्ण कुमार ऋषि ने 04 अप्रैल 2012 को विधानसभा में अल्पसूचित प्रश्न के जरिये तत्कालीन डीडीसी श्री मंडल पर आरोप लगाया था कि जिले के 246 पंचायतों में उपकरण की खरीदारी 4.60 लाख रुपये प्रति पंचायत की दर से बिना निविदा निकाले की गयी. इस प्रकार 12.54 करोड़ रुपये की राशि का अनियमित व्यय किया गया.
साथ ही उन्होंने आरोप लगाया था कि डीडीसी ने 25 अगस्त 2011 को पंचायत के मुखिया तथा प्रखंड विकास पदाधिकारी सहित पंचायत सचिव को एक ही आपूर्तिकर्ता से सामान खरीदने का आदेश दिया गया था. तत्काल मामले में जिला पदाधिकारी से जांच प्रतिवेदन मांगा गया था. उसके बाद सदन में ही मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रमंडलीय आयुक्त से जांच कराने का आश्वासन दिया गया था.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement