सहरसा-पूर्णिया रेलमार्ग. नहीं हुई सीआरएस जांच
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रेल परिचालन पर लगा प्रश्नचिह्न, छायी मायूसी
सहरसा-पूर्णिया रेलमार्ग. नहीं हुई सीआरएस जांच पूर्णिया : इंतजार अब चुभने लगा है. आश्वासनों के सहारे अब इंतजार के दिन काटे नहीं कट रहे हैं. रेल परिचालन को लेकर 11 वर्षों के इंतजार का दर्द अब आक्रोश का रूप लेने लगा है. लोगों को गुस्सा इस बात का है कि रेलवे के आलाधिकारी भी केवल […]
पूर्णिया : इंतजार अब चुभने लगा है. आश्वासनों के सहारे अब इंतजार के दिन काटे नहीं कट रहे हैं. रेल परिचालन को लेकर 11 वर्षों के इंतजार का दर्द अब आक्रोश का रूप लेने लगा है. लोगों को गुस्सा इस बात का है कि रेलवे के आलाधिकारी भी केवल आश्वासन दे रहे हैं. जानकीनगर में लोगों ने मंगलवार को बैठक कर आगामी 28 अप्रैल तक रेल परिचालन प्रारंभ नहीं होने पर चक्का जाम करने का अल्टीमेटम दे डाला. वहीं पूर्णिया में भी आंदोलन की सुगबुगाहट दिखने लगी है.
इंतजार का आलम यह है कि रेलवे के जीएम और डीआरएम के कई दौरा और एन आई जांच के बाद भी 19 अप्रैल को होनेवाला सीआरएस जांच नहीं हो पायी. जानकार बताते हैं कि जब तक सीआरएस जांच नहीं होती है, गाड़ियों का परिचालन संभव नहीं हो पायेगा. जब तक पूर्णिया-सहरसा रेल परिचालन प्रारंभ नहीं होता है, पूर्णिया-सहरसा रेल मार्ग पर लंबी दूरी की गाड़ियों के चलने की संभावनाएं दूर-दूर तक नहीं हैं.
अगली तिथि अब करेंगे आयुक्त तय : दरअसल सीआरएस अर्थात कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी द्वारा की जानेवाली जांच को लेकर एन एफ और ई एफ रेलवे के दो प्रयासों के बावजूद अब तक मामले को हरी झंडी नहीं मिल सकी है. बताया जाता है कि दोनों रेलवे जोन द्वारा सीआरएस जांच हेतु पूरी तैयारी की रिपोर्ट भेजी गयी थी. लेकिन रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) द्वारा इस तिथि की मंजूरी नहीं मिलने से जांच नहीं हो सकी. अब स्थानीय अधिकारी इस संदर्भ में कुछ भी बोलने से कतराते हैं. उनका कहना है कि सीआरएस कार्यालय से ही अगली तिथि तय होगी. जिसकी अभी कोई जानकारी नहीं है.
टूटने लगा है भरोसा, गोलबंद होने लगे हैं लोग : बीते 11 वर्षों के इंतजार के बाद पूर्णिया-सहरसा रेल खंड के अमान परिवर्तन कार्य पूरे होने से इस रेलवे रूट पर सफर करने वालों की उम्मीदों को पंख लगने लगा था. फरवरी माह में जीएम रेलवे ए. के. मित्तल एवं डीआरएम समस्तीपुर और कटिहार के फरवरी और मार्च में दौरा के बाद उनसे मिले आश्वासन से लोगों को जो उम्मीद बंधी थी, वह अब टूटने लगा है. ऐसे में अब लोग गोलबंद होने लगे हैं और आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में जुट गये हैं. इस गोलबंदी की वजह यह है कि कोसी इलाके के लोग भी कारोबार के लिए गुलाबबाग मंडी पहुंचते हैं. ऐसे में कारोबारियों के लिए ट्रेन की उपलब्धता किसी वरदान से कम नहीं थी. लेकिन जबसे ट्रेन परिचालन बंद हुआ है, कारोबारियों से लेकर किसानों तक को नुकसान पहुंच रहा है.
रेल परिचालन के लिए सीआरएस साबित हो रही है मृग मरीचिका
सीआरएस जांच ही नहीं रेल परिचालन भी इस रूट पर अब लोगों को मृग मरीचिका के समान लगने लगी है. इसकी बड़ी वजह यह है कि तारीख-दर-तारीख लोगों का भरोसा अब अधिकारियों पर भी नहीं रहा है. यहां रेल परिचालन में सबसे बड़ा रोड़ा सीआरएस जांच है. जिसकी गांठ कई तय तिथि बीतने के बावजूद नहीं खुल पा रही है. अब तो हालत यह है कि स्थानीय व छोटे अधिकारी जो रेलवे से संबंधित है कुछ कहने से भी कतराने लगे हैं. गौरतलब है कि बीते फरवरी माह में सीआरएस जांच की बात रेलवे के जीएम ए के मित्तल द्वारा बतायी गयी थी. साथ ही मार्च के अंतिम सप्ताह में परिचालन प्रारंभ होने की बात भी उन्हाेंने कही थी. लेकिन न तो जांच हुई और न ही गाड़ियों का परिचालन ही आरंभ हो सका है.
19 को होनी थी सीआरएस जांच
बीते 16 अप्रैल को नव निर्मित रेल खंड के एन आई जांच को लेकर टेक्निकल एक्सपर्टों की टीम के साथ पूर्णिया जंक्शन पहुंचे एन एफ रेलवे के डीआरएम यू. एस. एस. यादव ने 19 अप्रैल को सीआरएस जांच की बात कही थी. जिसके बाद ऐसा लगा था कि मई के प्रथम या दूसरे सप्ताह में परिचालन प्रारंभ हो जायेगा. लेकिन 19 अप्रैल को न तो कोई अधिकारी पहुंचे न ही जांच आरंभ हुई. जानकार बतलाते हैं कि स्थानीय अधिकारियों द्वारा 19 अप्रैल की तिथि सीआरएस जांच के लिए मांगी गयी थी. लेकिन उच्च स्तर पर इस दिशा में हमेशा की तरह एक बार फिर उदासीनता बरती गयी और सीआरएस जांच भविष्य के गर्भ में समा गया.
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