सीएम का आगमन. कार्यक्रम स्थल पर किसी भी व्यक्ति को जाने पर था प्रतिबंध
पूर्णिया : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यक्रम को लेकर बायसी के बैरिया एवं डगरूआ के लालबालू में बड़ी संख्या में पुलिस पदाधिकारी और सुरक्षा बल तैनात किये गये थे.
एसपी निशांत कुमार तिवारी दोनों जगहों के सुरक्षा-व्यवस्था की मॉनिटरिंग कर रहे थे. एक ओर जहां बैरिया में एसपी श्री तिवारी स्वयं सुरक्षा-व्यवस्था का कमान संभाले थे, वहीं लालबालू में बायसी एसडीपीओ सुनीता कुमारी एवं सदर एसडीपीओ राजकुमार साह सुरक्षा पर नजर रखे हुए थे. मुख्यमंत्री के आगमन से पूर्व ही सभी सुरक्षा प्रक्रिया पूरी कर ली गयी थी. डॉग स्क्वायड टीम बैरिया व लालबालू में बने हेलीपेड व कार्यक्रम स्थल का जांच किया. वहीं मुख्यमंत्री के सुरक्षा-व्यवस्था द्वारा मेटल डिटेक्टर मशीन से सभी स्थलों की जांच की गयी.
बगैर मेटल डिटेक्टर जांच के किसी व्यक्ति को कार्यक्रम स्थल तक जाने नहीं दिया गया. मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर से बैरिया पहुंचते ही सभी सुरक्षा कर्मी द्वारा क्षेत्र की घेराबंदी कर दी गयी. सुरक्षा में बड़ी संख्या में महिला पुलिस बलों को तैनात किया गया था. सुरक्षा काफिले में विशेष जेमर वाहन भी तैनात किया गया था. अग्निशमन के तीन दमकल व दो एंबुलेंस सहित चिकित्सक दलों को सेवा में लगाया गया था. मुख्यमंत्री लगभग 45 मिनट बैरिया में रहे और उसके बाद लालबालू के लिए प्रस्थान कर गये.
तीन बजकर 55 मिनट पर वे बरसौनी हाइस्कूल परिसर में निर्मित हेलीपेड पर उतरे. वहां से उन्हें लालबालू स्थित कार्यक्रम स्थल तक वाहनों से सुरक्षा घेरे में लाया गया. मुख्यमंत्री वहां लगभग 35 मिनट रहे. लालबालू स्थित कार्यक्रम से करीब दो सौ मीटर पर स्थित एनएच 31 को वन वे कर सुरक्षा बल व गश्ती पुलिस वाहनों की चौकसी बढ़ा दी गयी थी.
मुख्यमंत्री से मिल फरियाद की तमन्ना रही अधूरी
बायसी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को देखने और सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग उर्स मेला के अवसर पर पहुंचे थे. लेकिन मुख्यमंत्री का कोई सभा कार्यक्रम नहीं रहने के कारण लोगों को सुरक्षा लिहाज से हेलीपेड से दूर ही बेरिकेटिंग के माध्यम से रखा गया था.
गार्ड ऑफ ऑनर लेने के बाद चादरपोशी के लिए जाने के क्रम में लोगों द्वारा शोर मचाने पर मुख्यमंत्री ने हाथ हिला कर सबों का अभिवादन किया. भीड़ में कई ऐसे लोग थे, जो सीएम से मिल कर अपनी मुश्किलों को बयां करना चाहते थे. कटिहार जिला के कदवा प्रखंड के गैठोरा गांव से पहुंचे मो ताहिर किसी भी तरह मुख्यमंत्री से मिलने के लिए परेशान थे.
उनके पास एक आवेदन भी था. दरअसल मो ताहिर की मुश्किल यह है कि उसकी 10 वर्षीया बेटी निशात प्रवीण कैंसर रोग से ग्रसित है. उसके इलाज के खर्च में डॉक्टरों ने पांच लाख रुपये लगने की बात कही है. पेशे से मजदूर मो ताहिर इस उम्मीद में पहुंचा था कि सरकार मिलेंगे तो अपने दर्द को बयां कर सकेंगे, शायद दर्द कुछ हल्का हो जाये, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
इसी प्रकार चंदरगांव से पहुंचे शकील अहमद मुख्यमंत्री से मिल कर बताना चाहते थे कि उनके गांव में पक्की सड़क नहीं है. बेलगच्छी की खुशो खातून आंगनबाड़ी से जुड़ी समस्या लेकर जब दरगाह पर मुख्यमंत्री से नहीं मिल सकी तो जदयू नेता श्री अशरफ के घर तक जा पहुंची. लेकिन सुरक्षा-व्यवस्था इतनी जबरदस्त थी कि एक बार फिर खुशो खातून को निराशा ही मिली.