सदर अस्पताल: मरीज की तुलना में बिस्तर की संख्या नाकाफी पूर्णिया. मेडिकल कॉलेज के इंतजार में खड़ा पूर्वोत्तर बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल सदर अस्पताल आज बेड की कमी की समस्या से जूझ रहा है. सदर अस्पताल मे प्रतिदिन आपातकालीन सेवा में लगभग 100 मरीज एवं ओपीडी में लगभग 1500 मरीज यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं. यहां उपलब्ध बेडों की संख्या लगभग 300 है. जबकि यहां इलाज के लिए हमेशा लगभग 500 मरीज भरती रहते हैं. ऐसे में यहां भर्त्ती मरीजों को वार्डों के बरामदे पर अथवा फर्श पर रह कर इलाज कराना मजबूरी होती है. गरमी के महीने में तो किसी तरह काम चल जाता है, लेकिन जाड़े के मौसम में बरामदे पर रह कर इलाज कराना आसान नहीं होता है. विभिन्न वार्डों की स्थितिवार्ड—– बेड– – औसत भर्ती मरीजमहिला 30 38-42 मेटरनिटी 42 50-60 सर्जिकल 25 35-40 ऑर्थोपेडिक 25 35-40 पोस्ट सिजेरियन20 25-30 इमरजेंसी 25 30-35 मेडिकल 30 35-40 बच्चा 30 35-40 वर्न 10 15-20 संक्रमण 12 16-18 ———————— कुल 249 276-323 फर्श पर रह कर कराते हैं इलाजवार्डों की स्थिति से स्पष्ट होता है कि सदर अस्पताल में बेड का घोर अभाव है. 323 मरीजों की तुलना में महज 249 बेड उपलब्ध है. जबकि सदर अस्पताल में हर हमेशा 500 बेड उपलब्ध होनी चाहिए. बेड की व्यवस्था नहीं होने की स्थिति में मरीजों को बरामदे पर बेड अरेंज कर या फिर फर्श पर रह कर ही इलाज कराने की मजबूरी देखने को मिलती है. कभी कभी ऐसी स्थिति भी सामने आती है कि बेड के अभाव में अधकचरे इलाज में ही मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है. यह डॉक्टरों की मजबूरी भी है. यदा -कदा तो एक वार्ड के मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर बेडों की व्यवस्था को संतुलित करने का भी प्रयास किया जाता है. मजबूरी में किया जाता है रेफर पूर्णिया का सदरअस्पताल इस इलाके के सबसे बड़े अस्पताल में शुमार है. लिहाजा यहां बंगाल, नेपाल, अररिया, किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा आदि स्थानों से भारी संख्या में मरीज आते हैं. लेकिन सदर अस्पताल में मरीजों के लिए बेडों का अभाव में मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. जो यहां पहुंचने वाले मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन जाता हैै. इस वार्ड के मरीज को किसी अन्य वार्ड में शिफ्ट करने से स्वास्थ्यकर्मियों की भी परेशानी काफी बढ़ जाती है. नहीं बदली तसवीरयूं तो सदर अस्पताल के अपग्रेडेशन की कवायद काफी जोर शोर से चल रहा है. इसके तहत बच्चा वार्ड का विस्तार कर 40 बेेड में तब्दील कर लिया गया है. इसमें वार्ड को शिफ्ट भी करा दिया गया है. नया लेबर रूम,ऑर्थोपेडिक ओटी में भी इलाज होना शुरू हो चुका है. इन सबके बावजूद बेड के अभाव का संकट अब तक दूर नहीं हो पाया है. विश्वास का तिलस्म टूूटा कोसी, सीमांचल, प. बंगाल, नेपाल आदि के लोगों का सदर अस्पताल के प्रति कमोबेश मोह भंग हुआ है. इलाज में हीलाहवाली, डॉक्टरों की मनमानी एवं मूलभूत संसाधन बेड, चिकित्सकीय सामग्री के अभाव के कारण लोगों का विश्वास टूटता जा रहा है. इन्हीं सुविधाओं एवं सेवाओं के लिए सदर अस्पताल को आइएसओ प्रमाण पत्र मिला है. अस्पताल की सारी उपलब्धियों पर धीरे-धीरे ग्रहण लगता जा रहा है. टिप्पणी सदर अस्पताल का अपग्रेडेशन का कार्य हो रहा है. जहां तक बेड की कमी का अभाव है, उसे पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. अस्पताल में 500 बेड की व्यवस्था की जा रही है. डॉ एमएम वसीम, सिविल सर्जन,पूर्णियाफोटो:17पूर्णिया 4एवं 5 एवं 06परिचय4-फर्श पर इलाज करा रहे मरीज05- बेड पर लेटे दो-तीन लोग06- सिविल सर्जन
सदर अस्पताल: मरीज की तुलना में बस्तिर की संख्या नाकाफी
सदर अस्पताल: मरीज की तुलना में बिस्तर की संख्या नाकाफी पूर्णिया. मेडिकल कॉलेज के इंतजार में खड़ा पूर्वोत्तर बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल सदर अस्पताल आज बेड की कमी की समस्या से जूझ रहा है. सदर अस्पताल मे प्रतिदिन आपातकालीन सेवा में लगभग 100 मरीज एवं ओपीडी में लगभग 1500 मरीज यहां इलाज के लिए […]
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