वर्ष 2015:जारी रहा हत्या व लूट का दौर, चोरों से पुलिस रही पस्त पूर्णिया. अपराध की बिसात पर वर्ष 2015 का आकलन करें, तो यह वर्ष खट्टे अनुभवों से भरा रहा. वर्ष का पूर्वार्द्ध हो या उतरार्द्ध अपराधियों ने अपनी मनमानी की. हालांकि पुलिस ने भी अपराध पर नकेल की कोशिश की लेकिन पूरी तरह सफलता नहीं मिल सकी. खास कर हत्या और लूट के उद्भेदन के मामले में पुलिसिया कार्रवाई सिफर रही और पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठे. उल्लेखनीय है कि दहेज हत्या और दुष्कर्म के मामले में कमी दर्ज हुई. पुलिस के लिए संतोष की बात यह है कि पिछले वर्ष कुल कांड 6492 प्रतिवेदित हुए जबकि 2015 में यह आंकड़ा 5162 पर सिमट कर रह गया. वर्ष-हत्या-डकैती-लूट-अपहरण-फिरौती के लिए अपहरण-दुष्कर्म-चोरी-दहेज हत्या-कुल कांड 2011-86- 10- 24- -134 —-0- —————-63—185-13—– 35892012-96- 16- 17- 143- 0 40– 170- 17—- 41952013-80- 13- 25- 100- 0 55–130- -19—- 40892014-70- 09- 34- 174- 02- 58–146– 24- 64922015-71- 09- 45- 173- 01- 36–162– 16- – 5162गत वर्ष की तरह जारी रहा हत्या का दौर जिले में हत्या का खूनी खेल कोई नयी बात नहीं है. विगत पांच वर्षों की बात करें, तो वर्ष 2012 में सर्वाधिक 96 हत्याएं हुई. उसके बाद 2011 का स्थान रहा, जब 86 हत्याएं हुई. वर्ष 2014 में सबसे कम हत्याएं हुई. जबकि 2015 में यह आंकड़ा 71 तक पहुंच गया. कुछ हत्याएं बेहद चौकाने वाली थी. खास बात यह है कि कुछ हत्याओं का उद्भेदन हुआ लेकिन कई हत्याकांड आज भी अनसुलझे हैं. 31 जुलाई को नोट डबलर गिरोह के सरगना मोहम्मद फानूस की रहस्यमय मौत हुई. पुलिस ने आत्महत्या माना जबकि आज भी लोग उसे हत्या मान रहे हैं. 24 जुलाई को सज्जाद नगर में छात्र दिलबर की लाश बरामद हुई. दिलबर के परिजन आज भी जानना चाह रहे हैं कि हत्यारा कौन है. कृष्णापुरी के सुजीत की लाश मधुबनी दुर्गा स्थान के पास एक स्कूल में फंदे से लटकी मिली. लेकिन यह मौत भी रहस्यमय है. 03 अगस्त को ट्रांसपोर्टर पुनीत चौधरी की नृशंस हत्या हमेशा लोगों के जेहन में मौजूद रहेगा. 23 दिसंबर को बसंत विहार में सेवानिवृत्त अभियंता योगेंद्र प्रसाद मंडल की चाकू घोप कर हत्या कर दी गयी. अब तक हत्याकांड का सच उजागर नहीं हो सका है. हत्या के कई अन्य मामले हैं जो पुलिस की फाइलों में मौजूद है और पीडि़त परिजन न्याय के लिए भटक रहे हैं. डकैती में भी बनी रही पूर्व की तरह स्थिरता डकैती की घटनाएं हालांकि अब बीते दिनों की बात हो चुकी है लेकिन वर्ष 2015 में भी वर्ष 2014 की तरह 09 डकैती की घटनाएं हुई. बीते पांच वर्षों में वर्ष 2012 में सर्वाधिक 13 डकैती की घटनाएं हुई. वर्ष 2015 में सर्वाधिक चर्चित गुलाबबाग के चावल व्यवसायी के प्रतिष्ठान में भी डकैती की घटना रही जिसमें डकैतों ने साढ़े 30 लाख रुपये डाके में अपने साथ ले गया. हालांकि इस मामले का काफी हद तक उद्भेदन हो चुका है लेकिन पूरी तरह अभी भी मामला स्पष्ट नहीं हो पाया है. लूटेरों ने मचाया तांडव वर्ष 2015 के पूर्वार्द्ध की तुलना में उतरार्द्ध में लूटेरों ने जम कर तांडव मचाया. इस मामले में पुलिस को मामूली ही सफलता मिल पायी है. पिछले पांच वर्ष के आंकड़े पर गौर करे तो वर्ष 2015 में सर्वाधिक लूट की घटनाएं हुई है. वर्ष 2011 में 24 लूट की घटनाएं हुई थी. वर्ष 2014 में यह आंकड़ा 34 तक पहुंच गया. जबकि 2015 में यह संख्या 45 तक पहुंच गयी. अक्टूबर में 11, नवंबर में 09 और दिसंबर में 11 लूट की घटनाएं हुई. 29 नवंबर को टीकापट्टी में व्यवसायी से 06 लाख की लूट हुई तो 30 नवंबर को सरसी के चंपावती में मवेशी व्यापारी से 6.30 लाख लूटे गये. हालांकि इस मामले के उद्भेदन में पुलिस को सफलता हाथ लगी. वहीं 22 दिसंबर को विशो बाबा स्थान के समीप एक संवेदक से साढ़े चार लाख रुपये लूट लिये गये. प्यार पाने के लिए होता रहा अपहरण प्यार में जीने मरने की कसमें खाने वाले प्रेमी युगल जब अभिभावक से सकारात्मक सहयोग की उम्मीद छोड़ देते हैं तो प्यार को अंजाम तक पहुंचाने के लिए रफ्फू चक्कर हो जाते हैं. नाराज मां-बाप थाना में अपहरण का मुकदमा दर्ज करा देते हैं. बड़ी मशक्कत के बाद जब पुलिस प्रेमी युगल तक पहुंचती है तो पाती है कि फरार बिटिया अब परिणय सूत्र में बंध चुकी है. अधिकांश मामले में बिटिया वयस्क होती है और मामला अंतत: प्रेम प्रसंग में फरार तक सीमित रह जाता है. नया ट्रेंड यह है कि फरार होने के बाद प्रेमी युगल दिल्ली, कोलकाता और पंजाब जैसे शहरों का रुख करते हैं जो पुलिस के लिए भी परेशानी का सबब बनता है. वर्ष 2015 में कुल 173 अपहरण हुए जो गत वर्ष की तुलना में महज एक कम है. वहीं फिरौती के लिए अपहरण वर्ष 2015 में सिर्फ 01 दर्ज हुआ जो 2014 में 02 था. गैंग रेप की घटना ने चौंकाया दुष्कर्म के मामले में आंकड़े राहत देने वाले हैं. कह सकते हैं कि आधी आबादी पूर्व की तुलना में अब अधिक महफूज नजर आती है. वर्ष 2011 में सर्वाधिक 63 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए थे. वर्ष 2014 में 58 मामले दर्ज हुए वहीं वर्ष 2015 में यह घट कर 36 पर सिमट गया. लेकिन वर्ष 2015 में दो गैंग रेप की घटना ने अमन पसंद लोगों को चौंकाया तो महिला सुरक्षा पर सवाल भी उठे. 05 जुलाई को सदर थाना क्षेत्र के गुलाबबाग में और 22 जुलाई को कसबा में गैंग रेप की घटना से मानवता शर्मसार हुई. चोरों का जलवा रहा बरकरार तीसमार खां पुलिस वर्ष 2015 में चोरों के सामने पूरी तरह पस्त नजर आयी. चोरों ने अपना जलवा पूरे वर्ष बरकरार रखा. खास बात यह रही कि सुबह, दोपहर और रात जब चाहा पुलिस ने अपनी बाजीगरी दिखायी. खास कर बंद घरों को जम कर निशाना बनाया गया. बीते पांच वर्षों में सर्वाधिक 185 चोरी की घटनाएं वर्ष 2011 में घटित हुई थी. उसके बाद हालांकि चोरी का ग्राफ साल दर साल घटता चला गया लेकिन 2013 और 2014 की तुलना में 2015 में चोरी की घटनाएं अधिक हुई. 2015 में चोरी की कुल 162 घटनाएं हुई. चिंताजनक बात यह है कि चोरी के मामले में आज तक पुलिस किसी बड़े गिरोह का उद्भेदन नहीं कर पायी. जिसका नतीजा यह रहा कि चोरी की घटनाएं लगातार जारी है. दहेज हत्या में आयी कमी सुखद बात यह है कि जिले में दहेज हत्याओं में कमी आयी है. संभवत: पुलिस परामर्श केंद्र की पहल भी इस मामले में रंग ला रही है. वजह चाहे जो भी हो, दहेज की आड़ में नृशंस हत्याएं थमती नजर आ रही है. पिछले पांच वर्षों में यह आंकड़ा उतार-चढ़ाव भरा रहा है. वर्ष 2011 में सबसे कम 13 दहेज हत्या हुई थी जो 2012 में 17 हो गयी. 2013 में 19 बेटियों दहेज की बलिबेदी पर चढ़ी. जबकि 2014 में 24 हत्याएं हुई. वहीं 2015 में यह घट कर 16 पर सिमट गयी. फोटो: 1 पूर्णिया 11परिचय-अपराध की सांकेतिक तसवीर
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वर्ष 2015:जारी रहा हत्या व लूट का दौर, चोरों से पुलिस रही पस्त
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