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गुलाबबाग मंडी: किसानों के चौताल पर माफियाओं की नजर !

गुलाबबाग मंडी: किसानों के चौताल पर माफियाओं की नजर ! पूर्णिया. गुलाबबाग की व्यावसायिक मंडी में किसानों के दुर्दिन खत्म होते नजर नहीं आ रहे हैं. पेयजल, रेन बसेरा, सड़क और शौचालय की समस्या से जूझ रहे किसानों की हकमारी की तैयारी की जा रही है. किसानों के लिए निर्मित चौतालों पर अब माफियाओं की […]

गुलाबबाग मंडी: किसानों के चौताल पर माफियाओं की नजर ! पूर्णिया. गुलाबबाग की व्यावसायिक मंडी में किसानों के दुर्दिन खत्म होते नजर नहीं आ रहे हैं. पेयजल, रेन बसेरा, सड़क और शौचालय की समस्या से जूझ रहे किसानों की हकमारी की तैयारी की जा रही है. किसानों के लिए निर्मित चौतालों पर अब माफियाओं की नजर पड़ गयी है. कृषि जींस को सुरक्षित रखने हेतु बने चौताल को भी कुछेक लोगों द्वारा हथियाने की कवायद प्रारंभ हो गयी है. इस बात की चर्चा मंडी समिति से लेकर आर्थिक बाजार गुलाबबाग में जोरों पर है. बताया जाता है कि मंडी समिति स्थित आलू पट्टी, मकई पट्टी, लहसून पट्टी में किसानों के लिए बने चौताल कुछ लोगों द्वारा गुपचुप तरीके से आवंटन करा कर बेचे जाने की कवायद चल रही है. हालांकि इस बात की आधिकारिक पुष्टि तो नहीं हुई है, लेकिन मंडी समिति में इस बात को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है. किसानों के लिए बना था चौताल जानकार बताते हैं कि कृषि उत्पादन बाजार समिति के स्थापना एवं निर्माण के वक्त किसानों के हित को ध्यान में रख कर मंडी समिति में चौताल का निर्माण कराया गया था. इसके पीछे उद्देश्य यह था कि कोसी व सीमांचल तथा जिला क्षेत्र से कृषि जींस लेकर आये वैसे किसान जिनका अनाज नहीं बिक पाया है, वह इस खुले चौताल पर अपना अनाज रख दूसरे दिन या हाट के दिन उसे बेच सकेंगे. यहां एक कांटा कर्मी को कांटा का लाइसेंस देने का प्रावधान बना था, लेकिन यह चौताल आज भी अपने उद्देश्य से दूर है. चौतालों पर है अघोषित कब्जा गुलाबबाग मंडी समिति के अंदर किसानों के कृषि जींस रखने के लिए बने चौताल कुछ लोगों द्वारा गुपचुप तरीके से आवंटित कराने एवं उसे कई टुकड़ों में बांट कर बेचे जाने की भी चर्चा है. नाम नहीं छापे जाने के शर्त पर मंडी के ही एक कारोबारी ने बताया कि आवंटन से पहले ही इस कार्य में लगे माफिया खरीदारों से रेट तय करने में लगे हैं. इस साजिश में लगे माफिया एक चौताल को सात से आठ खंडों में बांट बेचने की जुगत में हैं. मंडी में जिन चौतालों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है, उन चौतालों की स्थिति यह है कि यहां महीनों से दूसरे लोग कब्जा जमाये बैठे हैं. हालात यह है कि ऊपरी शेड के अलावा खुला रहने वाला चौताल गोदाम बन गया है. ऐसे में कोसी के जिलों से आये किसान खुले आसमान के नीचे कृषि जींस रखने व रहने को विवश हैं. बदल गया है चौतालों का स्वरूप कभी किसानों के अनाज व खुद के आश्रय स्थल के रूप में प्रयोग होने वाला चौताल आज अपना स्वरूप खो चुका है. लोग बताते हैं कि वैसे चौताल जो तौलकों को आवंटित किया गया है, वहां किसान अनाज रखा करते हैं. लेकिन मंडी समिति के अंदर ही कई ऐसे चौताल भी हैं, जिस पर स्थानीय दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है. इसे बांस के चचरी से घेर कर इसका स्वरूप बदल दिया गया है. विडंबना यह है कि इसे लेकर मंडी समिति का प्रबंधन समिति अब तक इस पर कोई पहल नहीं कर पायी है. मंडी समिति में कार्यरत कारोबारियों की मानें तो मंडी में ही कुछ ऐसे लोग हैं, जिनकी नजर इन चौतालों पर है, बल्कि उनके द्वारा खाली पड़े चौतालों को हथियाने का प्रयास जारी है. कहां जायेंगे किसान, है बड़ा सवाल चौतालों के आवंटन की सच्चाई चाहे जो हो, लेकिन अगर ऐसी थोड़ी सी भी संभावना बनती है तो यह सबसे बड़ी विडंबना होगी. वह यूं कि इस व्यावसायिक मंडी में प्रतिदिन तकरीबन 03 हजार किसान आते हैं. कईयों को रात काटनी होती है तो कई चौताल के अभाव में खुले आसमान के नीचे कृषि जींस सहित खुद रात काटने को विवश होते हैं. इसकी वजह यह है कि मंडी में प्रबंधन व्यवस्था लचर है. ऐसे में अगर चौताल भी माफियाओं की कुदृष्टि का शिकार हो गया तो किसान कहां जायेंगे, यह एक बड़ा सवाल है. टिप्पणी इस तरह की कोई बात नहीं है. किसी भी तरह का आवंटन अगर करना होगा तो इसके लिए पहले निविदा निकाली जायेगी, तब कोई कार्रवाई होगी. अगर इस तरह की कोई चर्चा है तो महज भ्रम है. रवींद्र नाथ प्रसाद सिंह, एसडीएम, पूर्णिया फोटो:- 26 पूर्णिया 11परिचय:- बाजार समिति

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