गुलाबबाग मंडी: ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं किसान व मजदूर
पूर्णिया : रोजगार, मजदूरी और खरीद फरोख्त के लिए चर्चित मंडी गुलाबबाग आये किसानों और मजदूरों की रात बड़ी मुश्किल से गुजरती है. यहां हर रोज चा से पांच हजार किसान व मजदूर पहुंचते हैं, जो अस्थायी ठिकाने के रूप में रात मंडी में बसर करते हैं. लेकिन करोड़ों के कारोबार और लाखों का राजस्व देने वाली मंडी समिति में ठंड से बचाव के लिए अलाव की व्यवस्था अब तक नहीं हो पायी है.
गौरतलब है कि कृषि उपजों का सीजन होने के कारण इन दिनों व्यावसायिक मंडी गुलाबबाग में कोशी के अररिया, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, किशनगंज, कटिहार के अलावा पूर्णिया जिले के किसान कृषि उपज लेकर बड़े पैमाने पर प्रतिदिन व्यावसायिक मंडी पहुंचते है. कई किसान एक रात पहले ही मंडी पहुंचते हैं.
अलबत्ता कृषि जिंसों के खरीद फरोख्त के बाद लोड, अनलोड के लिए हजारों मजदूर और व्यापारी भी यहां रहते हैं. लेकिन यहां ठंड से बचाव के लिए कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. जानकारों के अनुसार प्रतिदिन जहां तकरीबन दो हजार वाहनों का आना निश्चित है वहीं तकरीबन तीन हजार मोटिया मजदूर इस मंडी में कार्यरत है. विदित हो कि इस मंडी में कारोबारी सुविधा सड़क, नाला, शुद्ध पेय जल के अलावा मजदूरों एवं किसानों के लिए सोने बैठने की व्यवस्था का घोर अभाव है.
ऊपर से बढ़ती ठंड में यहां रात गुजारने वाले किसानों एवं मजदूरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिन हालात में मजदूरों एवं किसानों की रात यहां बीत रही है, उससे बचाव के लिए प्रशासनिक एवं स्थानीय स्तर पर अब तक मंडी में कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. न तो अब तक अलाव की व्यवस्था हो पायी है न ही अस्थायी आश्रय स्थल का ही निर्माण कराया गया है.
लिहाजा मंडी आने वाले लोगों को बढ़ी ठंड ने बेदम कर रखा है. यहां देर रात तक होता है कार्य गुलाबबाग मंडी समिति में वैसे तो मुख्यत: दो दिन हाट(बाजार) का दिन माना जाता है लेकिन सीजन के दिनों में हर रोज हजारों गाडि़यां पहुंचती है और सुबह पौ फटने से लेकर पूरा दिन और देर रात कृषि जिसों के खरीद फरोख्त एवं लोडिंग अनलोडिंग का कार्य सैकड़ों मजदूर करते हैं. इन दिनों आलू, धान इत्यादि कृषि जिंसों की फसल लेकर मंडी पहुंचने वाले किसानों की तादाद बढ़ी है.
वहीं बाहरी खरीदार के आने से खरीद-फरोख्त का काम भी परवान पर है. अलबत्ता सुबह से शाम तक बल्कि देर रात तक मंडी में काम होना लाजिमी है. ऐसे में ठंड से बेबस मंडी में कार्यरत मजदूरों को राहत के लिए अलाव की व्यवस्था नहीं होने से मजदूरों में मायूसी व्याप्त है.