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धान खरीद: बिचौलियों ने कर ली है लूट की तैयारी

धान खरीद: बिचौलियों ने कर ली है लूट की तैयारी खास बातें-धान खरीदारी के लिए सरकार ने बदल दिया है नियम-धान की खरीदारी वैसे किसानों से ही करना है, जिनका ऑनलाइन डाटाबेस है तैयार -इस बार धान का समर्थन मूल्य 1410 से 1450 रुपया है तय, लेकिन बोनस को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं-धान बिक्री करने […]

धान खरीद: बिचौलियों ने कर ली है लूट की तैयारी खास बातें-धान खरीदारी के लिए सरकार ने बदल दिया है नियम-धान की खरीदारी वैसे किसानों से ही करना है, जिनका ऑनलाइन डाटाबेस है तैयार -इस बार धान का समर्थन मूल्य 1410 से 1450 रुपया है तय, लेकिन बोनस को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं-धान बिक्री करने वाले किसानों के पास भूमि दस्तावेज, रसीद, पहचान पत्र व क्रेडिट कार्ड वगैरह का होना है अनिवार्य -धान की खरीदारी ग्रेड ए व साधारण ग्रेड के साथ 17 प्रतिशत रखा गया है नमी का मानक पूर्णिया.’ तू डाल-डाल, मैं पात-पात ‘ जैसी स्थिति धान खरीद मामले में सामने आने वाली है. इसमें कोई शक नहीं कि गत वर्ष धान खरीद में उत्पन्न हुई समस्याओं से सीख लेकर राज्य सरकार की ओर से नियम और कायदे में काफी परिवर्तन किये गये हैं. उद्देश्य यह है कि योजना का लाभ किसानों तक शत प्रतिशत पहुंचे और पारदर्शिता के साथ धान की खरीद हो सके. लेकिन सरकार के नये नियम-कायदे की काट के लिए बिचौलियों ने भी कमर कस रखी है. यही वजह है कि निश्चिंत होकर बिचौलिये धान का स्टॉक करने में जुटे हुए हैं. देखना दिलचस्प होगा कि जीत नियम-कायदे की होती है या बिचौलिये एक बार फिर हमेशा की तरह सफल साबित होते हैं. ऑनलाइन डाटाबेस तैयार धान खरीद को लेकर इस वर्ष बदले नियम के अनुसार धान की खरीदारी वैसे किसानों से ही करना है जिनका ऑनलाइन डाटाबेस तैयार है. नये नियम के अनुसार प्रति किसान सौ क्विंटल धान की ही खरीद की जानी है. हालांकि इस बार धान का समर्थन मूल्य 1410 से 1450 रुपया तय है, लेकिन बोनस को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. नियमों के अनुसार धान देने वाले किसानों को भूमि दस्तावेज, रसीद, पहचान पत्र, क्रेडिट कार्ड वगैरह का होना अनिवार्य है. इन सभी नियमों के बाद धान खरीद कार्य में सहकारिता विभाग की ओर से पैक्सों, व्यापार मंडल तथा राज्य खाद्य निगम के क्रय केंद्रों की ओर से धान की खरीद होनी, जिसमें धान की खरीदारी ग्रेड ए एवं साधारण ग्रेड के साथ नमी का मानक 17 प्रतिशत रखा गया है. पुराने दस्तावेज बन जाते हैं नये धान खरीद को लेकर बने नये नियम के बावजूद बिचौलियों की ओर से सेंधमारी की तैयारी पूरी कर ली गयी है. जिसमें पैक्स, बिचौलिया एवं क्रय केंद्र प्रभारी के साथ वैसे किसान भी शामिल है जो खुले बाजार में पखवारा पहले धान बेच चुके हैं. इस खेल के खिलाड़ी बड़े ही शातिर हैं और उनकी जड़ें भी काफी गहरी है. लूट के इस खेल में शामिल खिलाड़ी पूर्व के खरीदारी में जमा किये गये कागजातों की फाइल को जिंदा कर देते हैं. जानकार बताते हैं कि इनकी सूची में वैसे किसान जो आवश्यकता की अनिवार्यता से मजबूर होकर धान पहले बेच चुके हैं, शामिल होते हैं. जानकार बताते हैं कि इस खेल में बिचौलिये किसान को 50 से 100 रुपये और बांकी रकम की बंदरबांट करते हैं. नमी जांच के नाम पर होती है धांधली कागजी हेरफेर के बावजूद लूट का एक और तरीका क्रय केंद्रों पर है जिसे लेकर आवाजें भी उठती रही है. सूत्र बताते हैं कि सरकारी घोषणा के बावजूद क्रय केंद्रों पर नियुक्त अधिकारी के पास नमी मापक यंत्र नहीं होता है. अगर कही है भी तो उससे धान की नमी मापने के बजाय सीधा प्रति क्विंटल पांच से सात किलो धान काट लिया जाता है. इतना ही नहीं क्वालिटी और ग्रेड का मानक भी कटौती के लिहाज से ही तय किया जाता है. सूत्रों की माने तो जिन गोदामों में क्रय किया गया धान रखा जाता है उसका ग्रेड सत्यापन नहीं होने के कारण इस तरह की काली कमाई अब लूट बन गयी है. हर तरफ लूटते हैं किसान, शातिर होते हैं मालामाल धान खरीद के मामले में किसानों को समर्थन मूल्य का मिलना टेढ़ी खीर है. क्रय केंद्रों के देर से खुलने एवं एवं मक्का-गेहूं सहित अन्य फसलों की तैयारी को लेकर अर्थाभाव की विवशता किसान बेबस होकर खुले बाजार में धान बेचने को विवश हो जाते हैं. जो क्रय केंद्रों तक पहुंच भी जाते हैं उन्हें नमी और डस्ट के नाम पर पांच से दस किलो तक धान की कटौती का मार सहना पड़ता है. इतना ही नहीं इसके बावजूद धान के ग्रेड को लेकर बिना चढ़ावा दिये बिल बनना भी संभव नहीं होता. इस खेल में जहां समर्थन मूल्य पाने के चक्कर में किसान दो से तीन सौ रुपये की कटौती का मार झेलते हैं वहीं इस खेल के माहिर खिलाड़ी प्रति क्विंटल दो से तीन सौ की कमाई कर मालामाल होते हैं. करोड़ों का होता है वारा-न्यारा बता दे कि पैक्स क्रय केंद्रों पर खरीद की गयी धान के ग्रेड नमी तथा कागजातों के साथ किसानों के सत्यापन एवं गोदामों के नियमित जांच के अभाव में इस तरह के कामों को अंजाम देने वाले करोड़ों का खेल आपसी मेल से कर जाते हैं. सूत्रों की माने तो क्रय केंद्र पर किसानों से कटौती किये जाने वाले धान एवं बिचौलियों की ओर से खरीदे गये धान से हर वर्ष करोड़ों रुपये का वारा न्यारा होता है. बल्कि इस वर्ष भी बिचौलियों ने धान स्टॉक करने के साथ कागजी तैयारी भी पूूरी कर ली है.टिप्पणी इस वर्ष धान खरीद के नियमों में व्यापक बदलाव किये गये हैं. बिचौलियों पर अंकुश के लिए पूरी व्यवस्था है. धान खरीद में पूरी पारदर्शिता बरती जायेगी. संदीप कुमार ठाकुर, डीसीओ, पूर्णिया

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