पहले होती जांच, तो जीवित होता किसान सोमवार को जांच के बाद डीएओ श्री सिंह ने बताया कि खेत में नमी की कमी के कारण फसलों के अंकुरण व उत्पादन प्रभावित हुआडीएओ के नेतृत्व में की गयी मृत किसान के खेत की जांच, कहा नमी के कारण कम हुआ फसल उत्पादन.प्रतिनिधि, जलालगढ़ प्रखंड क्षेत्र के चक पंचायत स्थित महियारपुर गांव निवासी युवा किसान मिथिलेश यादव की आत्महत्या के बाद उसके घर व खेत पर अधिकारियों का दौरा जारी है. सोमवार को जिला कृषि पदाधिकारी दिनेश प्रसाद सिंह के के नेतृत्व में टीम ने खेत पहुंच कर आवश्यक जांच की.इस दौरान यह जानने की कोशिश की गयी कि किन कारणों से किसान को बेहतर फसल नहीं मिली.गौरतलब है कि मिथिलेश ने बेहतर फसल नहीं होने के कारण शुक्रवार को कीटनाशक पी कर आमहत्या कर ली थी. सोमवार को जांच के बाद डीएओ श्री सिंह ने बताया कि खेत में नमी की कमी के कारण फसलों के अंकुरण व उत्पादन प्रभावित हुआ.जांच दल में जिला उद्यान पदाधिकारी राकेश कुमार, आत्मा के परियोजना निदेशक राजेश प्रताप व कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ के कार्यक्रम समन्वयक डा एसपी. सिंह शामिल थे.जांच के दौरान अधिकारियों ने मृतक किसान के अलावे महियारपुर गांव के ही कुछ अन्य किसानों के खेत की भी जांच की.जिसके बाद जांच दल ने बताया गया कि इस क्षेत्र के खेतों में नमी के कमी के कारण ही फसल प्रभावित हो रही है.अधिकारियों ने बताया कि यदि नमी को ध्यान में रख कर खेती की जाये तो फसल उत्पादन में वृद्धि होगी.वहीं जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि खेत में फसलों की बोआई के पहले स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिकों से सलाह अवश्य लेना चाहिए.इस दौरान उपस्थित किसानों ने बताया मक्का तथा आलू के फसल बोआई के 10 दिन पूर्व से दो से तीन बार सिंचाई की गयी थी. इस पर टीम के अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष वर्षा कम होने से नमी की कमी थी.इसी कारण जो सिंचाई की गयी, उससे जमीन में नमी बरकरार नहीं रह सकी.इस दौरान उपस्थित किसानों ने विविध समस्याओं को बताया.जिसका निदान अधिकारियों ने दिया. मौके पर प्रखंड आत्मा अध्यक्ष नवकिशोर विश्वास, एसएमएस पंकज कुमार, सुबंस प्रसाद, कृषक सलाहकार वरुण, गौरव, रवि, दिलीप, बरुण विश्वास उर्फ बबलू, विक्रम, चंदन आदि किसान मौजूद थे. काश कि यह सब पहले हुआ होता…किसान की आत्म हत्या की खबर के बाद दो दिनों से लगातार कृषि विभाग के वरीय अधिकारियों का जमावड़ा महियारपुर में लग रहा है.खेतों की जांच कर रिपोर्ट भी सामने रख दिये गये हैं.लेकिन एक बार फिर सिस्टम ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि प्रशासन की नींद हर बार देर से ही क्यों खुलती है.पदाधिकारियों की गहमागहमी ने भी इतना तो साबित कर ही दिया है कि फसल उत्पादन कम होने के मूलभूत कारण थे.जिसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को भी होनी चाहिए थी, लेकिन प्रशासनिक विफलता के कारण ऐसा नहीं हुआ और मजबूरन युवा किसान को आत्महत्या करना पड़ा.गांव में भी यह चर्चा आम है कि काश अधिकारी समय से कुछ कर पाते, तो शायद मिथिलेश आज जीवित होता.बहरहाल यह देखना होगा कि अधिकारियों की यह तेजी कब तक बरकरार रहती है और कितने किसानों के लिए मिथिलेश की मौत बलिदान साबित होती है.किसानों की समस्या पर अधिकारी कितने गंभीर होते हैं और उसके निदान के लिए क्या कदम उठाये जाते हैं.फोटो : 30 पूर्णिया 17परिचय : खेत की जांच करते अधिकारी.
पहले होती जांच, तो जीवित होता किसान
पहले होती जांच, तो जीवित होता किसान सोमवार को जांच के बाद डीएओ श्री सिंह ने बताया कि खेत में नमी की कमी के कारण फसलों के अंकुरण व उत्पादन प्रभावित हुआडीएओ के नेतृत्व में की गयी मृत किसान के खेत की जांच, कहा नमी के कारण कम हुआ फसल उत्पादन.प्रतिनिधि, जलालगढ़ प्रखंड क्षेत्र के […]
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