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रक्त वक्रिेता युवक की मिली लाश, लाल रक्त के काले कारोबार का फल-फूल रहा है नेटवर्क

रक्त विक्रेता युवक की मिली लाश, लाल रक्त के काले कारोबार का फल-फूल रहा है नेटवर्क पूर्णिया. लाइन बाजार में मानकविहीन पैथोलॉजी का गोरखधंधा बदस्तूर जारी है. ऐसे पैथोलॉजी न केवल मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, बल्कि अब लाल रक्त के काले कारोबार से भी जुड़ गये हैं. शहर के विकास […]

रक्त विक्रेता युवक की मिली लाश, लाल रक्त के काले कारोबार का फल-फूल रहा है नेटवर्क पूर्णिया. लाइन बाजार में मानकविहीन पैथोलॉजी का गोरखधंधा बदस्तूर जारी है. ऐसे पैथोलॉजी न केवल मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, बल्कि अब लाल रक्त के काले कारोबार से भी जुड़ गये हैं. शहर के विकास बाजार में एक रिक्शा चालक का शव शनिवार को बरामद हुआ. मृतक के परिजनों की मानें तो युवक रक्त कारोबारी था और उसके शरीर से अत्यधिक मात्रा में खून निकाले जाने की वजह से मौत हो गयी. सूत्रों के अनुसार लाइन बाजार स्थित दर्जनों पैथोलॉजी सेंटर जो रक्त की खरीद-फरोख्त से जुड़े हैं, बिना किसी संसाधन के स्वास्थ्य विभाग से निबंधित है. ऐसे में खून के इस काले कारोबार में स्वास्थ्य विभाग की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है. रिक्शा चालक था रक्त विक्रेता के. हाट थाना क्षेत्र के विकास बाजार के पास शनिवार को एक युवक का शव मिला. मृतक युवक मरंगा थाना क्षेत्र के सतकोदरिया गांव निवासी किशुन लाल महतो का पुत्र विमलेश महतो(32 वर्ष ) है. वह पूर्णिया में रिक्शा चला कर परिवार का पालन पोषण करता था. परिजनों ने बताया कि आर्थिक तंगी से गुजर रहे विमलेश दुर्गा पूजा के बाद पंजाब मजदूरी करने की बात कह कर घर से निकला था. लेकिन वह पंजाब नहीं जा कर पूर्णिया में ही रक्त माफियाओं के नेटवर्क से जुड़ गया और शरीर का रक्त बेचने लगा. परिजनों का कहना है कि शरीर से अत्यधिक खून निकाले जाने की वजह से विमलेश की मौत हुई है. मृतक को एक तीन वर्षीय पुत्र कृष्णा एवं एक वर्षीया पुत्री प्रीति है. पत्नी गर्भावस्था में है. विमलेश की मौत के बाद पत्नी एवं बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल है. संदेह के दायरे में हैं दर्जनों पैथोलॉजी लाइन बाजार के शिव मंदिर रोड,पोस्ट मार्टम रोड,एन एच 31,बिहार टॉकिज रोड में लगभग पांच दर्जन से अधिक मानक विहीन पैथोलॉजी काम कर रहे हैं. इनमें से 23 पैथोलॉजी विभाग से सांठ-गांठ करके निबंधन भी करा कर कागजी तौर पर मानक को प्राप्त कर लिया है. इन पैथोलॉजी में दिन के उजाले में मरीजों का शोषण किया जाता है. जिसकी रिपोर्ट की विश्वसनीयता भी संदिग्ध होती है. जाहिर है कि यहां मरीजों के लुटने की मुकम्मल व्यवस्था है. वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य महकमा और जिला प्रशासन बेफिक्र है. शाम में होती है रक्त की तिजारत ऐसे तमाम पैथोलॉजी में शाम के समय चोरी-छिपे रक्त विक्रेताओं को लाकर उसके शरीर से खून निकाला जाता है, जिसे विभिन्न नर्सिंग होम के मरीजों को मुंह मांगी कीमतों में उपलब्ध कराया जाता है. रक्त विक्रेताओं में रिक्शा चालक,मीट विक्रेता और मजदूर किस्म के लोग शामिल होते हैं. ऐसे लोग आर्थिक अभाव में रोजमर्रे की जरूरत को पूरा करने के लिए रक्त की तिजारत करते हैं. समय-समय पर ऐसे विक्रेताओं के अत्यधिक खून निकाले जाने के बाद मौत की खबर भी सामने आती रही है, जिसकी एक बानगी मात्र विमलेश महतो है. सवालों के घेरे में है विभाग जानकारों की माने तो शहर में जो भी निबंधित पैथोलॉजी सेंटर काम कर रहा है है, उसमें न तो एम डी पैथो डॉक्टरों की तैनाती है और न ही मानक अनुरुप साजो-सामान ही उपलब्ध है. ऐसे पैथोलॉजी में सिर्फ डॉक्टरों के नाम के बोर्ड टंगे होते हैं. हैरानी की बात यह है कि फर्जी पैथोलॉजी ने बकायदा निबंधन भी करा रखा है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर विभाग किस कसौटी पर सेंटरों को निबंधित किया है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि विमलेश की मौत के लिए जिम्मेवार कौन है. कहते हैं अधिकारीजो पैथोलॉजी किसी मानक को पूरा नहीं कर रहे हैं, यदि उसे निबंधित किया गया है तो उसकी जांच की जायेगी. जांच के उपरांत वैसे पैथोलॉजी एवं संचालकों पर कार्रवाई की जायेगी. डॉ एम एम वसीम,सिविल सर्जन,पूर्णियाफोटो:- 14 पूर्णिया 01 एवं 02परिचय:- 01- मृतक विमलेश02- विलाप करती पत्नी

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