पूर्णिया : पूजा पद्धति और संस्कृति पर आधुनिकता इस कदर हावी हो गया है कि हमारी परंपरा अब विलोपन के कगार पर है. कभी दीपावली से महीनों पूर्व कुम्हार की चाक थकती नजर नहीं आती थी वहीं अब कुम्हार की चाक धीमी पड़ने लगी है. कारण यह है कि मिट्टी के दीप की जगह अब इलेक्ट्रॉनिक बल्ब ने ले ली है.
गौरतलब है कि लक्ष्मी गणेश के पूजन को लेकर दीपावली पर घरों की साज सज्जा के साथ दीपों की शृंखला से घर आंगन सजाने की पौराणिक परंपरा रही है. लेकिन पिछले तकरीबन एक दशक से बही आधुनिकता की बयार ने इलेक्ट्रॉनिक रंगीन बल्बों ने इस कदर अपना असर समाज में छोड़ा कि परंपरागत दीप दर्शन दुर्लभ होता चला जा रहा है.
कुम्हार की चाक पड़ लगा ब्रेक बहरहाल सच यह है कि कुम्हार समुदाय अपने परंपरागत पेशे से किनारा करने लगे हैं. दीपों की घटती डिमांड और महंगाई की मार तथा रंग बिरंगे इलेक्ट्रॉनिक बल्बों की मांग ने इस पेशे की कमर ही तोड़ दी. गुलाबबाग बाजार आये कुम्हार राम निहोरा पंडित, बालक पंडित एवं सुकदेव कहते हैं कि समय बदल गया अब कुम्हारों के दरवाजे पर दीप खरीदने कोई नहीं आता. केवल शादी ब्याह के समय कभी कभार उनके दरवाजे पर रौनक दिखती है.
रामनिहोरा पंडित बताते हैं कि पहले मिट्टी, खर, पतवार बगीचे, जंगलों एवं बड़े लोगों के खेतों से फ्री और कम कीमत में मिल जाती थी. अब मिट्टी भी पांच से सात सौ रुपया ट्रेलर मिलता है.जलावन खरीदना पड़ता है. फिर भी दीप के साथ मिट्टी के बरतनों की बिक्री नहीं है. इससे परिवार का पालन पोषण भी संभव नहीं हो पा रहा है.
बालक पंडित के अनुसार अब लोगों की मानसिकता बदली है पहले सैकड़ों दीप खरीदने वाले दर्जन में खरीदते हैं. बल्कि मिट्टी के कलश की जगह तांबा पीतल के कलश के चलन एवं इलेक्ट्रॉनिक बल्बों के कारण मिट्टी के बरतन एवं दीपों का कारोबार महज एक औपचारिकता मात्र है. सज गयी अब रंगीन बल्बों की दुकानशहर से लेकर सुदूर ग्रामीण इलाकों तक हर कोई रंगीन बल्बों से दीपावली की सजावट करना पसंद करता है.
फलत: जहां बाजारों में दीपों की खरीदारी महज पारंपरिक धार्मिक संस्कृति एवं औपचारिकता तक सिमटी नजर आ रही है वहीं बाजार के सैकड़ों दुकानों एवं चौक चौराहों पर रंगीन इलेक्ट्रॉनिक बल्बों की दुकानें सजने लगी है. खास बात यह है कि इन इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर चीन का बाजार हावी है. स्थानीय बाजार पर मेड इन चाइना सामानों की बढ़त लगातार जारी है. डेकोरेटरों की है बल्ले बल्लेशहर में दीपावली पर घरों को रंगीन बल्बों से सजाने को लेकर एक स्पर्धा सी दिखने लगी है हर कोई एक दूसरे को पीछे छोड़ना चाहता है.
इलेक्ट्रॉनिक बल्बों के दुकानों पर भीड़ दिखने लग़ी है. कुछ लोग खुद से सजावट करने में लगे हैं तो ज्यादातर लोग डेकोरेटरों के माध्यम से घरों को सजाने की तैयारी करने लगे हैं. हाल यह है कि शहर के सभी डेकोरेटर दीपावली तक लगभग बुक हो चुके हैं. वहीं लगन के इंतजार में इन दिनों व्यग्र रहने वाले डेकोरेटरों को बेमौसम बल्ले बल्ले की स्थिति बनी हुई है. फोटो: 30 पूर्णिया 11-दीप तैयार करता कुम्हार.