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दशकों बीते, नहीं हुआ जन समस्याओं का निदान

दशकों बीते, नहीं हुआ जन समस्याओं का निदान पूर्णिया. पूर्णिया का पूर्वी इलाका दशकों बाद भी उपेक्षा का शिकार है. यहां समस्याओं को लेकर या तो प्रयास ही नहीं हुए, अगर हुए भी तो इसका लाभ आम आदमी तक नहीं पहुंच पाया. स्थिति यह है कि जल निकासी के अभाव में या तो घरों में […]

दशकों बीते, नहीं हुआ जन समस्याओं का निदान पूर्णिया. पूर्णिया का पूर्वी इलाका दशकों बाद भी उपेक्षा का शिकार है. यहां समस्याओं को लेकर या तो प्रयास ही नहीं हुए, अगर हुए भी तो इसका लाभ आम आदमी तक नहीं पहुंच पाया. स्थिति यह है कि जल निकासी के अभाव में या तो घरों में गंदा पानी जमा होता है या फिर सड़कों पर पसरा रहता है. पिछले दो दशक में नगर-निगम ने कई सपने दिखाये. कभी मास्टर प्लान में नालों का जाल, तो कभी सफाई के सेक्टर खोलने का वायदा किया. यहां तक कि लाखों के खर्च से बना जल मीनार शोभा की वस्तु बन कर रह गया है. शहर में एक तो नाला ना के बराबर है अगर है भी तो सफाई के अभाव में गंदगी समेटे वातावरण को प्रदूषित कर रहा है. कई मुहल्लों में सड़क नहीं है. शहर में दशकों पूर्व बना महज एक शौचालय है, जो किसी काम का नहीं है. लौह युक्त पानी पीना लोगों की विवशता है. कुल मिला कर यहां जन समस्याओं का अंबार है. दो वर्ष पहले के वादों से मुकरा निगम बता दें कि वर्ष 2013 में नगर निगम की ओर से गुलाबबाग के सोनौली चौक पर सफाई अभियान चलाकर खुश्कीबाग तथा गुलाबबाग में सफाई कर्मियों का सेक्टर खोलने की घोषणा हुई थी. कहा गया था कि शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर यहां वाहन एवं मजदूर इसी सेक्टर से कार्य करेंगे. लेकिन दो वर्ष बीतने के बाद भी इस वायदे पर निगम ने कोई पहल नहीं की. हालात यह है कि गलियों से लेकर चौराहों तक गंदगी से लोग परेशान हैं.लाखों हुए खर्च, नहीं मिला पेयजल पीएचइडी की ओर से निर्मित पानी टंकी पिछले कई वर्षों से शहर के बीचो बीच शोभा की वस्तु बना खड़ा है. लाखों रुपये शहर के आम आदमी तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए खर्च कर दिये गये. वाटर फिल्टर मशीने लगी. पानी टंकी के आस पास के कुछ जगहों पर पाइप लाइन बिछायी गयी लेकिन आधा-अधूरा रहा. आनन-फानन में पीएचइडी ने नगर निगम को वाटर सप्लाई का कार्य सौंप दिया. लेकिन अधूरे काम की वजह से शुद्ध पेयजल का मामला फंस गया. इस प्रकार वर्षों बाद भी इलाके के लोगों को शुद्ध पेयजल मयस्सर नहीं हुआ.नहीं है एक अदद पार्क शहर के पूर्वी हिस्से में कई एकड़ में फैला सरकारी जमीन किसी काम का नहीं है. इसी इलाके से कई वॉलीबॉल, खो-खो तथा अन्य खिलाडि़यों ने जिले एवं बिहार का नाम रौशन किया है. लेकिन जहां पूर्णिया में कई पार्क व स्टेडियम बने वहीं दशकों बीतने के बावजूद इस इलाके के खिलाडि़यों एवं बच्चों के लिए न तो स्टेडियम नसीब हो पाया न ही बच्चों के लिए पार्क. हालात यह है कि जिला मुख्यालय सटे इस इलाके के बच्चे घरों में कैद रहते हैं.सड़क का अभाव, जाम है मुसीबत एन एच 57 से हांसदा को जोड़ सिटी पूर्णिया एवं कसबा को एक सूत्र में पिरोने वाली कच्ची सड़क जो गुलाबबाग पूर्णिया का दूसरा लाइफ लाइन सड़क कहा जाता है, यह सड़क गड्ढे में तब्दील है. इस सड़क के दोनों तरफ बड़ी आबादी है और कई विद्यालय स्थित हैं. जानकार बताते हैं कि इस सड़क के निर्माण से गुलाबबाग में जाम की समस्या खत्म हो जायेगी. इसके अलावा ऐसी कई और सड़कें हैं जिसमें निर्माण के बाद जाम की समस्या से निजात मिल सकता है. लेकिन इस निर्माण में विभागीय इच्छा शक्ति की कमी और उपेक्षा का दंश जाम के रूप में वर्षों से यह इलाका झेलने को विवश है.फोटो:- 25 पूर्णिया 13,14,15,16परिचय:- 13-शहर के बीचो बीच खड़ा पानी टंकी 14-नाले में पसरा कचरा 15-कच्ची सड़क 16-खाली पड़ी जमीन

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