पूर्णिया: फैलिन से तबाह हुए फसल और अन्य क्षति को लेकर मुआवजा राशि एवं कर्ज माफी के लिए बिहार किसान-मजदूर संघ के नेतृत्व में किसानों ने प्रदर्शन किया. बाद में जिलाधिकारी के नाम आठ सूत्री मांगों का एक ज्ञापन वरीय उपसमाहर्ता मनोज कुमार रजक को समाहरणालय गेट पर सौंपा.
ज्ञापन में आलू फसल के लिए प्रति एकड़ पैंतीस हजार, धान के लिए पंद्रह हजार एवं सब्जी आदि के लिए दस हजार प्रति एकड़ की दर से मुआवजा राशि देने की मांग की गयी है. साथ ही केसीसी ऋण वाले किसानों को धान, आलू एवं अन्य फसल का इंश्योरेंस दिलाने और अगली फसल लगाने के लिए बैंक से केसीसी ऋण तुरंत दिलाने की मांग की है. किसानों एवं मजदूरों का कर्ज माफ करने, फैलिन से धराशायी हुए घर के बदले तुरंत इंदिरा आवास देने, जलजमाव वाले जगहों पर पशुओं के लिए चारा की व्यवस्था, विस्थापित परिवारों के बीच राहत कार्य में तेजी लाने और जल निकासी के साथ-साथ महामारी की रोकथाम के लिए मेडिकल टीम की तैनाती व डीडीटी का छिड़काव करने की मांग की है.
इसके पहले किसानों का धरना-प्रदर्शन आंदोलन के संयोजक शक्ति नाथ यादव की अध्यक्षता में थाना चौक पर संपन्न हुई. धरना को संबोधित करते हुए संघ के संस्थापक अनिरूद्ध मेहता ने कहा कि फैलिन से उपजे भारी बारिश और तेज हवा के कारण जिले के किसानों को भारी क्षति हुई है. आलू किसानों को प्रति एकड़ औसतन पैंतीस हजार रूपये का नुकसान है. पका हुआ धान पानी में सड़कर बर्बाद हो गया. उन्होंने कहा कि यदि जिला प्रशासन का सहयोग किसानों के प्रति सकारात्मक नहीं रहा तो आंदोलन को और तेज किया जायेगा. महामंत्री बद्री मेहता ने कहा कि यदि सरकार किसानों को समय रहते मुआवजा देने की घोषणा नहीं करती है तो संघ के द्वारा आमरण-अनशन किया जायेगा.
किसान नेता शंकर विश्वास ने कहा कि फिलहाल जल जमाव एक बड़ी समस्या है. प्रशासन को जल निकासी की तुरंत व्यवस्था करनी चाहिए ताकि किसान रबी फसल लगा सकें. सभा को संयोजक संजय यादव, धनश्याम मेहता, गोपाल यादव आदि ने भी संबोधित किया. धरना के बाद किसानों का जुलूस समाहरणालय गेट पर पहुंचकर मांगों के समर्थन में नारे लगाये और अपना ज्ञापन सौंपा. इस कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष शंभू मंडल, नीरज मेहता, अमरेंद्र कुशवाहा, इंद्रदेव यादव, शत्रुघA यादव, श्रीकांत तिवारी, तपेश्वर मेहता, नक्षत्र ऋषि, सत्येंद्र सिंह, मनीष यादव, नवनीत सिंह, धनंजय सिंह, अशोक कुमार सुनील, अखिलेश मेहता, रंजीत सिंह समेत सैकड़ां किसान शामिल थे.