बोले मतदाता: गुलाबबाग मंडी की बदहाली होगा मुद्दा
पूर्णिया : सदर विधानसभा इलाके में स्थित गुलाबबाग मंडी हजारों लोगों के जीवन यापन का जरिया बना हुआ है. सैकड़ों व्यापारी और हजारों दलित मजदूरों की जिंदगी की डोर इस मंडी से बंधी हुई है.
इसी मंडी के सहारे इन गरीबों के परिवार का भरन-पोषण होता है और उनकी जिंदगी संवरती है. लेकिन वर्षों से यह गुलाबबाग मंडी बदहाली के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में इस चुनाव में मंडी भी चुनावी मुद्दा हो सकता है.
मंडी समिति के अंदर और बाहर मोटरसाइकिल रिपेयरिंग, चाय दुकान करने वालों से लेकर भोटिया मजदूर, ऑटो चालक, ठेला व रिक्शा चालकों का स्पष्ट शब्दों में कहना है कि मंडी के विकास से ही रोजगार बढ़ेंगे और घरों के चूल्हे जलेंगे. इसलिए जो मंडी के विकास के लिए लड़ेगा वही वोट का अधिकारी होगा. किसने क्या कहा1. मुनेश्वर प्रसाद यादव का कहना है कि पिछले एक दशक से मंडी के विकास को लेकर कोई पहल नहीं हुई. सड़कें गड्ढे में तब्दील है.
पेयजल की व्यवस्था नहीं है. जलजमाव के बीच व्यापारी और किसान व्यापार करने को विवश हैं. पिछले नौ वर्षों में किसी ने मंडी की सुधि नहीं ली. मतदान को अपना लोकतांत्रिक अधिकार बताते हुए कहा कि इस बार चुनाव वैसे नेता का होगा जो गरीबों, किसानों एवं मंडी के प्रति सजग हो. 2. चाय दुकानदार विपिन सहनी का कहना है कि गुलाबबाग मंडी की वजह से उनका घर परिवार चलता है. मंडी की स्थिति दयनीय है. अव्यवस्था के कारण कारोबार प्रभावित हुआ है.
जीविका का साधन बंद होने के कगार पर है. इस बार मजदूर गरीब मंडी के विकास को मुद्दा बना कर वोट करेंगे. वैसा नेता चुनेंगे जो वादा नहीं काम करेंगे.3. युवा वोटर परमेश्वर पासवान का कहना है कि रोजगार और काम का अवसर विकास के रास्ते हासिल होता है जात-पात से नहीं. परमेश्वर पेशे से पेंटर हैं.
उसका कहना है कि प्रख्यात अंतराष्ट्रीय स्तर की मंडी की सूरत संवारने के लिए कोई आगे नहीं आया. आज वोट मांगने वाले दर्जनों हैं. युवाओं को रोजगार की तलाश है.
यह तब पूरा होगा जब हमारा मंडी सुदृढ़ और सुविधा संपन्न हो जायेगा. वैसे नेता की तलाश कर ही वोट करेंगे. 4. मोटरसाइकिल मैकेनिक मो रिजवान उर्फ राजू का कहना है कि अभी मन नहीं बनाया है, लेकिन वोट तो देना ही है. कई चेहरे हैं, लेकिन लड़ाकू चेहरे की तलाश है, जो सिस्टम से लड़ कर विकास का रास्ता खोले. हमें गरीबों के उत्थान के लिए मंडी की विकास की जरूरत है. इतना ही नहीं पेयजल, सड़क और जलनिकासी को लेकर गरीबों के दुख-सुख के साथ मिल जुल कर लड़ने वाला जनप्रतिनिधि चाहिए. पहले चुनेंगे फिर वोट करेंगे. 5. बांस कारोबारी दिल मोहन पोद्दार का कहना है कि ‘ पेट में खर न, सिंह में तेल ‘. गरीबों की समस्या और मंडी की हालत को लेकर सबकी जुबान वर्षों से बंद थी.
अब वादा और विकास की बातें कर रहे हैं. गरीबों ने मन बना लिया है. गरीब-गुरबों के हित, राशन, केरोसिन, बिजली, सड़क, विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन के लिए जो लड़ने वाला होगा, उसी को चुनेंगे. 6. ठेला चालक विजय पासवान बड़े इत्मीनान से कहते हैं ‘
बाबू हमरा गरीब सब के दम फूले छैय, मंडी में ठेला खींच कै, ए त धूल उड़ै हैं, दूसर सड़क में गड्ढा, जकरा में चक्का फंस जाय छैय. अखनी सभैय नेता हितैषी भयल हय, लेकिन जे मंडी से हमन सब के चूल्हा जलै छैय, उकरा विकास खातिर कौय नैय छैय. अबरी हमनी एकजुट छीय, जे लड़ते उकरे चुनके वोट करना छैय ‘. मंडी एक नजर में संक्षिप्तगुलाबबाग का कृषि मंडी अनाज के खरीद-फरोख्त के साथ किराना, कॉस्मेटिक सहित सीमेंट, लोहा, खाद सहित अन्य व्यवसाय के लिए कोसी की व्यापारिक धूरी में रूप में प्रख्यात हैं.
कोसी के किसानों द्वारा उपजाया गया कृषि जिंस, मूंग, उड़द , राजमा, धान, मक्का, गेहूं के निर्यात को लेकर अंतराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान रखता है.
लेकिन वर्ष 2006 में कृषि उत्पादन बाजार समिति के विघटन के बाद से ही मंडी उपेक्षित है. सड़कें टूटी हुई है. जलनिकासी को लेकर बना नाला जमींदोज हो जाने से जलजमाव का नजारा हर तरफ है. विद्युत व्यवस्था के नाम पर खानापूर्ति, सफाई, पेयजल, रेन बसेरा, किसान भवन नदारद है.
हजारों मजदूर, सैकड़ों व्यापारी, किसान तथा कारोबारी टूटी सड़कों से उड़ती धूल, जलजमाव से निकलते कीचड़ में व्यापार करने को विवश हैं. इतना ही नहीं अब तक मंडी के अव्यवस्था के सुधार को लेकर कोई मुकम्मल पहल नहीं होने से इस बार मजदूर गोलबंद हैं.