पूर्णिया : उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार तथा जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय लोक नाट्य उत्सव के तीसरे दिन बुधवार को सर्वस्व लोक कल्याण स्वैच्छिक संस्था जनपद कोशांबी के कलाकारों द्वारा डाकू सुलताना नाट्य की प्रस्तुति की गयी.
उत्तरप्रदेश के इस बहुचर्चित व लोकप्रिय लोक नाट्य विधा के अंतर्गत मातृत्व प्रेम व दुलार के कारण होने वाले क्षति को प्रदर्शित किया गया.
नाट्य कथा में गरीबी, भूख, लाचारी व समाज में व्याप्त साहुवादी तथा जमाखोरी प्रथा के कारण गांव के एक सीधे-सादे बालक के डाकू बनने की मजबूरी को प्रदर्शित किया गया. कथा के अनुसार डाकू सुलताना उत्तरप्रदेश के विजनौर जनपद से लेकर नजीबाबाद तक सेठ साहूकारों व जमाखोरों के दिलों में दहशत व गरीबों के लिए मसीहा था.
बचपन में सुलताना मुरगी व अंडा चुराया करता था और इसका लालच अपनी मां को देता था. वहीं गरीब मां भी बच्चे की इस करतूत पर उसे शाब्बाशी व आशीष देती थी. सुलताना की यही आदत बड़े होने तक लूटपाट में तब्दील हो गयी, वह उसी से अपनी व अपने मां की भूख मिटाता था. धीरे-धीरे वह डाकू बन गया.
कथा के अनुसार सुलताना डाकुओं का सरदार था और उसके गिरोह में 300 से अधिक लोग शामिल थे. शेर सिंह सुलताना का सबसे करीबी था और शातिर दिमाग का था. वहीं लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देता था.
सेठ साहूकारों में सुलताना के नाम का खौफ था. कहानी में रोमांचक मोड़ तब आता है, जब एक बार अपने साथियों के साथ डाका के क्रम में सुलताना एक फकीर पर गोली चलाता है, लेकिन फकीर बाबा तक पहुंच कर गोली गायब हो जाती है. यह देख सुलताना फकीर के चरणों में गिर जाता है और पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण का मन बना कर मौके से भाग जाता है.
इस बीच सुलताना के आतंक से तंग आकर सरकार विलायत से मिस्टर यंग को बुलाती है और सुलताना को पकड़ने की योजना तैयार की जाती है. लखनऊ पुलिस कार्यालय में बने योजना के अनुसार सुलताना को तबायफ फूल कवर के कोठे से पकड़ने की तैयारी की जाती है, जब वह शराब के नशे में धुत होकर नाच-गाने में मस्त होता है.
पुलिस सुलताना को आगरा के अदालत में पेश करती है, जहां उसे फांसी की सजा सुनायी जाती है. इस प्रकार कहानी में यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि बुरे कर्मों का फल सदैव बुरा ही होता है. नाट्य मंचन में सुलताना की भूमिका रामचंद्र ने निभायी. जबकि रंजीत प्रसाद प्रधान, विजय तबायफ फूल कवर, अशोक रसिया यंग साहब, राम सूरत गुलाम हैदर, घनश्याम मुनि व लल्लू प्रसाद रघुआ सेठ की भूमिका में नजर आये.
नाट्य की परिकल्पना गुरूविंदर सिंह तथा निर्देशन तेजेंद्र सिंह तेजु ने किया. इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन प्रियवत नारायण सिंह तथा दीनानाथ सिंह ने किया. उत्सव प्रभारी पूनम प्रकाश श्रीवास्तव व केंद्र की मधुकांत मिश्रा तथा अमरजीत सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया.मौके पर नाट्य कला भवन के निदेशक कुंदन कुमार सिंह, सचिव सह कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी अंजनी श्रीवास्तव सहित रंगकर्मी मौजूद थे. गुरुवार को उत्सव के आखिरी दिन नाट्य कला भवन के कलाकारों द्वारा नाटक का मंचन किया जायेगा.
कृषि सलाहकारों ने की मतदान की अपील
बीकोठी. प्रखंड कृषि पदाधिकारी संजय कुमार के नेतृत्व में बुधवार को मतदाता जागरूकता रैली निकाली गयी. रैली को प्रखंड विकास पदाधिकारी राजीव कुमार की ओर से रवाना किया गया. रैली के दौरान कृषि सलाहकारों ने मतदाता जागरूकता को लेकर कई नारे लगाये. साथ ही लोगों से मतदान करने तथा अन्य लोगों को भी प्रेरित करने की अपील की गयी. रैली के दौरान प्रखंड मुख्यालय के विभिन्न चौक-चौराहों सहित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र,
थाना चौक, मुख्य बाजार आदि स्थानों का भ्रमण किया गया. इस अवसर पर समन्वयक सह नोडल ब्रजेंद्र कुमार सिंह, समन्वयक ब्रजेश कुमार, प्रभात कुमार, प्रखंड तकनीकी प्रबंधक अरविंद कुमार, सहायक तकनीकी प्रबंधक ब्रजेश कुमार ब्रजेश, लेखापाल आलोक, सलाहकार भूपेेंद्र कुमार, धनंजय कुमार, अमित कुमार, सुनील कुमार, राजू कुमार, कैलाश ठाकुर, प्रमोद कुमार, देवानंद यादव आदि मौजूद थे.