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करोड़ों खर्च करने का फायदा क्या !

उपयोग की बाट जोह रहा है चलंत शौचालय, लोगों को थीं काफी उम्मीदें पूर्णिया : गर निगमवासियों को पेयजल तथा शौचालय की सुविधा मुहैया कराने की निगम की योजना अभी भी धरातल से दूर है. तकरीबन छह महीने बाद भी शहरवासियों के लिए चलंत शौचालय एक सपना बना हुआ है. वहीं लाखों रुपये की लागत […]

उपयोग की बाट जोह रहा है चलंत शौचालय, लोगों को थीं काफी उम्मीदें
पूर्णिया : गर निगमवासियों को पेयजल तथा शौचालय की सुविधा मुहैया कराने की निगम की योजना अभी भी धरातल से दूर है. तकरीबन छह महीने बाद भी शहरवासियों के लिए चलंत शौचालय एक सपना बना हुआ है.
वहीं लाखों रुपये की लागत से खरीदा गया वाटर टैंक लॉरी निगम में शोभा का वस्तु बन कर रह गया है. गौरतलब है कि शहर में फुटपाथ पर रात बसर करने वालों की हजारों की तादाद है, जिन्हें शौचालय की सुविधा मयस्सर नहीं है. ऐसे लोगों के लिए शहर के कई हिस्से शौचालय बने हुए हैं. स्पष्ट है कि निगम की उदासीनता की वजह से खुले में शौच के माध्यम से बीमारियों को आमंत्रित किया जा रहा है.
37 लाख का चलंत शौचालय : स्वच्छता मिशन के तहत तकरीबन 37 लाख रुपये में करीब छह माह पहले चलंत शौचालय की खरीद हुई थी. वहीं दो माह पहले 71 लाख की लागत से तीन वाटर टैंक लॉरी निगम की ओर से खरीदी गयी. चलंत शौचालय का उद्देश्य शौचालय विहीन लोगों की जरूरत पूरा करने के साथ-साथ स्वच्छता अभियान को भी आगे बढ़ाना था. लेकिन ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है. दूसरी तरफ दो महीने बाद भी वाटर टैंक लॉरी का शुद्ध पेयजल आम आदमी को नसीब नहीं हो सका है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है करोड़ों रुपये खर्च करने के फायदे क्या है?
शहर में है शौचालय की समस्या : शौचालय की समस्या जिला मुख्यालय से लेकर गुलाबबाग तक है.प्रतिदिन कोर्ट-कचहरी, बाजार, गुलाबबाग मंडी में कारोबारी कार्य से तकरीबन पांच से सात हजार छात्र, युवा, किसान, मजदूर तथा व्यापारी जिला मुख्यालय आते हैं. इनकी जरूरतों के लिए न तो कहीं यूरिनल की व्यवस्था है और न ही सार्वजनिक जगहों पर शौचालय की ही व्यवस्था है. ऐसे में लोगों को खुले मैदान की तलाश करनी पड़ती है, जिससे इन्हें शर्मसार भी होना पड़ता है. लेकिन छह महीने बाद भी निगम चलंत शौचालय शहर को नहीं सौंप पाया है.
नहीं मिल रहा ठेकेदार, फंस गया है पेच : शौचालय को शहरवासियों को सौंपने को लेकर निगम ठेकेदार के इंतजार में है. निगम के अधिकारियों की मानें तो निगम की ओर से निविदा भी निकाली गयी थी. लेकिन निविदा की तारीख बीतने के बाद भी कोई ठेकेदार शौचालय लेने को तैयार नहीं है.
वर्तमान स्थिति यह है कि निविदा के पेच में फंसा चलंत शौचालय छह महीने से अपने उपयोग की बाट जोह रहा है. वहीं लाखों रुपये निवेश के बावजूद उसका सदुपयोग नहीं हो पा रहा है. वहीं जिला मुख्यालय का कई इलाका चलंत शौचालय में तब्दील है जो शहर की सेहत के लिए कतई ठीक नहीं कहा जा सकता है.

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