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चहुंओर अंधेरा, कब जलेगी लाइट
गुलाबबाग : सिस्टम, समस्या और संभावनाएं तीनों शहर में मौजूद हैं फिर भी हर तरफ अंधेरा है. शहर के प्रत्येक व्यक्ति की जुबान पर बस यही चर्चा है कि कौन करेगा शहर और सड़कों को रोशन यहां तो हर तरफ अंधेरा है? यह कोई जुमला नहीं पूर्णिया शहर की कड़वी सच्चई है. यहां कानून का […]
गुलाबबाग : सिस्टम, समस्या और संभावनाएं तीनों शहर में मौजूद हैं फिर भी हर तरफ अंधेरा है. शहर के प्रत्येक व्यक्ति की जुबान पर बस यही चर्चा है कि कौन करेगा शहर और सड़कों को रोशन यहां तो हर तरफ अंधेरा है? यह कोई जुमला नहीं पूर्णिया शहर की कड़वी सच्चई है.
यहां कानून का सिस्टम है और समस्याओं के निदान की अकूत संभावनाएं, फिर भी अंधेरों में रोशनी की व्यवस्था मुख्यालय की सड़कों से लेकर गली मुहल्लों और व्यावसायिक मंडी गुलाबबाग में नदारद है. चौक-चौराहे, सड़कों के किनारे एवं सार्वजनिक जगहों पर लगे हाइ मास्ट व स्ट्रीट लाइट दिन भर शहर की शोभा बढ़ाते हैं. वहीं शाम ढलते ही लाइट भी अंधेरे में गुम हो जाते हैं.
नगर निगम ने दिखाये केवल सपने
शहर का निरंतर विकास जारी है और इसके साथ ही सौंदर्यीकरण व शहर को सुविधा संपन्न बनाने की दिशा में पहल भी. लेकिन सीमांचल के सबसे बड़े शहर होने का गौरव प्राप्त कर चुके शहर को भी शाम होते ही अंधेरे में डूबना पड़ता है.
इसकी मूल वजह हाई मास्ट व स्ट्रीट लाइटों का वर्षो से खराब पड़ा होना बताया जाता है. नगर निगम हर बार इसे दुरुस्त कराने की दिशा में पहल का दावा तो करती है, लेकिन यह शहरवासियों के लिए सपनों के सब्जबाग से ज्यादा नहीं दिखा है.
टेस्टिंग के बाद कभी नहीं जली लाइट
जानकारी के अनुसार नगर निगम की ओर से शहर में कुल 24 हाइ मास्ट लाइट लगाये गये हैं. लेकिन टेस्टिंग के 24 घंटे के बाद एक भी हाइ मास्ट नहीं जला. इसके अलावा करोड़ों रुपये खर्च कार वार्डो तथा शहर की सड़कों पर लगे विद्युत खंभों पर वेपर लाइट लगवाया गया.
लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में ये लाइट भी कुछ दिनों में ही बेकार हो गये. जानकारों की माने तो करीब एक पखवारा पूर्व ही नगर निगम ने शहर से लेकर वार्डो तक वेपर लाइट लगाने तथा बंद पड़े स्ट्रीट लाइटों को पुन: रोशन करने को ले कर योजना बनायी थी. लेकिन अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं होने से शहर के लोग परेशानी ङोलने को विवश हैं.
भुगतान के अभाव में कट गया था विद्युत कनेक्शन : नगर निगम की ओर से शहर को रोशन करने के वर्ष 2011 में हाई मास्ट लाइट लगाये गये और इसके लिए बिजली कनेक्शन ली गयी. लेकिन कनेक्शन के छ: माह बाद ही विद्युत बोर्ड ने यह कह कर बिजली कनेक्शन काट दिया कि बकाया बिल का भुगतान नहीं किया गया है.
गत वर्ष दशहरा के समय निगम ने विद्युत विभाग को पत्रचार कर पुन: कनेक्शन जुड़वाया. इसके बाद हाई मास्ट की टेस्टिंग हुई. उस वक्त कुछ लाइट नहीं जलने पर निगम ने कहा कि निविदा के माध्यम से शहर में खराब पड़े लाइट की मरम्मत करायी जायेगी.
योजना बनी, तो देर किस बात की
दरअसल नगर निगम अपनी राह खुद बनाता है और खुद ही सफर करता है. शहर के लोगों का कहना है कि रोशनी की व्यवस्था के मामले में नगर निगम के रवैये से दुखी हैं. उनका मानना है कि निगम की सकारात्मक पहल हो तो ही समस्या का निदान संभव है. लेकिन निगम है कि केवल आश्वासन के ही पूल बांधने में मस्त है.
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