एकवेणी जपाकर्णपूरा नगर
खरास्थिता. लम्बोष्ठी कर्णिका कर्णी
तैलाभ्यक शरीरिणी ..
वामपादोल्लसल्लोहता कण्टक
भूषणा. वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा
कालरात्रिर्भयंकरी .
वैदिक मंत्रोच्चर शंख ध्वनि और दीप धूप अगरबत्ती की सुगंधों के बीच बुधवार मां काल रात्रि की पूजा की गयी. मां दुर्गा के पट खुलते ही शहर की सारी सड़कें आदि शक्ति मां दुर्गा के मंदिर और पूजा पंडालों के तरफ मुड़ गयी थी. चेहरों पर शक्ति स्वरूपा मांभवानी का शौर्य और हाथ में पूजन सामग्री पुष्प दीप धूप अगरबत्ती लिए मां भक्तों के कदम अहले सुबह से ही मंदिरों के तरफ चल पड़े थे. समूचे शहर में वासंतिक नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा के दर्शन को लोग निकल पड़े थे. शंख ध्वनि घंटों की आवाज और अगरबत्ती के सुगंध से संपूर्ण वातावरण सुगंधित हो उठा था. शहर के रामकृष्ण मिशन स्थित दुर्गा पूजा स्थल गुलाबबाग के सार्वजनिक दुर्गा मंदिर, सोनौली चौक दुर्गा पूजा पंडाल, चंदन नगर दुर्गा मंदिर भक्तों के जयकारे मां की आरती के मंत्रोच्चरण से गूंज
रहा था. मां के दर्शन को उमड़ी भीड़ समूचे शहर को एक सूत्र में मानो पिरो दिया था. दूसरी तरफ मंदिरों के शहर पूर्णिया सिटी स्थित मां पूरण देवी मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं ने मन्नते मांगी बल्कि महामाया मंदिर, खुश्कीबाग दुर्गा मंदिर एवं चौहान टोला दुर्गा मंदिर के पंडाल में ढाक वादकों के ढाक वादन के साथ मां काल रात्रि पूजी गयी.
आज जिनकी होगी पूजा मां दुर्गा के उपासक पंडित खोखन भट्टाचार्य बताते हैं कि अष्टमी के दिनआदि शक्ति मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मांमहागौरी की पूजा होती है. पंडित भट्टाचार्यके अनुसार गौर वर्ण की मां महागौरी केवस्त्र और आभूषण सफेद है. इसलिएउन्हें श्वेतांबर भी कहा जाता है. चारभुजाओं वाली मां महागौरी का वाहन
वृषभ है. इनका ऊपर वाला दायां हाथअभय मुद्रा में नीचे वाला हाथ त्रिशूलधारण किये हुए है. ऊपर वाले बायें हाथमें डमरू और नीचे वाला दायें हाथ वरमुद्रा में है. पंडित भट्टाचार्य के अनुसारभगवान शिव को पति स्वरूप पाने के लिएमां महागौरी ने कठोर तपस्या की थी.फलस्वरूप उनका शरीर काला पड़ गयाथा. परंतु माता महागौरी के तपस्या सेप्रसन्न भगवान शिव ने उनके शरीर कोगंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमयबना दिया तब वो महागौरी कहलायी.
साधकों ने रमायी धुनीनवरात्र के सातवें दिन मां काल रात्रि केपूजन के साथ मां उपासकों एवं साधकोंद्वारा शहर के पूजा पंडाल, दुर्गा मंदिर,काली मंदिर एवं महामाया मंदिर में देररात्रि निशा पूजा की गयी. मां के उपासकोंका ऐसा मानना है कि अंधकारमयस्थितियों का विनाश करने वाली मांकाल रात्रि की साधना से मनोवांछितफलों की प्राप्ति के साथ अनिष्टकारीशक्ति से छुटकारा मिलता है. बल्किकाली शक्तियों से सुरक्षा को लेकर काल रात्रि के दिन मां के साधक मांकाल रात्रि की साधना करते हैं.