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कृषि उत्पादन वृद्धि योजना फेल
पूर्णिया : पूर्णिया में कृषि आधारित उद्योग दम तोड़ रहे हैं. प्रमंडल धीरे-धीरे कृषि उद्योगों का कब्रगाह बन कर रह गया है. चीनी मिल, जूट मिल बंद हैं. चावल मिलों के बंद होने का क्रम बदस्तूर जारी है. बिहार विभाजन के बाद पूर्णिया प्रमंडल में कृषि उत्पादन बढ़ाने की योजना टांय-टांय फिस्स हो चुकी है. […]
पूर्णिया : पूर्णिया में कृषि आधारित उद्योग दम तोड़ रहे हैं. प्रमंडल धीरे-धीरे कृषि उद्योगों का कब्रगाह बन कर रह गया है. चीनी मिल, जूट मिल बंद हैं. चावल मिलों के बंद होने का क्रम बदस्तूर जारी है. बिहार विभाजन के बाद पूर्णिया प्रमंडल में कृषि उत्पादन बढ़ाने की योजना टांय-टांय फिस्स हो चुकी है. वैसे भी पूर्णिया प्रमंडल सहित उत्तर बिहार में कृषि आधारित उद्योगों का विकास काफी पीछे है. दुखद पहलू यह है कि प्रमुख फसल धान व गेहूं के उत्पादन दर में भी अपेक्षाकृत बढ़ोतरी नहीं हुई है.
क्या हैं कारण
उर्वर भूमि रहते हुए भी यहां के किसानों को कहीं कोई प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है. मजबूरन लोग बिचौलियों के हाथों अपना माल बेच देते हैं. इतना ही नहीं यहां बंगाल से चावल चला आता है. वह भी सस्ती दर पर.
चावल मिलकर्मी बेकार
मरंगा स्थित रतन राइस मिल में काम करने वाले नइम अभी मिल के आगे चिकेन बेचने को मजबूर हैं. वह कहते हैं कि तीन साल पूर्व उनकी गृहस्थी काफी मजे में थी, जब मिल चालू था. मिल्की निवासी फैयाज को मलाल है कि तीन साल से वह साइकिल मिस्त्री का काम कर जीवन चला रहे हैं. वह बोलते-बोलते रुआंसे हो गये. कहने लगे, न जाने कब वैसा दिन जीवन में फिर से आयेगा.
जूट व ईख से भी मोह भंग
पूर्णिया प्रमंडल क्षेत्र के किसान नकदी फसल जूट और ईख की खेती की ओर से कृषक मुंह मोड़ रहे हैं. इसका कारण है कि इलाके का एक मात्र जूट कारखाना बंद है. चीनी मिल की भी यही हालत है. बनमनखी चीनी मिल को मुख्यमंत्री का आश्वासन मिलने के बावजूद अब तक इसे चालू करने की पहल नहीं हुई है. फारबिसगंज में प्रस्तावित जूट फैक्टरी की फाइलों पर धूल जमा हो रही है.
नहीं लगा फूड प्रोसेसिंग प्लांट
पूर्णिया क्षेत्र एवं परिक्षेत्र कभी केलांचल कहलाता था. अब मक्का क्षेत्र के रूप में बड़ी तेजी से उभर कर सामने आया है. केला की खेती से मार्केटिंग और विपणन की असुविधा के कारण किसान विमुख हो गये. अब पहले जैसी दिलचस्पी किसानों में नहीं दिखती है. यदि मक्का के उत्पादन के साथ भी यही हुआ तो किसान इससे भी विमुख हो जायेंगे. यहां बता दें कि सरकार ने कई बार मक्का प्रोसेसिंग प्लांट लगाने का आश्वासन दिया था जो आज तक अमल में नहीं आ सका.
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