दरअसल एक ही सिंडिकेट के अधीन शराब बंदोबस्ती का कारोबार यहां वर्षो से चल रहा है. अगर शराब कारोबारियों की मानें, तो इस घटना के पीछे एक ही सिंडिकेट का वर्चस्व कायम रहना ही कारण है. कहा जा रहा है कि इस सिंडिकेट में दूसरे पक्ष का घुसपैठ नागवार लग रहा था. शराब कारोबारी चमन सिंह का भी ऐसा ही कहना है.
दूसरी ओर शराब कारोबारी प्रताप सिंह ने चमन सिंह के आरोप को बेबुनियाद एवं मनगढ़ंत बताया है. उन्होंने कहा कि चमन सिंह ने भी उनके भाई पंकज सिंह से टैक्सी स्टैंड के निकट 4 लाख 20 हजार रुपये उस समय छीन लिये जब वह शराब बंदोबस्ती के लिए आवेदन शुल्क जमा कराने उत्पाद कार्यालय जा रहा था. इधर केहाट एसएचओ अशोक कुमार मेहता ने बताया कि 22 लाख लूट की घटना के सभी बिंदुओं की जांच की जा रही है. उत्पाद अधीक्षक मो असलम ने बताया कि 14 मार्च को शराब बंदोबस्ती के लिए लॉटरी निकाली जायेगी. जिले के 135 शराब दुकानों की बंदोबस्ती के लिए सोमवार को आवेदन जमा करने का अंतिम दिन था. सभी दुकानों के बंदोबस्ती के लिए 53 समूह बनाये गये हैं. आवेदन से तीन करोड़ रुपये से अधिक राजस्व प्राप्त होने का अंदाजा है.