जिन लोगों के घर कटे हैं, उनमें लगभग सभी मजदूर परिवार के हैं. गौरतलब है कि ये वाशिंदे पहले नदी के पश्चिम पार में बसे थे, जब वहां उनलोगों के घर वर्ष 1979 में नदी के कटान में विलीन हुआ तब यहां आकर बसे थे. इन वाशिंदों के घर नदी में विलीन होने के बाद वे लोग अब तक खानाबदोश की तरह यत्र-तत्र निवास करने को मजबूर हैं. अब तक कटाव पीड़ित लोग कहीं बस नहीं पाये हैं. गांव में जिन 100 परिवारों का घर नदी कटाव में विलीन नहीं हुआ है उनमें से मौजीब, यारूल, दारूल, भत्ती, लालू, नौशाद, हासीम, अख्तर, अफसर, गुलाम, कैशर, साह आलम, अबु जफर एवं तैयब सहित कई लोगों ने बताया कि उनलोगों को भी कटाव की चिंता सताने लगी है.
उनलोगों का कहना है कि जो हाल करीब दो सौ परिवारों का हुआ अगर वही हाल उन लोगों का हुआ तो वे लोग आखिर कहां जायेंगे. ग्रामीणों ने क्षेत्र का मुआयना कर कटाव रोधक की मांग की है. लोजपा लेबर सेल के जिलाध्यक्ष सलीम, उप जिलाध्यक्ष इफ्तेखार, प्रखंड अध्यक्ष माणिक प्रसाद यादव, बायसी प्रखंड अध्यक्ष शमशाद, सचिव जहांगीर, प्रखंड उपाध्यक्ष बहादुर ने क्षेत्र भ्रमण के बाद कटाव पीड़ितों की सुधि लेने की प्रशासन से मांग की है.