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अनियंत्रित वाहन परिचालन पर नहीं लग रही लगाम

पूर्णिया: इन दिनों शहर में खतरनाक तरीके से वाहन परिचालन की परिपाटी तेज हो गयी है. वाहन चालकों का जल्दबाजी के चक्कर में स्पीड पर कोई नियंत्रण नहीं रह पाता है. ऐसे में आम लोग परेशान होकर रह गये हैं और उनका पैदल चलना मुश्किल हो गया है. ज्ञात हो कि शहर में करीब चार […]

पूर्णिया: इन दिनों शहर में खतरनाक तरीके से वाहन परिचालन की परिपाटी तेज हो गयी है. वाहन चालकों का जल्दबाजी के चक्कर में स्पीड पर कोई नियंत्रण नहीं रह पाता है. ऐसे में आम लोग परेशान होकर रह गये हैं और उनका पैदल चलना मुश्किल हो गया है. ज्ञात हो कि शहर में करीब चार हजार फोर व्हीलर एवं अन्य वाहन हैं.

शहर में पिछले कुछ वर्षो में वाहनों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. वाहनों के हिसाब से ड्राइवर की भी संख्या काफी बढ़ी है. यह अलग बात है कि इन ड्राइवरों को यातायात नियमों की बहुत ज्यादा जानकारी नहीं होती है. ऐसे ड्राइवर जब कभी किसी वाहन का परिचालन करते हैं तो इन्हें होश ही नहीं रहता कि किस रोड पर कितनी स्पीड में गाड़ियां चलानी चाहिए. इन ड्राइवरों को जब किसी रसूखदार व्यक्ति की लग्जरी गाड़ियां हाथ लग जाती है, तो वे जोश में आ जाते हैं कि उन्हें होश ही नहीं रहता है.

दो पहिया की होड़

शहर की सड़कों पर दो पहिया वाहन चालक जिस तरीके से वाहनों का परिचालन करते हैं, उन्हें देख कर लगता है कि मोटरसाइकिल ड्राइविंग नहीं, बल्कि रेसिंग प्रतियोगिता हो रही हो.

अपने मन की करते हैं

शहर की सड़कों पर टेंपो चालकों की मनमानी चलती है. शहर में यातायात का मुख्य साधन टेंपो है. चाहे गुलाबबाग, खुश्कीबाग, कोर्ट स्टेशन या फिर बस स्टैंड जाना हो, सभी जगहों के लिए टेंपो ही एक सर्वसुलभ साधन है. लेकिन इनके चालकों को यह खुद भी पता नहीं होता कि कहां रुकना है और किस रफ्तार में चलना है. थोड़ी सी भी जगह मिलने पर ओभरटेक करना इनकी नियति बन गयी है.

ट्रैक्टर चालकों की मनमानी

शहर के मधुबनी चौक से लेकर गिरिजा चौक, फोर्ड कंपनी, लाइन बाजार आदि जगहों पर ट्रैक्टर चालक बेफिक्र होकर वाहन चलाते हैं. उनके वाहनों पर इतने माल लदे होते हैं कि ड्राइवर को पीछे कुछ भी पता नहीं चल पाता है. ऐसे में वे न तो पीछे के वाहनों के हॉर्न की आवाज सुनते हैं और न ही साइड देते हैं. वहीं गुलाबबाग मंडी नजदीक होने के कारण शहर में सैकड़ों ट्रैक्टरों का आना और जाना लगा रहता है. ट्रैक्टर चालक अपने को किसी लग्जेरियस गाड़ी के चालक से कम नहीं समझते और उसी रफ्तार में ट्रैक्टर का परिचालन भी करते हैं. इनको भीड़-भाड़ और खाली सड़क में कोई अंतर मालूम नहीं पड़ता.

थाने वाले भी मौन

प्रत्येक थानाध्यक्षों को खतरनाक वाहन परिचालन पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया था. मगर थाने वाले चुप हैं. फलत: शहर की सड़कों पर न सिर्फ अनुशासन समाप्त हो गया है बल्कि ट्रैफिक रूल भी मेनटेन नहीं हो पाता.

शहरवासी हलकान:

पैदल यात्री की परेशानी

खास कर गिरिजा चौक से श्रीनगर, मीरगंज आदि जगहों के लिए खुलने वाली टेंपो और छोटे वाहन जहां-तहां खड़ी रहती है या यात्रियों की खोज में इधर-उधर दौड़ती रहती है. जिससे सड़क पर चलने वाले पैदल यात्रियों सहित अन्य वाहन चालकों को काफी परेशानी होती है. यही हाल आर एन साह, बस स्टैंड, लाइन बाजार का भी है. बस चालक गाड़ी बस स्टैंड से निकाल कर सड़कों पर खड़ा कर देते हैं जिससे अगल-बगल हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है. पैदल चलने वाले और टू व्हीलर चालक हमेशा अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं.

टेंपो चालक भी परेशान

आये दिन टेंपो चालक और दुकानदारों के बीच तनाव की स्थिति बनी रहती है. वे कहते हैं कि प्रतिदिन नगर निगम को टैक्स देते हैं तो झमेला क्यों सहें?

व्यवसायी परेशान

गिरजा चौक के तीन तरफ रोड किनारे टेंपो स्टैंड बनना और प्रधान डाक घर कार्यालय के सामने बस स्टैंड का रूप बन जाना आम नागरिकों, वाहन चालकों और आस-पास व्यवसाय करनेवाले व्यवसायी के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है.

सहम जाते हैं लोग

वाहनों की अनियंत्रित गति पर प्रशासन एवं विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है. इन वाहनों की स्पीड को देख कर आस-पास चलने वाले लोग सहम जाते हैं. शहर के मधुबनी चौक, गिरिजा चौक, लाइन बाजार हो या आर एन साह चौक, सभी जगहों पर इनकी रफ्तार हाइवे वाली होती है. शहर के मुख्य मार्गो पर इन वाहनों के सामने से आ रहा कोई वाहन चालक यदि थोड़ी सी भी चूक करता है तो उसका परिणाम सड़क दुर्घटना के रूप में सामने आता है.

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