* भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव ने भूमि अधिकार संकल्प सभा को किया संबोधित
धमदाहा : बिहार में अन्याय का पुलिसिया राज चल रहा है. धमदाहा से बगहा तक की तसवीर बताती है कि पुलिस बेलगाम हो गयी है. पुलिस प्रशासन दबंगों की गोद में चली गयी है और उठते जन प्रतिरोध को गोलियों से दबाया जा रहा है.
फारबिसगंज, खगड़िया, मधुबनी और कुकरौन कांड में पुलिस पर अभी तक कार्रवाई नहीं होने के चलते पुलिस का मनोबल परवान चढ़ा हुआ है. उक्त बातें भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कही. धमदाहा प्रखंड स्थित हाई स्कूल मैदान में आयोजित भूमि अधिकार संकल्प सभा को संबोधित करते हुए माले का राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि आज नीतीश जी के सुशासन में आम जनता की शिकायत को सुना नहीं जाता है.
एक तरफ जहां धमदाहा की आदिवासी महिलाओं बच्चों के साथ पुलिस बर्बरता पूर्वक पेश आ रही है. वहीं दूसरी तरफ बगहा में थारू आदिवासी समुदाय पर बर्बरता पूर्वक गोली चलाने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि देश में यदि कहीं सबसे ज्यादा जमीन की लूट गयी है तो वह पूर्णिया में हुई है.
भूमि सुधार के लिए बनाये गये बंदोपाध्याय आयोग के रिपोर्ट को राज्य सरकार ने रद्दी टोकरी में फेंक दिया है, जिस वजह से राज्य में आज भूविवाद को बढ़ावा मिल रहा है. उन्होंने कहा कि लालू जी के शासन में रणवीर सेना जनसंहार करती थी, लेकिन आज नीतीश जी के शासन में वर्दीधारी गुंडे जनसंहार करने का काम कर रही है.
गत दिन बगहा में हुए बर्बर गोलीकांड के विरोध में आगामी 27 जून को बिहार बंद का आह्वान करते हुए राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि बिहार के तमाम गरीबों को भाकपा (माले) के नेतृत्व में सरकार के खिलाफ साझा आंदोलन छेड़ना होगा. उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों को भी सिर्फ कुरसी की चिंता है.
आम जनता के रोजी- रोटी और विकास के सवालों से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य में चल रहा अवसरवादी सत्ता का गठजोड़ अपने बोझ तले टूटा है और अब उसे सैद्धांतिक जामा पहनाया जा रहा है.
मंच का संचालन करते हुए माले जिला सचिव ललन सिंह ने कहा कि 42 वर्ष पूर्व रूपसपुर चंदवा में जिस प्रकार जमींदारों ने आदिवासियों की निर्मम हत्या की थी उसी का प्रतिशोध में किशनपुर बलवा में आदिवासियों ने जैना की हत्या की है. उन्होंने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि कुकरौन में आदिवासियों ने जैना को बंधक लगाने के बाद पुलिस को खबर दी थी.
अगर सही समय पर पुलिस प्रशासन आदिवासियों के पास पहुंच जाती तो जैना मंडल बच सकता था. वहीं सभा को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद सह खेमस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद ने कहा कि नीतीश सरकार के इस सुशासन में अत्याचारियों को खुली छूट दे दी गयी है. सभा को संबोधित करते हुए एपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि सरकार एक तरफ जहां महिला सशक्तिकरण का ढिंढोरा पीट रही है.
वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में सबसे ज्यादा अत्याचार महिलाओं पर ही हो रहा है. सभा को कामरेड धिरेंद्र झा, जमुना मूमरू आदि ने संबोधित किया. सभा में बारिश के बावजूद हजारों महिला व पुरुष घंटों अपने नेता का सुनने के लिए बैठे रहे. सभा को संबोधित करते हुए खेमस के राष्ट्रीय महासचिव धीरेंद्र झा ने कहा कि बंदोपाध्याय आयोग ने अपने रिपोर्ट में कहा था कि चंपारण से लेकर पूर्णिया तक स्टेटों का राज्य चल रहा है.
पूर्णिया में तीन लाख एकड़ जमीन को जमींदारों ने कुत्ता, बिल्ली, गाय यहां तक कि अपने इष्ट देवों के नाम तक पर छुपा रखा है. अगर इस जमीन को गरीब भूमिहीनों के बीच सरकार बांट देती है तो कोई भी गरीब भूमिहीन नहीं रहेगा और न ही भू विवाद की कोई समस्या रहेगी.