पूर्णिया : बुधवार से शुरू हुई दवा विक्रेताओं की हड़ताल का खामियाजा कई रोगियों को भुगतना पड़ा. डाक्टर का पुर्जा लेकर मरीजों के परिजन घंटों भटकते रहे पर उन्हें दवा उपलब्ध नहीं हो सकी. हालांकि इमरजेंसी दवा के लिए शहर में अलग-अलग तीन दुकानें खुली रहीं पर इसके बावजूद कई लोगों को डाक्टर के पुर्जे के हिसाब से दवा नहीं मिल सकी. जरुरत की दवा नहीं मिलने के कारण लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी.
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परेशानी: बहुत ढूंढ़ा पर नहीं मिली दवा, तो निराश हो बैरंग घर लौट गये रोगियों के परिजन
पूर्णिया : बुधवार से शुरू हुई दवा विक्रेताओं की हड़ताल का खामियाजा कई रोगियों को भुगतना पड़ा. डाक्टर का पुर्जा लेकर मरीजों के परिजन घंटों भटकते रहे पर उन्हें दवा उपलब्ध नहीं हो सकी. हालांकि इमरजेंसी दवा के लिए शहर में अलग-अलग तीन दुकानें खुली रहीं पर इसके बावजूद कई लोगों को डाक्टर के पुर्जे […]
बुधवार को लाइन बाजार में डाक्टर का पुर्जा लेकर भटक रहे गोकुलपुर से आए दीपक कुमार ने बताया कि उसने हड़ताल में खुली हुई तीनों दुकानों में प्रयास किया पर कहीं भी डाक्टर की पुर्जी में लिखी दवा नहीं मिली. दुकानदार ने उन्हें बताया कि यह दवा उपलब्ध नहीं है.
इसी तरह रामबाग के भरती जी और बरसौनी के साहिल आलम भी लाइन बाजार से जिला स्कूल रोड तक दिन भर दवा के लिए परेशान रहे. फलका से आए मो. जफर ने बताया कि उनकी मां बीमार है और दवा की सख्त जरुरत है. मगर, यहां सभी दुकानें बंद हैं. इमरजेंसी के लिए जिन दुकानों को खुला रखा गया है वहां यह दवा उपलब्ध ही नहीं है.
उसने बताया कि फलका से चल कर वह दवा के लिए पूर्णिया आ गये पर कहीं भी दवा नहीं मिल सकी. उफरैल के उमेश मंडल के अलावा हरदा के गुलाब टुड्डू और सरसी के सुमन सिंह भी दवा के लिए लाइन बाजार की खाक छानते रहे पर दवा नहीं मिल सकी. उनका कहना है कि तीन दुकानें खुली जरुर हैं पर पुर्जे में लिखी दवा उन दुकानों में नहीं है.
गौरतलब है कि लाइन बाजार का इलाका मेडिकल हब माना जाता है जहां न केवल पूर्णिया बल्कि आस पास के जिलों के लोग भी इलाज के लिए आते हैं.
जानकारों की मानें तो व्यावहारिक तौर पर स्थानीय डाक्टरों द्वारा लिखी जाने वाली कुछ दवाएं एेसी हैं जो हर जगह नहीं मिलतीं. मरीज यहां से अपने घर वापस भी चले जाते हैं तो दवा खरीदने के लिए उन्हें लाइन बाजार ही आना पड़ता है. हमेशा की तरह बुधवार को भी इस तरह के कई रोगियों के परिजन दवा के लिए लाइन बाजार पहुंच गये थे जो दवा नहीं मिल पाने के कारण काफी निराश होकर लौटे.
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