पूर्णिया : शहर मुख्यालय में अधिकांश म्यूटेशन के मामले लंबित चल रहे हैं. इससे आम लोगों की परेशानी बढ़ी है. लगान निर्धारण में संबंधित अधिकारियों की भी माथापच्ची काफी ज्यादा हो रही है. ऐसे में जानकार लोग निजी स्तर पर अपना लगान निर्धारण करवा लेते हैं और अधिकांश लोग जानकारी के अभाव में भटकते ही रह जाते हैं.
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ऑनलाइन म्यूटेशन : खतियान में नहीं है लगान निर्धारित, हो रही परेशानी
पूर्णिया : शहर मुख्यालय में अधिकांश म्यूटेशन के मामले लंबित चल रहे हैं. इससे आम लोगों की परेशानी बढ़ी है. लगान निर्धारण में संबंधित अधिकारियों की भी माथापच्ची काफी ज्यादा हो रही है. ऐसे में जानकार लोग निजी स्तर पर अपना लगान निर्धारण करवा लेते हैं और अधिकांश लोग जानकारी के अभाव में भटकते ही […]
ऐसा नहीं कि यहां म्यूटेशन नहीं होता. ग्रामीण इलाके के आवेदनों पर विचार किया जाता है और सामान्यतया पूर्व की भांति म्यूटेशन कर लिया जाता है. लेकिन शहरी इलाके में म्यूटेशन के मामले पर ग्रहण लगा हुआ है.
इसकी गति काफी मंथर है. ऐसे में पूर्णिया शहर के लोग परेशान नजर आ रहे हैं. अभी तक पूर्णिया पूर्व अंचल में 10 हजार 676 ऑनलाइन म्यूटेशन के आवेदन आये हैं. इनमें से मात्र दो हजार 621 मामलों का ही निष्पादन हो पाया है. आंकड़े बताते हैं कि पांच हजार एवं 35 ऑनलाइन म्यूटेशन के आवेदन लंबित हैं.
तकनीकी नजरिये से देखें तो 18 दिनों से अधिक बगैर किसी दावा आपत्ति के तीन हजार 722 मामले लंबित हैं. इससे भी गंभीर मसला है कि सात सौ 70 ऑनलाइन म्यूटेशन के मामले 60 दिनों से भी ज्यादा समय से फाइलों की धूल फांक रहे हैं. आंकड़ों के आइने में पूर्णिया पूर्व अंचल में तीन हजार 20 मामले रिजेक्ट दिखाये गये हैं. इस प्रकार रिजेक्टेड आवेदनों की संख्या 30 फीसदी से कम नहीं हैं.
ज्ञात हो कि पूर्णिया जिले में अमूमन 14 लाख से अधिक जमाबंदी रजिस्टर-2 में दर्ज है. इनमें से कम से कम 70 हजार जमाबंदी पूर्णिया पूर्व अंचल का है.
छह माह से म्यूटेशन बाधित
पूर्णिया शहर में पिछले छह माह से म्यूटेशन बाधित है. इसके पहले म्यूटेशन होता था लेकिन भू-लगान की रसीद नहीं कटती थी. सिर्फ शुद्धि पत्र देकर म्यूटेशन कर दिया जाता था. ऐसे में बगैर रसीद के म्यूटेशन होना अवैधानिक बताया गया और उसी के आधार पर म्यूटेशन तत्काल भी बंद कर दिया गया. लेकिन कुछ दिनों बाद इसमें सुधार किया गया. म्यूटेशन शुरू किया गया तो उसमें कहा गया कि लगान निर्धारण करने के लिए भी आवेदन देना होगा.
अब यह बात किसी को समझ में नहीं आती कि सरकार को लगान देना है तो सरकार लगान निर्धारण क्यों नहीं करती? खुद भूधारी क्यों अगर शहरी जमीन का लगान खुद पोशिंदा को करनी है तो यही प्रावधान ग्रामीण इलाके में क्यों नहीं है? ग्रामीण इलाके में राजस्व कर्मचारी स्वत: क्यों दर तय करते हैं? अगर वहां राजस्व कर्मचारी सब कुछ स्वयं देखते हैं तो नगर निगम क्षेत्र में भी ऐसा ही होना चाहिए.
कहते हैं अधिकारी
पंचायतों को एक साथ टैग कर राजस्व कर्मचारियों को भार दिया गया है. पूरी पारदर्शिता से काम करने कहा गया है. इसमें कहीं से कोई शिकायत आती है तो सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जायेगी.
दीपक कुमार, सीओ, पूर्णिया पूर्व
10 हजार 676 आवेदनों में से सिर्फ दो हजार 621 का ही निष्पादन
पूर्णिया पूर्व अंचल में म्यूटेशन के तीन हजार 20 मामले रिजेक्ट
पांच हजार 35 ऑनलाइन म्यूटेशन के आवेदन पड़े हैं लंबित
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