वर्ष 2015-16 में आया था टैक्स वृद्धि का आदेश
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संपत्ति कर को लेकर विरोध की सुगबुगाहट शुरू
वर्ष 2015-16 में आया था टैक्स वृद्धि का आदेश वर्ष 2017 में टैक्स वृद्धि पर मोर्चा ने शुरू किया था संघर्ष बोर्ड की बैठक में हंगामे के बाद बोर्ड ने टैक्स वापसी का लिया था फैसला 2016 में मोर्चा ने उच्च न्यायालय में दायर की थी याचिका पूर्णिया : नगर निगम में संपत्ति कर को […]
वर्ष 2017 में टैक्स वृद्धि पर मोर्चा ने शुरू किया था संघर्ष
बोर्ड की बैठक में हंगामे के बाद बोर्ड ने टैक्स वापसी का लिया था फैसला
2016 में मोर्चा ने उच्च न्यायालय में दायर की थी याचिका
पूर्णिया : नगर निगम में संपत्ति कर को लेकर एक बार फिर विरोध की सुगबुगाहट आरंभ हो गयी है. गत वर्ष भी यह मामला सामने आया था और उसके बाद निगम के बोर्ड की बैठक में हंगामा भी हुआ था. वर्तमान में एक बार फिर से निगम द्वारा नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा जारी निर्देश के बाद शहर में पर्ती जमीन और भवनों के बढ़े हुए टैक्स वसूले जाने से नगर संघर्ष मोर्चा एक बार फिर से आंदोलन की तैयारी में जुट गया है. फिलहाल मोर्चा ने नगर आयुक्त, नगर निगम को आवेदन सौंप बढ़े हुए दर पर टैक्स वसूली का विरोध जताया है और उसकी जांच करा कर वसूली पर रोक लगाने की मांग की है.
इस संबंध में नगर संघर्ष मोर्चा के सदस्य गौतम वर्मा ने बताया कि शहर में सड़कों का वर्गीकरण निगम ने आनन फानन में किया और टैक्स उसी आधार पर लगा दिया. कहा कि इसकी सत्यता के बगैर नगर विकास विभाग ने होल्डिंग टैक्स में भारी भरकम वृद्धि कर इसे आम जनता पर थोप दिया. उन्होंने कहा कि इस मसले पर मोर्चा उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर किया है. बावजूद निगम वसूली करने में जुटा है जो कानून संगत नहीं है.
घोषणा के साथ ही शुरू हुआ था विरोध
शहर में होल्डिंग टैक्स में भवन के खाली जमीन और पर्ती जमीनों पर भी टैक्स और टैक्स वृद्धि की घोषणा के बाद नगर संघर्ष समिति ने इसका विरोध शुरू किया था. इस संघर्ष में आम जनता और कई सामाजिक संगठनों का साथ मिला और टैक्स वृद्धि के खिलाफ यह आंदोलन लंबे समय तक चला था. ठीक उसी समय निगम के चुनाव की घोषणा से वार्ड पार्षदों को भी पसीने आने लगे थे. क्योंकि उनके ही कार्यकाल में सड़कों का वर्गीकरण हुआ था और उसकी संपुष्टि कर नगर विकास एवं आवास विभाग को यह रिपोर्ट भेजी गयी थी. जिसे बाद में टैक्स में वृद्धि की वजह मानी गयी.
मोर्चा ने उच्च न्यायालय में दायर किया रिट
बोर्ड की बैठक में हुए निर्णय और उसकी संपुष्टि के बाद भी जब यह टैक्स वृद्धि का मामला सुलझता नहीं दिखा तो नगर संघर्ष मोर्चा ने पटना उच्च न्यायालय में सीडब्ल्यूजेसी नंबर 3066/ 2016 के तहत याचिका दायर की. जिसमें न्यायालय ने अर्बन डेवलपमेंट विभाग के पास इस मामले को भेजा, लेकिन वहां भी मामला पेच में फसा रहा. लेकिन मोर्चा ने इंतजार के बजाय एक बार फिर से अपनी लड़ाई को जारी रखते हुए उच्च न्यायालय में सीडब्ल्यूजेसी नंबर 15533/ 2016 याचिका दायर कर अपने संघर्ष को मुकाम तक पहुंचने की पहल बरकरार रखा है.
निगम की बैठक में भी हुआ था हंगामा
मोर्चा के आंदोलन का असर ही था कि नगर निगम के उस कार्यकाल की अंतिम बैठक 14 मार्च 2016 को बोर्ड की बैठक हंगामेदार रही थी. पार्षद सरिता राय ,आशीष पोद्दार सहित दर्जनों पार्षदों ने टैक्स वृद्धि का जम कर विरोध किया था. सडकों के वर्गीकरण रिपोर्ट पर आपत्ति के बाद नये सिरे से सर्वे कराने और रिपोर्ट विभाग को भेजने के निर्णय के बाद बैठक समाप्त हुई. बैठक समाप्ति के बाद कार्यवाही पंजी में भी यह स्पष्ट रूप से लिखा गया कि भवनों के खाली जमीन और पर्ती जमीनों को कर मुक्त रखने की अनुशंसित रिपोर्ट नगर विकास विभाग को भेजी जायेगी. उसके बाद आंदोलन को विराम मिला था.
निगम मामले में जता रही है अनभिज्ञता
जानकारी अनुसार नगर संघर्ष मोर्चा की दूसरे याचिका के बाद न्यायालय में निगम को काउंटर एफिडेविट जमा करना है. जिसके बाद मामले की सुनवाई प्रारंभ होनी है. जो महीनों बाद भी निगम द्वारा नहीं जमा की गयी है. इस मामले में विचारणीय बात यह है कि नगर निगम के अधिकारियों को उच्च न्यायालय में दायर याचिका में शपथ पत्र दायर करने की सूचना सहायक निदेशक, नगर विकास एवं आवास विभाग, अरविंद कुमार झा ने 15 सितंबर 2016 और 16 दिसंबर 2016 के निर्गत अपने पत्र में नगर निगम को दिया है. बावजूद इसके निगम के अधिकारियों ने अब तक शपथ पत्र दायर नहीं किया है बल्कि इसकी जानकारी से भी इंकार कर रहे हैं .
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