शहर कैसे बने सुंदर. शहर में ही रह जाता है विभिन्न वार्डों से निकाला गया कचरा
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एनजीओ की चल रही मनमानी, डंपिंग जोन में तब्दील हो गया शहर का बाहरी इलाका
शहर कैसे बने सुंदर. शहर में ही रह जाता है विभिन्न वार्डों से निकाला गया कचरा दुर्गंध के कारण नाक ढक कर गुजरना पड़ता है शिवम जन स्वास्थ्य संस्थान और पंच फाउंडेशन के पास है कचरा उठाव की जिम्मेदारी पूर्णिया : स्मार्ट सिटी की प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने के बाद शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने […]
दुर्गंध के कारण नाक ढक कर गुजरना पड़ता है
शिवम जन स्वास्थ्य संस्थान और पंच फाउंडेशन के पास है कचरा उठाव की जिम्मेदारी
पूर्णिया : स्मार्ट सिटी की प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने के बाद शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने के उद्देश्य से नगर निगम ने वार्डों में घर-घर कचरे के उठाव की शुरुआत की. यह दो चरणों में आरंभ हुआ. शहर के वार्डों से कचरा उठाव की जिम्मेदारी एनजीओ शिवम जन स्वास्थ्य संस्थान और पंच फाउंडेशन को सौंपी गयी. नगर निगम के पास कचरे के लिए डंपिंग यार्ड मौजूद नहीं है, लिहाजा दोनों संस्थान से जब करार किया गया था तो संस्थाओं ने लिखित तौर पर बताया था कि उनके पास कचरे की डंपिंग के लिए अपनी जगह है,
लेकिन अब दोनों संस्थान मनमानी पर उतर आये हैं और घरों से उठाने वाले कचरे को शहर में ही यत्र-तत्र फेंका जा रहा है. इससे न केवल पर्यावरण पर प्रतिकूल असर हो रहा है, बल्कि शहर की खूबसूरती पर भी बट्टा लग रहा है. डंपिंग यार्ड बनाने के लिए नगर निगम के पास बजट का प्रावधान है और इसके लिए जो कवायद आरंभ की गयी, वह तकनीकी पेच में फंस कर रह गयी है, लेकिन दोनों कचरा उठाने वाली संस्था की मनमानी की वजह से शहर का कई इलाका डंपिंग जोन में तब्दील हो गया है और इससे आसपास के लोग परेशान हैं.
स्थान: नेवालाल चौक
शहर के नेवालाल चौक से गुलाबबाग जाने वाली सड़क का आज कल डंपिंग यार्ड के रूप इस्तेमाल हो रहा है. शहर के मुहल्ले से जमा कूड़े को सड़क किनारे गिरा दिया जाता है. इसके दुर्गंध के कारण लोग रूमाल से नाक ढक कर गुजरते हैं. स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि जब भी हवा चलती है तो दुर्गंध की वजह से उन्हें व्यापार करने में काफी परेशानी होती है, लेकिन सफाई से जुड़े कर्मी उनकी समस्या को दरकिनार कर रोजना गैस गोदाम से लेकर नदी के किनारे तक कचरा फेंक रहे हैं.
स्थान: मधुबनी-बनभाग सड़क
राष्ट्रीय राजमार्ग 107 पर मधुबनी और बनभाग के बीच कचरा फेंका जा रहा हैं. एनएच के दोनों किनारे पर कूड़े के टीले बने हुए हैं. इसके पास कुत्ते और अन्य जानवर पड़े रहते हैं. सफाई कर्मी से जब सड़क किनारे कूड़ा डालने के कारणों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया की निगम और सफाई का जिम्मा संभालने वाले एनजीओ के अधिकारियों ने उन्हें कचरा गिराने के लिए कोई निश्चित जगह नहीं उपलब्ध करायी है. इस वजह से यहां कचरा फेंकना मजबूरी है.
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