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समाज को आईना दिखाने का सशक्त माध्यम है मीडिया: डीएम

समाहरणालय के सभा कक्ष में हुआ प्रेस दिवस का आयोजन हाल के दिनों में मीडिया के सामने चुनौतियां बढ़ी है और उन चुनौतियों का बखूबी सामना पत्रकार कर भी रहे हैं, क्योंकि लोगों को मीडिया से बड़ी उम्मीदें हैं. पूर्णिया : समाहरणालय स्थित सभा कक्ष में गुरुवार को प्रेस दिवस का आयोजन जिलाधिकारी प्रदीप कुमार […]

समाहरणालय के सभा कक्ष में हुआ प्रेस दिवस का आयोजन

हाल के दिनों में मीडिया के सामने चुनौतियां बढ़ी है और उन चुनौतियों का बखूबी सामना पत्रकार कर भी रहे हैं, क्योंकि लोगों को मीडिया से बड़ी उम्मीदें हैं.
पूर्णिया : समाहरणालय स्थित सभा कक्ष में गुरुवार को प्रेस दिवस का आयोजन जिलाधिकारी प्रदीप कुमार झा की अध्यक्षता में किया गया. इस मौके पर परिचर्चा का आयोजन भी हुआ, जिसका विषय ‘ मीडिया के सामने चुनौतियां ‘ था. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीएम श्री झा ने कहा कि समाज को आईना दिखाने का सशक्त माध्यम मीडिया है और वक्त के साथ इसकी जिम्मेदारी भी बढ़ी है.
इसमें कोई शक नहीं कि मीडिया के सामने हाल के दिनों में चुनौतियां भी बढ़ी है और उन चुनौतियों का बखूबी सामना पत्रकार कर भी रहे हैं. क्योंकि लोगों को मीडिया से बड़ी उम्मीदें हैं. अपर समाहर्ता डा रवींद्र नाथ ने मीडिया के सहयोग की चर्चा करते हुए कहा कि भविष्य में भी ऐसी ही उनसे उम्मीदें हैं. वहीं डीडीसी रामशंकर ने प्रेस दिवस पर मीडियाकर्मियों को बधाई दी.
जबकि जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रवींद्र कुमार ने कहा कि खबर सकारात्मक और नकारात्मक हो सकती है, लेकिन नजरिया सकारात्मक होना चाहिए. वरिष्ठ पत्रकार गंगा चौधरी ने मीडिया के सामने व्याप्त चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि पत्रकार माफियाओं के निशाने पर हैं. ऐसे में प्रशासनिक ओहदेदारों को पत्रकारों को सहयोग व संरक्षण प्रदान करना चाहिए. कहा कि बिना संरक्षण के पत्रकार आसानी से टारगेट किये जाते हैं. वहीं कमल आनंद ने प्रशासन और पत्रकार को एक दूसरे का पूरक बताते हुए कहा कि प्रेस दिवस के मौके पर महज खानापूर्ति की जाती है, जबकि पत्रकारों की बेहतरी के लिए इस मौके पर विचार होना चाहिए.
हीं राजेश शर्मा ने प्रेस दिवस मनाने की परंपरा का जिक्र करते हुए कहा कि प्रशासन और पत्रकार के बीच दूरियां खत्म होनी चाहिए और पत्रकारों को भी अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए. जबकि राजेंद्र पाठक ने कहा कि पत्रकारिता रोज का साहित्य है, जो दुर्भाग्यवश आम आदमी से अलग होता नजर आ रहा है. जबकि गिरते और सूख रहे सवालों को उठाने की जरूरत है. वहीं अनिल तिवारी ने नकारात्मक के साथ-साथ सकारात्मक रिपोर्टिंग की आवश्यकता पर जोर दिया.
जबकि संजय कुमार ने कहा कि इस दौर में फर्जी और असली पत्रकारों के बीच फर्क करना मुश्किल हो गया है, जो एक अलग प्रकार की चुनौती है. इस मौके पर पंकज भारतीय, राजेश झा, अभय सिन्हा, वासुमित्र, मनोज मिश्रा, संतोष नायक, प्रवीण कुमार, दिलीप राज, प्रफुल्ल ओंकार, मलय झा, अमित कुमार, राजीव कुमार, राजकिशोर गुप्ता, अविनाश कुमार, नीलांबर, विनीत कुमार आदि उपस्थित थे.

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