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ट्रेन पकड़ना है, तो रात भर जागते रहिए

जाएं तो जाएं कहां. ट्रेन परिचालन के नाम पर खानापूर्ति, सड़क गड्ढे में तब्दील एनएच 107 की खस्ताहाली व पूिर्णया-सहरसा मार्ग पर ट्रेनों की कमी के कारण लोगों को 105 किमी के सफर में आठ घंटे लग रहे हैं. इस कारण एक तरफ सुिवधा में कमी तो ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ […]

जाएं तो जाएं कहां. ट्रेन परिचालन के नाम पर खानापूर्ति, सड़क गड्ढे में तब्दील
एनएच 107 की खस्ताहाली व पूिर्णया-सहरसा मार्ग पर ट्रेनों की कमी के कारण लोगों को 105 किमी के सफर में आठ घंटे लग रहे हैं. इस कारण एक तरफ सुिवधा में कमी तो ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है.
पूर्णिया / जानकीनगर : कहते हैं कि रोजमर्रे की जिंदगी में सड़क जिंदगी की धड़कन और रेल लोगों की लाइफलाइन होती है. अगर यह सच है, तो जिले के लोगों की धड़कन बंद होने के कगार पर है और लोगों की लाइफलाइन रेल मंत्रालय और राजनेताओं के आश्वासन के बीच दम तोड़ रहा है. यह विडंबना ही है कि पूर्णिया-बनमनखी रेलमार्ग के ब्रॉडगैज पर आवागमन आरंभ हुए लगभग डेढ़ वर्ष बीतने को हैं और यहां ट्रेनों की संख्या इतनी सीमित है कि उसे महज खानापूर्ति ही कही जा सकती है.
यह अलग बात है कि अलग-अलग राजनेता अलग-अलग सब्जबाग दिखाते रहे हैं, जो हकीकत से कोसों दूर है. ट्रेन पकड़ने के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है और कुछ ट्रेनों की समय सारिणी ऐसी है कि उसके होने या न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. कुछ ऐसी ही हालत पूर्णिया और सहरसा को जोड़ने वाली एनएच 107 की है, जिसे देख कर यह बताना मुश्किल है कि गड्ढे में सड़क है या सड़क में गड्ढ़ा मौजूद है. वहीं इस वजह से व्यवसाय पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है.
आठ घंटे में तय होती है 105 किलोमीटर की यात्रा : पूर्णिया से सहरसा की दूरी करीब 105 किलोमीटर की है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की यात्रियों को इसे तय करने में आठ घंटे का वक्त लगता है. गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 107 की सड़कें जब चिकनी हुआ करती थीं तो गाड़ियां इस दूरी को महज ढाई से तीन घंटों के अंदर तय कर लिया करती थी. लेकिन वर्तमान स्थिति इसके ठीक उलट है. बनमनखी के धरहारा से निकलने के बाद खुंटहरी, मोहनिया, चोपड़ा बाजार, जानकीनगर, बिनोबाग्राम, आजाद चौक, मिड़चाईबाड़ी, चांदपुर भंगहा एवं चैनपुरा तक सड़क है भी या नहीं, कुछ पता ही नहीं चलता है. बीते छह माह से पूरी तरह जर्जर हो चुके राष्ट्रीय उच्च पथ पर तीन से चार फीट तक का गड्ढा बन गया है.
एनएच को छोड़ एप्रोच पथ से हो रहा आवागमन : पूर्णिया से सहरसा जाने वाले यात्री बस एवं हल्के वाहन एनएच 107 की जगह गांवों से गुजरने वाली प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री संपर्क सड़क होकर चलने लगी है. खास कर चोपड़ा बाजार से लेकर मुरलीगंज तक तो इस राजमार्ग की हालत इतनी बदतर है कि बस विश्वकर्मा चौक से मुड़ कर इटहरी होते हुए बिनोबा ग्राम एवं आजाद चौक से होकर जानकीनगर, सहुड़िया, रूपौली और बेलतरी होते हुए मिड़चाईबाड़ी से गंगापुर मुरहो टोला,
नौलखी एवं चैनपुरा के रास्ते मुरलीगंज की दूरी तय करती है. यानी चोपड़ा बाजार से मुरलीगंज जिसकी दूरी 12 किलोमीटर की है उसके लिए लोगों को 30 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता है. जानकार बतलाते हैं कि सहरसा-पूर्णिया एनएच के निर्माण की प्रक्रिया बहरहाल टेंडर से भी बाहर नहीं निकल पायी है. एक बार पहले टेंडर हुआ भी, लेकिन तकनीकी कारणों से उसे रद्द कर दिया गया.
एनएच 107 पर ट्रक परिचालन मतलब लोगों की जान से खेलने का व्यवसाय
दिन में सहरसा के लिए महज दो ट्रेनें
पूर्णिया-सहरसा मार्ग पर ट्रेन के परिचालन की जो समय सारिणी है, वह बड़ा ही अजीबो-गरीब है. सीधा मतलब यह है कि अगर आपको इस रूट पर ट्रेन पकड़नी है तो रात में भी जागते रहिये.
सहरसा से पूर्णिया के लिए रात्रि में 01:15 बजे ट्रेन खुलती है, तो दूसरी सुबह छह बजे खुलती है. जबकि कोसी एक्सप्रेस आधी रात के बाद ही पटना के लिए रवाना होती है. इधर, जानकी एक्सप्रेस कटिहार से रात के 12:30 बजे सहरसा के लिए खुलती है. पूर्णिया से सहरसा के लिए सुबह 06 बजे के बाद दिन के 10 बजे और फिर 07 बजे शाम में ही ट्रेन उपलब्ध है. कहां तो पूर्णिया-सहरसा के रास्ते अगरतल्ला-नयी दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस चलने की बातें चर्चा में थी, लेकिन वह हसरत भी अधूरी रह गयी.
कारोबार हुआ प्रभावित
एनएच 107 के जर्जर होने से सबसे अधिक व्यापार प्रभावित हुआ है. हाल यह है कि मालवाहक भारी वाहन बनमनखी से पूर्णिया तक जाने से परहेज करते हैं. इसका व्यापक असर ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर पड़ा है. भारी वाहन चालक अब इस रास्ते से गुजरना नहीं चाहते हैं. लिहाजा व्यवसाय के सभी क्षेत्र में व्यापक असर पड़ा है.
जानकीनगर स्थित राधा भूपेंद्र पेट्रोलियम के संचालक अनिल कुमार कहते हैं कि 50 फीसदी से अधिक भारी वाहनों के परिचालन में कमी आयी है, जिससे पंप के कारोबार पर भी असर पड़ा है. ट्रक व्यवसायी विनोद बाफना के अनुसार ‘ एनएच 107 पर ट्रक चलवाना खतरों से खेलने के बराबर है. आलम यह है कि जब से सड़क जर्जर हुई है, आमदनी से अधिक नुकसान हुआ है ‘ . जानकीनगर से मुरलीगंज के बीच ऑटो चलाने वाले सुमन सिंह कहते हैं ‘ कोई अब ऑटो पर बैठना नहीं चाहता है. डर रहता है कि कहीं भी दुर्घटना हो जायेगी.

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