पूर्णिया : पूर्णिया प्रमंडल के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों का स्मार्ट क्लास में शिक्षा ग्रहण करने का सपना पूरा होने से पहले ही टूट गया. सरकारी उदासीनता और लेटलतीफी की वजह से मध्य विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र प्रोजेक्टर और लैपटॉप से सुसज्जित कक्षा में बैठने से वंचित रह गये. दरअसल, केंद्र सरकार […]
पूर्णिया : पूर्णिया प्रमंडल के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों का स्मार्ट क्लास में शिक्षा ग्रहण करने का सपना पूरा होने से पहले ही टूट गया. सरकारी उदासीनता और लेटलतीफी की वजह से मध्य विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र प्रोजेक्टर और लैपटॉप से सुसज्जित कक्षा में बैठने से वंचित रह गये. दरअसल, केंद्र सरकार ने बिहार के मध्य विद्यालयों में शिक्षा-दीक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों के बेहतर शिक्षण के लिए स्कूलों में स्मार्ट क्लास की शुरुआत करने की योजना बनायी थी.
इसके लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को राशि भी उपलब्ध करा दी थी. मगर राज्य सरकार की सुस्ती की वजह से योजना धरातल पर नहीं उतर सकी और राशि केंद्र सरकार को वापस करनी पड़ी.
78 लाख की लागत से शुरू होनी थी योजना : केंद्र सरकार ने दो वर्ष पूर्व पूर्णिया प्रमंडल में योजना की शुरुआत के लिए करीब 78 लाख 40 हजार की राशि आवंटित की थी. इसके तहत प्रत्येक स्कूल को तकरीबन 85 से 88 हजार रुपये दिये जाने थे. लेकिन राज्य सरकार ने जबतक निविदा निकालने और कार्य प्रारंभ करने का कार्य शुरू किया तबतक योजना समाप्त करने की अवधि पूर्ण हो चुकी थी. इसके बाद इस योजना पर कोई विचार नहीं हो सका है और न ही केंद्र सरकार से इस संबंध में किसी प्रकार का निर्देश आया है.
बिजली बिना स्मार्ट क्लास की परिकल्पना बेइमानी : पूर्णिया प्रमंडल में संचालित होने वाले अधिकांश मध्य विद्यालय में आजादी के 70 वर्ष बीतने के बाद भी बिजली की आपूर्ति नहीं हो सकी है. क्लार्स रूम में न तो बच्चों की सुविधा के लिए पंखे लगाये गये हैं और न ही रोशनी के लिए ट्यूब लाइट की व्यवस्था की गयी है. सरकारी उदासीनता का आलम यह है कि विद्यालयों में बिजली का कनेक्शन तक नहीं किया गया है. अधिकारियों की माने तो बिजली बिल के भुगतान को लेकर मामला अटक जाता है जिस वजह से विद्यालयों में विद्युत आपूर्ति का काम नहीं हो पा रहा. इस स्थिति में विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की परिकल्पना किसी सब्जबाग से कम नहीं लगता है.
प्रमंडल के 80 विद्यालयों का हुआ था चयन
योजना की शुरुआत के लिए शिक्षा विभाग ने पूर्णिया प्रमंडल के पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज जिलों के 80 विद्यालयों का चयन किया था. इसमें प्रथम चरण में इंटरनेट,लैपटॉप और प्रोजेक्टर लगाया जाना था. विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रत्येक जिले से योजना के लिए 20 मध्य विद्यालयों को चिन्हित किया गया था. इस योजना के तहत कक्षा छह, सात और आठ के बच्चों को स्मार्ट क्लास की सुविधा दी जानी थी. लेकिन सरकारी नीतियों की वजह से इसकी शुरुआत नहीं हो सकी. जानकारों की माने तो केंद्र सरकार ने योजना की प्रारंभ होने की अवधि के पूर्ण होने के बाद राशि लौटा ली और साथ ही राज्य सरकार की समय सीमा को बढ़ाने की अपील को भी ठुकरा दिया.
केंद्र को लौट गयी है राशि
दो वर्ष पूर्व केंद्र सरकार ने योजना की शुरुआत के लिए राशि आवंटित की थी. मगर कतिपय कारणों से इसकी शुरुआत में विलंब हो गयी और अवधि पूर्ण होने की वजह से केंद्र सरकार को राशि लौटानी पड़ी. इसके बाद से योजना को लेकर कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है.
रविशंकर सिंह, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, बिहार शिक्षा परियोजना परिषद, पटना