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अब सीधे एनटीपीसी को जायेगी अनुदान की राशि

सरकार हर महीने दे रही है 246 करोड़ की बिजली सहायता पटना : राज्य सरकार बिजली उपभोक्ताओं को हर महीने सहायता के रूप में 246 करोड़ दे रही है. अब यह राशि बिजली कंपनी को न देकर सीधे एनटीपीसी को जायेगा. राज्य का सेंट्रल पूल से जो कोटा आवंटित है उसमें सबसे अधिक बिजली एनटीपीसी […]

सरकार हर महीने दे रही है 246 करोड़ की बिजली सहायता
पटना : राज्य सरकार बिजली उपभोक्ताओं को हर महीने सहायता के रूप में 246 करोड़ दे रही है. अब यह राशि बिजली कंपनी को न देकर सीधे एनटीपीसी को जायेगा. राज्य का सेंट्रल पूल से जो कोटा आवंटित है उसमें सबसे अधिक बिजली एनटीपीसी से ही मिलती है. चालू वित्तीय वर्ष के लिए विद्युत विनियामक आयोग ने जो टैरिफ निर्धारित किया था बिना अनुदान का था. बाद में सरकार ने हस्तक्षेप किया और साल में उपभोक्ताओं को सहायता के रूप में 2952 करोड़ देना तय किया. इधर बिजली कंपनी को अगले दो साल में आत्मनिर्भर बनाने की कवायद शुरू हो गयी है.
राज्य सरकार बिजली कंपनी को पिछले वित्तीय वर्ष तक सालाना करीब चार हजार करोड़ की सहायता देती थी. चालू वित्तीय वर्ष के लिए बिजली कंपनियों ने विद्युत विनियामक आयोग के पास टैरिफ याचिका दायर की वह अनुदान रहित था. आयोग ने सुनवायी के बाद बिजली टैरिफ में 55 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी. इसका भारी विरोध हुआ, इसके बाद सरकार ने 2952 करोड़ देने की घोषणा की. यह हर महीने 246 करोड़ बैठता है. बिजली बिल में अब यह मेंशन रहता है कि सरकार उपभोक्ता को कितनी सहायता दी. पहले तय हुआ था कि सहायता राशि बिजली कंपनी को मिलेगी लेकिन अब सरकार ने सहायता राशि एनटीपीसी को देने का निर्णय लिया है.
राज्य पावर होल्डिंग कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों को अगले दो साल यानी 2019 तक आत्मनिर्भर बनाने की कवायद शुरू हो गयी है. बिजली कंपनी हर महीने करीब आठ सौ करोड़ की बिजली खरीदती है. बिल के रूप में कंपनी करीब 500 करोड़ की ही वसूली कर पा रही है. बिहार उदय योजना में शामिल है. योजना के तहत कंपनी को 2019 तक आत्मनिर्भर हो जाना है. बिजली कंपनी को पालने में ऐसे भी सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है.
जबकि कंपनी का गठन ही इसलिए हुआ कि यह सरकार के लिए बोझ नहीं बने. बिजली कंपनी को राजस्व बढ़ाने के लिए कहा जा रहा है. जिसके तहत प्रतिशत बिलिंग और ट्रांसमिशन और वितरण लॉस को कम करने पर जोर दिया गया है. शत-प्रतिशत बिलिंग के तहत कंपनी सभी उपभोक्ताओं को ऑनस्पाट बिल देने की कवायद शुरू कर दी है. 2012 में बिजली कंपनी का गठन किया गया इसके पहले यह बिजली बोर्ड हुआ करता था. उस समय सोच यह थी कि कंपनी अपनी कमाई करेगी और लाभ को निवेश भी करेगी. कंपनी गठन के समय से ही राज्य सरकार अनुदान दे रही है वह आज भी बदस्तूर जारी है.
कंपनी की आमदनी का एकमात्र जरिया बिजली बिल है लेकिन वह भी ठीक तरह से नहीं हो रहा है. जानकार बताते हैं कि शहरी क्षेत्र में 90 फीसदी व ग्रामीण क्षेत्र में 65 से 70 फीसदी तक ही बिजली बिल की वसूली हो पाती है. अभी राज्य में 92 लाख से अधिक उपभोक्ता हैं. इस साल इसमें 25 लाख का इजाफा होने की संभावना है.

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