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वायरस का पता चलते ही शुरू हो जायेगा इलाज
एचआइवी का टेस्ट एंड ट्रीट कार्यक्रम जून से पटना : बिहार में एचआइवी मरीजों को ध्यान में रखते हुए नया प्रोग्राम टेस्ट एंड ट्रीट (जांच एवं इलाज) कार्यक्रम की शुरुआत नेशनल एड्स कंट्रोल संगठन (नाको) द्वारा शुरू किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में जांच के बाद संक्रमित में एचआइवी का पता चलते ही इलाज […]
एचआइवी का टेस्ट एंड ट्रीट कार्यक्रम जून से
पटना : बिहार में एचआइवी मरीजों को ध्यान में रखते हुए नया प्रोग्राम टेस्ट एंड ट्रीट (जांच एवं इलाज) कार्यक्रम की शुरुआत नेशनल एड्स कंट्रोल संगठन (नाको) द्वारा शुरू किया जा रहा है.
इस कार्यक्रम में जांच के बाद संक्रमित में एचआइवी का पता चलते ही इलाज शुरू कर दिया जायेगा. पहले इलाज तब शुरू होता था जब मरीज का सीडी-4 जांच कराया जाता था. अब जैसे ही मरीज संक्रमित होगा,उसका इलाज आरंभ किया जायेगा. बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के संयुक्त निदेशक (केयर एंड सपोर्ट) डॉ बासुकीनाथ गुप्ता ने बताया कि नाको द्वारा यह कार्यक्रम तैयार किया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इसकी लांचिंग की है.
उन्होंने बताया कि बिहार में इसकी शुरुआत जून महीने से होगी. इसकी शुरुआत करने के पहले 24 व 25 मई को कोलकाता में बैठक रखी गयी है. इस बैठक में दवाओं को लेकर गाइडलाइन पर अंतिम मुहर लगेगी. मरीजों में संक्रमण का पता चलते कौन सी दवा आरंभ की जाये.
उन्होंने बताया कि यह एचआइवी संक्रमण के नियंत्रण में महत्वपूर्ण कदम होगा. नाको ने 2020 तक सभी संक्रमितों की खोज करने का जबकि 2030 तक एचआइवी-एड्स नियंत्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है.
उन्होंने बताया कि नये कार्यक्रम द्वारा पूर्व में चलाये गये 909090 कार्ययोजना को रिप्लेस कर दिया है. उस योजना में पहले कुल मरीजों में 90 प्रतिशत की खोज करनी थी, उसके बाद उसमें से 90 फीसदी का इलाज किया जाना था. अब टेस्ट एंड ट्रीट कार्यक्रम से संक्रमण का पता चलते ही इलाज आरंभ कर दिया जाना है.
इससे मरीज का सही समय पर उपचार शुरू हो जाएगा. एक अनुमान है कि राज्य में करीब 12 लाख एचआइवी संक्रमित हो सकते हैं. डॉ गुप्ता ने बताया कि वर्तमान में राज्य में एचआइवी संक्रमितों की संख्या करीब 75 हजार है जबकि एड्स पीड़ितों की संख्या करीब 39 हजार है. राज्य में कुल 207 अस्पतालों में इंटीग्रेटेड काउंसेलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (आइसीटीसी) है जहां पर संक्रमितों की जांच की जाती है. यह सही तरीके से जांच होती है. इसके साथ ही हर माह की नौ तारीख को पीएचसी से लेकर सदर अस्पताल तक गर्भवती महिलाओं की एचआइवी जांच की जाती है.
आठ मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में एआरटी सेंटर
राज्य के आठ मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में एआरटी सेंटर है. यहां पर मरीजों की सीडी-4 की जांच की जाती है. सीडी-4 की जांच के बाद ही पहले एड्स मरीजों की दवा आरंभ की जाती थी.
इसके साथ ही राज्य के अन्य 16 एआरटी सेंटर के साथ 24 लिंक एआरटी हैं जहां पर संक्रमितों के बीच दवाओं का वितरण किया जाता है. इस माह दवा वितरण करने वाले एआरटी की संख्या बढ़ाकर 18 और लिंक एआरटी की संख्या 36 हो जायेगी. एचआइवी का प्रमुख कारण असुरक्षित यौन संबंध बनाना, संक्रमित मां से उसके बच्चे में और दूषित खून चढ़ाने के कारण फैलता है.
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