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पांच सालों में भी लोगों को नहीं पिला सके शुद्ध पानी

पटना जलापूर्ति योजना रह गयी अधर में प्रभात रंजन पटना : नगर निगम क्षेत्र यानी राजधानी में 131 बोरिंगऔर 1200 किलोमीटर पाइपलाइन बिछायी गयी है. इसके माध्यम से शहरवासियों के घर-घर पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गयी है. हालांकि, नयी कॉलोनियों खासकर न्यू बाइपास के दक्षिणी इलाकों में जलापूर्ति पाइप नहीं बिछायी गयी है. लेकिन, […]

पटना जलापूर्ति योजना रह गयी अधर में
प्रभात रंजन
पटना : नगर निगम क्षेत्र यानी राजधानी में 131 बोरिंगऔर 1200 किलोमीटर पाइपलाइन बिछायी गयी है. इसके माध्यम से शहरवासियों के घर-घर पानी पहुंचाने की व्यवस्था की गयी है.
हालांकि, नयी कॉलोनियों खासकर न्यू बाइपास के दक्षिणी इलाकों में जलापूर्ति पाइप नहीं बिछायी गयी है. लेकिन, जिन इलाकों में बोरिंग और जलापूर्ति पाइप बिछा भी है, वहां लोगों के घरों में शुद्ध पेयजल नहीं पहुंच रहा है. वर्ष 2012 में नयी नगर सरकार के गठन होते ही के बाद ही बुडको के माध्यम से 537 करोड़ की लागत से पटना जलापूर्ति योजना पर काम शुरू किया गया. लेकिन, पांच वर्ष खत्म होने के बाद भी शहरवासियों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो सकी है. वहीं, जब नगर निगम का चुनाव नजदीक आया, तो गुरुवार को 11 नयी और बोरिंग का उद्घाटन किया गया.
50 वर्षों में भी नहीं बदला गया जलापूर्ति पाइप
निगम की स्थापना के बाद ही पटना जल पर्षद का गठन हुआ, ताकि शहरवासियों को 24 घंटे शुद्ध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित हो सके. इसको लेकर बोरिंग और जलापूर्ति पाइपलाइन बिछायी गयी, लेकिन 50 वर्ष बाद भी पाइप बदला नहीं गया है. यह स्थिति तब है, जब पाइप की आयु सीमा 30 वर्ष ही है. स्थिति यह है कि घरों में पहुंचने वाला सप्लाइ वाटर बिना प्यूरिफाइ के आप नहीं पी सकते हैं. इसकी वजह है कि पाइप जर्जर है और रोजाना 30 से 35 जगहों पर लीकेज की समस्या बनी रहती है.
घरों तक नहीं पहुंचा सके
निगम क्षेत्र में 24 घंटे और सातों दिन घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने को लेकर पटना जलापूर्ति योजना बनायी गयी. इसके तहत आधे पटना को गंगाजल और आधे पटना को ग्राउंड वाटर पहुंचना था. इसके लिए बुडको ने गैमन इंडिया नामक एजेंसी को चयनित किया.
एजेंसी को 72 वार्डों में जलमीनार बनाने के साथ-साथ 1800 किमी पाइप बिछाना था. इसे दिसंबर, 2014 तक पूरा करना था, लेकिन अधूरा रहा. योजना की धीमी प्रगति को देखते हुए एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करते हुए आवंटित कार्य वापस ले लिया गया.
लागत बढ़ कर हो गयी है 927 करोड़: वर्ष 2012 में 537 करोड़ की जलापूर्ति योजना बनायी गयी. एजेंसी ने 100 करोड़ खर्च कर 18 वार्डों में जलमीनार और जलापूर्ति पाइप बिछाया. जलापूर्ति योजना को रिवाइज लागत तय करते हुए दो हिस्सों में कार्य करने की योजना बनी. इस पर 927 करोड़ खर्च होगा.

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