जिला शिक्षा कार्यालय की जांच में निकल कर सामने आया मामला
पटना : एक कमरा लिया, कुछ बेंच-डेस्क लगाये, एक बोर्ड लगाया और फिर स्कूल शुरू हो गया. यह हाल कोई एक प्ले स्कूल का नहीं, बल्कि बहुतों का है. गली-मुहल्ले में जहां चाहे स्कूल खोल लिया.
न कोई गाइड लाइन, न मॉनीटरिंग और न ही स्कूल खाेलने के पहले जिला शिक्षा कार्यालय में रजिस्ट्रेशन करवाया. प्ले स्कूल के इस हालत की जानकारी जिला शिक्षा कार्यालय की ओर से की गयी जांच में सामने आयी है. अभिभावकों की शिकायत पर स्कूलों की जांच की गयी. कुछ स्कूल तो सही चल रहे हैं, लेकिन अधिकांश स्कूलों में कोई मानक पूरा नहीं हो रहा है. प्ले स्कूल सुविधा दे या न दे, लेकिन फीस लेने में पीछे नहीं हटते हैं. कई प्ले स्कूल तो नामांकन के नाम पर 50,000 तक वसूल रहे हैं.
कोई भी स्कूल अनुमति नहीं लेता है. इसको लेकर विभाग से कोई गाइड लाइन भी नहीं है. इससे हम कुछ कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं. शिकायतें आती है. कई बार स्पॉट विजिट भी हुआ है. प्ले स्कूल एक कमरे में चल रहे हैं. कोई सुविधा नहीं दी जा रही है.
मेदो दास, डीइओ
\नाम नहीं छापने के शर्त पर अभिभावक राहुल शर्मा ने बताया कि केजी वन में उनके बच्चे का नामांकन पाटलिपुत्र स्थित एक प्ले स्कूल में हुआ था. नामांकन के समय ही 50,000 रुपये लिये गये थे. इसके अलावे हर महीने 200 से 300 रुपये कुछ-न-कुछ के नाम पर स्कूलवाले मांगते हैं.
एक दो कमरों में संचालित हो रहे हैं प्ले स्कूल
टीचर्स की योग्यता को लेकर कोई निर्धारण नहीं है
बच्चों के खेलकूद के लिए पर्याप्त जगह नहीं है
कई स्कूल अपार्टमेंट के ऊपर के फ्लोर पर चल रहे हैं
स्कूलों में तैनात गार्ड का कोई पुलिस वेरिफिकेशन नहीं होता है
बच्चों के स्कूल आने और जाने का कोई नियम नहीं है
कई स्कूलों में तो एक शिक्षक पर ही पूरा प्ले स्कूल चल रहा है
प्ले स्कूलों में तीन वर्ष के आयु के बच्चों को दाखिला दिया जाये
डीइओ से मान्यता मिलने के बाद ही प्ले स्कूल संचालित होगा
20 बच्चों पर एक शिक्षक और एक केयर टेकर की तैनाती हो
मेडिकल किट, सुरक्षा, साफ-सफाई, शौचालय व खेल मैदान की व्यवस्था होनी चाहिए
सीसीटीवी कैमरे के जरिये स्कूलों में हर गतिविधियों की मॉनीटरिंग की जाये.
प्रत्येक स्कूल को अपने नाम के आगे प्ले स्कूल शब्द लगाना अनिवार्य है
हर स्कूल में अभिभावक-शिक्षक एसोसिएशन बनाने के साथ उसकी नियमित बैठक हो
– किसी भी बच्चे को शारीरिक और मानसिक रूप से सजा न दी जाये
– प्रशिक्षित स्टाफ का रहना जरूरी है