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अब बिल्डर नहीं कर सकेंगे मनमानी, कारपेट एरिया की ही करनी होगी बिक्री

पटना : रीयल एस्टेट के क्षेत्र में एक मई से नया नियम लागू हो जायेगा. नये एक्ट में प्रावधान है कि बिल्डर कारपेट एरिया की ही बिक्री कर सकेंगे. खरीददार को इसको लेकर कोई भी भ्रम नहीं रहेगा कि वह बिल्डर से सुपर बिल्टअप एरिया की खरीद करे या कारपेट एरिया का. कोई भी भूखंड […]

पटना : रीयल एस्टेट के क्षेत्र में एक मई से नया नियम लागू हो जायेगा. नये एक्ट में प्रावधान है कि बिल्डर कारपेट एरिया की ही बिक्री कर सकेंगे. खरीददार को इसको लेकर कोई भी भ्रम नहीं रहेगा कि वह बिल्डर से सुपर बिल्टअप एरिया की खरीद करे या कारपेट एरिया का. कोई भी भूखंड जिसका क्षेत्रफल 500 वर्ग मीटर या उससे अधिक हो या वैसे अपार्टमेंट जिसमें फ्लैटों की संख्या आठ या उससे अधिक हों, उसकी शिकायतों की सुनवाई रीयल एस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी करेगी. ऑथोरिटी का गठन 30 अप्रैल तक कर लिया जायेगा.

पहली मई से फ्लैट या जमीन के विवादों की सुनवाई कानूनी प्रावधानों के तहत ऑथोरिटी करेगी. इस कानून के प्रभावी होने पर अब कोई भी बिल्डर फ्लैट खरीदने वालों के साथ धोखाधड़ी नहीं कर सकेगा. नगर विकास एवं आवास विभाग ने शनिवार को रेगुलेटरी ऑथोरिटी के गठन को लेकर बैठक कर इसके प्रस्ताव की समीक्षा की.
नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा रीयल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 तैयार किया गया है. राज्य सरकार ने भी बिहार रीयल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) (सामान्य नियमावली) 2017 का प्रारूप तैयार कर लिया है. नगर विकास एवं आवास विभाग ने इसके लिए सभी पक्षों से दो दिनों में सुझाव देने को कहा गया है. इसके बाद विभाग इसे अंतिम रूप दे देगा. केंद्र के एक्ट को राज्य में भी लागू किया जाना है. उन्होंने बताया कि नये प्रावधान से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी.

इससे रीयल एस्टेट में लेनदेन में निष्पक्षता लाने और समय पर परियोजनाओं को कार्यान्वयन कराने में मदद मिलेगी. किसी भी बिल्डर के खिलाफ शिकायत को दूर करने के लिए उपभोक्ता अपना मामला दायर कर सकेंगे. आवासीय व व्यावसायिक दोनों तरह की नयी परियोजना पर इसे लागू किया जायेगा. जो प्रोजेक्ट अभी तक पूरा नहीं हुआ है, उन पर भी नया प्रावधान लागू होगा. उन्होंने बताया कि एक्ट के प्रावधानों के तहत राज्य सरकार अपने बाइलॉज में मामूली बदलाव कर सकती है.

क्या होगा प्रावधान
इस एक्ट के प्रभावी होने के बाद हर पंजीकरण कराना आवश्यक हो जायेगा. डेवलपर को अपने प्रोजेक्ट के प्रोमोटर के नाम को सार्वजनिक करना होगा, साथ ही बिल्डर को प्रोजेक्ट का लेआउट, विकास योजना के लिए किये जाने वाले कार्य, भूमि की स्थिति, वैधानिक मंजूरी की स्थिति, बिल्डर व खरीददार का एग्रीमेंट, रीयल एस्टेट के एजेंट का नाम, कंट्रेक्टर का नाम, आर्किटेक्ट का नाम और इंजीनियर का नाम ऑथोरिटी को बताना होगा. इन सभी सूचनाओं को ऑथोरिटी अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करेगी. साथ ही इसे ऑथोरिटी अपडेट करती रहेगी.

इसमें यह बताया जायेगा कि कितने फ्लैटों की बिक्री की गयी और निर्माण कार्य की प्रगति कितनी हुई. साथ ही ऑथोरिटी द्वारा बिल्डर व खरीददार के बीच बिक्री व एग्रीमेंट का पत्र को प्रोजेक्ट के निबंधन के समय सौंपा जाना अनिवार्य होगा. इसके लिए हर प्रोजेक्ट के लिए स्क्राव एकाउंट खोलना होगा. इस खाते के माध्यम से 70 फीसदी राशि का संग्रह किया जायेगा. कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि संरचना में किसी तरह के बदलाव के लिए दो-तिहाई खरीददारों की सहमति लेनी आवश्यक होगी. इसमें दंड का भी प्रावधान किया गया है. यह पूरे प्रोजेक्ट का पांच फीसदी होगा.

अगर बिल्डर प्रोजेक्ट को आधे अधूरे में छोड़ देता है, तो खरीददारों को अधिकार होगा कि वह लेने से इनकार कर अपनी राशि सूद सहित वापस ले सकते हैं. खरीददार ऑथोरिटी से अनुरोध कर सकते हैं कि वह किसी दूसरे डेवलपर से उसका निर्माण कराये.

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