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यौनशोषण कांड : केस दर्ज होने पर 10 दिनों तक था पटना में गिरफ्तारी की भनक से ही बिहार से फरार
निखिल के भाई व तीन दोस्तों को पकड़ने के बाद मिली सफलता बुद्धा कॉलोनी और एससी-एसटी थाने में दर्ज हुआ था मामला पटना : निखिल प्रियदर्शी पर जब एससी-एसटी थाने में मामला दर्ज हुआ था, तो वह पटना में ही था. मामला जैसे-जैसे बढ़ने लगा और एसआइटी का गठन हुआ तो उसने अपना रूपसपुर स्थित […]
निखिल के भाई व तीन दोस्तों को पकड़ने के बाद मिली सफलता
बुद्धा कॉलोनी और एससी-एसटी थाने में दर्ज हुआ था मामला
पटना : निखिल प्रियदर्शी पर जब एससी-एसटी थाने में मामला दर्ज हुआ था, तो वह पटना में ही था. मामला जैसे-जैसे बढ़ने लगा और एसआइटी का गठन हुआ तो उसने अपना रूपसपुर स्थित घर को छोड़ दिया.
दस दिनों तक पटना में ही मैनपुरा के एलसीटी घाट के समीप कुमार गौरव के घर पर रुका था. लेकिन जैसे ही पुलिस की दबिश बढ़ने लगी तो इसने बिहार छोड़ दिया. बिहार से निकलने के बाद यह दिल्ली, हरियाणा और फिर उत्तराखंड में काफी दिनों से था. इसके बाद इसे जैसे ही खतरा प्रतीत होता, वैसे ही तुरंत ही होटल बदल लेता.
शनिवार को पटना पुलिस की टीम ने उसके भाई मनीष व उसके तीन दोस्तों को गिरफ्तार किया था. यह सभी फरारी के समय निखिल प्रियदर्शी से लगातार बात कर रहे थे. इसके बाद इन तीनों की दी गयी जानकारी के आधार पर ही पटना पुलिस की टीम को उसे पकड़ने में सफलता मिली. पुलिस जब रेस्ट हाउस में पहुंची तो वह उस समय सो रहा था और तब तक पुलिस उसके कमरे के गेट पर पहुंची हुई थी. पुलिस ने गेट खटखटाया तो निखिल ने ही दरवाजा खोला और फिर उसे तुरंत ही हिरासत में ले लिया.
संरक्षण देने में फंसेंगे कई सफेदपोश : निखिल प्रियदर्शी पर सेक्स रैकेट भी चलाने का आरोप है. इसके साथ ही कई राजनेताओं के साथ उसके संबंध होने की बात भी जांच में उजागर हुई है.
अपने अच्छे समय में निखिल उन राजनेताओं के लिए हर तरह देश के गोवा, मुंबई आदि जगहों पर इंतजाम कराता था. इसके साथ ही महंगी गाड़ियां भी उपलब्ध कराता था. फरारी के समय में निखिल को कई लोगों ने संरक्षण दिया और उसे पटना से बाहर निकलने में मदद भी की. संरक्षण व मदद देने के चक्कर में तीन दोस्त कुमार गौरव, प्रेम पांडेय व प्रकाश कुमार को गिरफ्तार कर पटना पुलिस जेल भेज चुकी है. इस मामले में एसएसपी मनु महाराज ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन-जिन लोगों ने निखिल प्रियदर्शी को भागने में मदद की है या संरक्षण दिया है, उन्हें भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जायेगा.
22 दिसंबर, 2016
पीड़िता ने यौनशोषण का आरोप लगाते हुए निखिल, उसके पिता कृष्ण बिहारी सिन्हा, भाई मनीष व दोस्त संजीत के खिलाफ एससी-एसटी थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी.
आइजी, कमजोर वर्ग ने एसआइटी का गठन किया और निखिल को पकड़ने के लिए छापेमारी शुरू हुई.
एससी-एसटी कोर्ट ने निखिल प्रियदर्शी के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया
पॉक्सो कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की
पहचान सार्वजनिक करने का आरोप लगाते हुए पीड़िता ने बुद्धा कॉलोनी थाने में निखिल व अन्य पर प्राथमिकी दर्ज करायी
पटना पुलिस ने उसके भाई मनीष व तीन दोस्तों कुमार गौरव, प्रेम पांडेय व प्रकाश कुमार को पकड़ा
उत्तराखंड से निखिल व उसके पिता कृष्ण बिहारी सिन्हा पकड़े गये.
कस्टम नंबर के उपयोग से नहीं हो रहा था ट्रेस
निखिल के मोबाइल को इतने समय तक ट्रेस करने में पुलिस को काफी दिक्कत आ रही थी. इसका मुख्य कारण है वह कस्टम नंबर या ऐसे नंबर का उपयोग कर रहा था, जो नंबर खासतौर से खूफिया एजेंसियों के लोगों को दी जाती है. इन नंबरों की खासियत यह होती है कि इन्हें ट्रेस नहीं किया जा सकता और न ही इनका सहज ही लोकेशन प्राप्त किया जा सकता है.
इस वजह से पुलिस इसका नंबर ट्रेस नहीं कर पा रही थी. अब सबसे बड़ा सवाल पैदा होता है कि आखिर निखिल के पास इस तरह का कस्टम नंबर आया कहां से? उसे इस तरह का विशेष सुविधा वाला सिम किसने उपलब्ध करवाया? इसके अलावा निखिल एक सिम उपयोग कर रहा था, जो गौरव के नाम पर था. इस सिम की जानकारी और नंबर पुलिस के पास नहीं होने से इसे ट्रेस नहीं हो पा रहा था. परंतु गौरव की गिरफ्तारी शनिवार (11 मार्च) के बाद यह राज खुला और वह नंबर पता चल पाया, जिसका उपयोग निखिल कर रहा था. इसके बाद निखिल का लोकेशन ट्रेस हो पाया. परंतु बीच-बीच में कस्टम नंबर के उपयोग करने के कारण पुलिस को काफी फजीहत हो रही थी.
वी चैट एप्लीकेशन से दोस्तों से चैट करता था
निखिल प्रियदर्शी काफी शातिर है और वह पुलिस की पकड़ से दूर रहने के लिए वी चैट इंटरनेट एप्लीकेशन के माध्यम से अपने दोस्तों से चैट करता था. पटना पुलिस ने किसी तरह से उसके वी चैट एप्लीकेशन के नंबर को ट्रेस किया और फिर जब उसका लोकेशन निकाला तो वह उत्तराखंड का निकला. पटना पुलिस सूत्रों के अनुसार वी चैट एप्लीकेशन से मिले लोकेशन की जानकारी वहां के एसपी एम मोहसीन को दी गयी. इसके साथ ही निखिल के विषय में पूरी जानकारी भी दी गयी. बताया जाता है कि एम मोहसीन व एसएसपी मनु महाराज बैचमेट हैं. मनु महाराज की दी गयी जानकारी को उन्होंने गंभीरता से लिया और फिर निखिल प्रियदर्शीको पकड़ा गया.
एसएसपी ने गठित की थीं तीन टीमें
निखिल के खिलाफ एक मामला एससी-एसटी थाने में दर्ज किया गया और इस मामले में आइजी कमजोर वर्ग अनिल किशोर यादव के निर्देश पर एक विशेष टीम बनायी गयी. यह टीम लगातार छापेमारी कर रही थी, लेकिन निखिल हमेशा चकमा देकर निकल जा रहा था.
इसी बीच जब बुद्धा कॉलोनी थाने में निखिल व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज हुआ तो फिर एसएसपी मनु महाराज ने उसे पकड़ने के लिए तीन अलग-अलग टीम गठित की और फिर निखिल व उसके दोस्तों के मोबाइल फोन, सोशल मीडिया, इ-मेल आदि को खंगालना शुरू कर दिया. इसी बीच एयरपोर्ट पर निखिल के भाई मनीष प्रियदर्शी को गिरफ्तार कर लिया गया और फिर तीन दोस्तों को पकड़ा गया. इसके बाद निखिल की उत्तराखंड में होने की जानकारी मिली.
2005 में झारखंड से एक्साइज कमिश्नर से रिटायर्ड हुए थे पिता
निखिल के पिता कृष्ण बिहारी प्रसाद प्रोन्नत प्राप्त झारखंड कैडर के आइएएस अधिकारी हैं. वह 2005 में झारखंड में एक्साइज कमिश्नर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. इससे पहले वह झारखंड के गोड्डा और गिरीडीह के अलावा बिहार के किशनगंज में डीएम के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. बिहार के सासाराम जिले के ये मूल निवासी हैं, लेकिन इनका गांव से सालों पहले नाता टूट गया है. इनके दो बेटे निखिल और मनीष तथा एक बेटी है.
बेटी की शादी एक आइपीएस अधिकारी से हुई है. रिटायरमेंट के दो-तीन साल बाद पिता ने दोनों बेटे के लिए अलग-अलग गाड़ी की दो बड़ी ब्रांड के शो-रूम को खुलवाया. महिन्द्रा कंपनी शो-रूम निखिल और फोर्ड के शो-रूम को उसका भाई मनीष संभालता था. शहर के सगुना मोड़ के पास दोनों शो-रूम आस-पास ही मौजूद थे. निखिल पटना के सेंट कैरेंस स्कूल में पढ़ता था, लेकिन बारहवीं की परीक्षा उसने गया से दी है. इसके बाद वह बीआइटी, सिंदरी चला गया. परंतु बीटेक की डिग्री बीच में ही छोड़ दी और पटना पहुंच कर मोटर के व्यवसाय में उतर गया.
फरारी के दिनों में इश्कबाजी कर रहा था निखिल प्रियदर्शी
पटना : एक ओर एसआइटी निखिल को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी कर रही थी और दूसरी ओर निखिल यूपी की एक लड़की से इश्कबाजी कर रहा था. उससे फोन पर बात करने के साथ ही लगातार चैटिंग भी जारी थी. लड़की निखिल के सोशल मीडिया से जुड़ी हुई थी और पहले से संपर्क में थी. पुलिस ने निखिल के तमाम दोस्तों व जान-पहचान वालों के सोशल मीडिया को खंगाला तो उस लड़की के संबंध में जानकारी हुई. इसके बाद लड़की का सारा बायोडाटा पुलिस के पास उपलब्ब्ध हो गया. हुआ यह था कि उक्त लड़की पहले निखिल की फैन थी, लेकिन एक दिन उसने जब उसका बायोडाटा गुगल पर तलाशा तो उसे सारी जानकारी हो गयी और उससे दूर रहने लगी. लेकिन तब तक पुलिस की नजर में उसका मोबाइल नंबर व पता आ चुका था और जब पुलिस उसके घर तक पहुंच गयी तो फिर उसका सोचना सही निकल गया. इसके बाद पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उसके पास जितनी भी जानकारी थी, उसने पुलिस को बता दिया.
खास बात यह है कि निखिल ने सबसे पहले अपनी ऑडी कार हरियाणा से लिया था. जहां यह कार बनायी जा रही थी, वहां के मैनेजर अरूण के साथ वह लगातार संपर्क में था और उसने हरियाणा से अपनी ऑडी ली और फिर अपने पिता के साथ इधर से उधर भागता फिर रहा था. पुलिस को उसके दिल्ली व हरियाणा में होने की जानकारी मिल चुकी थी और एक टीम भी वहां पहुंची थी. लेकिन वह वहां से अपनी ऑडी कार लेकर फरार होने में सफल रहा.
एेयाशी के कारण अर्श से फर्श पर गिरा
पटना. निखिल प्रियदर्शी की अपनी करतूत व एेयाशी ने उसे अर्श से फर्श पर गिरा दिया. पिता रिटायर्ड आइएएस है और खुद टाटा व महिंद्रा गाड़ियों की एजेंसी का मालिक रहा है. निखिल की कई लड़कियों से संबंध रहे है और उसके परिवार के लोग भी इस बात को जानते रहे है. कई राजनेता व पुलिस अधिकारियों से भी उसके संबंध मधुर रहे है. और उसकी गाड़ियों का उपयोग तक किया है. हालांकि निखिल हमेशा अपनी ऊंची पहुंच का नाजायज फायदा उठाता रहा है.
अभी यह हालात है कि पिछले साल ही कई फाइनेंस कंपनियों द्वारा बकाया पैसा नहीं चुकाने पर उसके दोनों शोरूम को सील कर चुकी है. और वहां रखी गाड़ियां भी उठा कर ले गयी है. दानापुर के एक व्यक्ति से पैसा लेने के बाद उसे गाड़ी नहीं दी गयी और फिर यहां तक नौबत आ गयी कि उसे जेल भी जाना पड़ सकता था. उसका नाम एक भोजपुरी अभिनेत्री के साथ भी चर्चा में आ चुका है. हालांकि उसका यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि एक नाबालिग छात्रा ने उस पर यौनशोषण का आरोप लगा दिया और फिर वह 22 दिसंबर के बाद से इधर से उधर भागता फिर रहा था.
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