कोलकाता: बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता डॉ प्रेम कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर बिहार की दो भाषाएं भोजपुरी व मगही की संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में डॉ कुमार ने कहा कि मगही भाषा अत्यंत प्राचीन भाषा है तथा वर्तमान में 10 करोड़ से ज्यादा लोग मगही भाषा का इस्तेमाल करते हैं.
उसी प्रकार बिहार व उत्तर प्रदेश की बहुत बड़ी आबादी भोजपुरी भाषा का इस्तेमाल करती है. दोनों भाषाओं की अपनी संस्कृति व साहित्य है. बिहार की एक महत्वपूर्ण भाषा मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. इसी तरह से इन दो महत्वपूर्ण भाषाओं को भी संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाये.
मगही मगध नागरिक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पारस कुमार सिंह ने डॉ कुमार की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि इसके पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतेन मांझी ने भी मगही की संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर पत्र लिखा था तथा प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र की पावत्ती स्वीकार भी की गयी थी. संघ की ओर से इस बाबत जतंर मंतर में धरना भी दिया गया था.
राष्ट्रीय भोजपुरी एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष त्रिभुवन कुमार मिश्रा ने डॉ कुमार की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि भोजपुरी भारत के 24 जिलों में बड़ी संख्या में लोगों द्वारा बोली जाती है. इसके अतिरिक्त सूरीनाम, त्रिनाद, मॉरीशस व फिजी सहित कई देशों में भोजपुरी भाषा बोली जाती है. भोजपुरी का अपना साहित्य, संस्कृति और व्याकरण है. वे लोग विभिन्न मंचों के माध्यम से भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग करते रहे हैं. भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर जरूरत पड़ी तो कोलकाता व दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना भी दिया जाएगा और सत्याग्रह भी किया जायेगा.