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कर वसूलने का नहीं मिला अधिकार
लापरवाही : राज्य और केंद्र के आर्थिक सहयोग पर निर्भर हैं पंचायत पंचायती राज अधिनियम 2006 में त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थानों को कर वसूलने का प्रावधान किया गया है. अब तक पंचायती राज विभाग द्वारा इसकी नियमावली ही तैयार नहीं की गयी है. पंचायती राज संस्थाएं अब तक केंद्रीय व राज्य सरकार द्वारा दिये गये […]
लापरवाही : राज्य और केंद्र के आर्थिक सहयोग पर निर्भर हैं पंचायत
पंचायती राज अधिनियम 2006 में त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थानों को कर वसूलने का प्रावधान किया गया है. अब तक पंचायती राज विभाग द्वारा इसकी नियमावली ही तैयार नहीं की गयी है.
पंचायती राज संस्थाएं अब तक केंद्रीय व राज्य सरकार द्वारा दिये गये अनुदान पर ही निर्भर हैं. पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत ने बताया कि नियमावली का प्रारूप तैयार किया जा रहा है. पंचायती राज संस्थाओं में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद को अपने स्तर से कर वसूलने का प्रावधान 2006 के एक्ट में किया गया है.
ग्राम पंचायतों को वाणिज्यिक और आवासीय भवनों व सेवाओं पर कर वसूली का प्रावधान किया गया है. 14वें वित्त आयोग में भी पंचायतों को हर साल अपने आंतरिक संसाधनों में निरंतर वृद्धि करने की सिफारिश की गयी है. अनुमान है कि कर निर्धारण का अधिकार मिलता है, तो हर पंचायत को सालाना औसतन 30 हजार का आर्थिक लाभ होगा.
छोटी पंचायतों को जहां 10 हजार रुपये सलाना तो बड़ी पंचायतों को करीब एक लाख तक आय होने की संभावना है. पंचायतों को होल्डिंग, अपने क्षेत्र के स्थानीय सीमाओं के अंदर चलाये जानेवाले व्यवसाय, व्यापार के वार्षिक आधार पर कर, सरकार द्वारा अधिकतम दर से अधीन पंचायत वाहनों, हाटों, मेलों, जलापूर्ति, प्रकाश शुल्क लगाने का अधिकार एक्ट में दिया गया है.
इसी तरह से पंचायत समिति को अपने क्षेत्र में फेरी, वाहनों के पंजीकरण, तीर्थ स्थलों, हाटों, मेलों और सफाई, हाट व बाजार का लाइसेंस जारी करने पर, विद्युत शुल्क पर कर लगा सकती है. पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत ने बताया कि त्रिस्तरीय पंचायतों के कर लगाने का प्रावधान एक्ट में है. इसकी नियमावली का प्रारूप तैयार किया जा रहा है. राज्य सरकार को कर वसूली को लेकर अधिकतम दर निर्धारित करने का अधिकार है.
इस अधिकतम कर के अधीन ही त्रिस्तरीय पंचायतों को कर वसूली का अधिकार नियमावली की मंजूरी और अधिसूचना के बाद होगा. अभी यह प्रक्रियाधीन है.
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