कैसे सुधरे छवि. प्रकाश पर्व के बाद फिर शहर के प्रवेश द्वार रेलवे स्टेशन पर चरमरायी सफाई और ट्रैफिक व्यवस्था
शहर बदल रहा है. विकास और सफाई के नये पैमाने गढ़ने के लिए राज्य सरकार और नगर निगम की कोशिशें जारी हैं. बीते दिनों शहर में प्रकाश पर्व को लेकर इतनी बेहतर सफाई के बाद बदलाव की छवि भी दिखी. प्रकाश पर्व के बाद ताजा हालात जानने के लिए प्रभात खबर टीम ने शहर के प्रवेश द्वार रेलवे स्टेशन सहित प्रमुख स्थानों की पड़ताल की. स्थानीय दुकानदारों और लोगों से उनकी राय पूछी गयी. पूछताछ में अधिकतर लोगों ने कहा कि प्रकाश पर्व के समय ऐसा लग रहा था कि वाकई शहर बदल रहा है. लेकिन, पटना अपने पुराने रंग में लाैट आया है. लोगों ने कहा कि शहर में आते ही लोगों को कचरा, अतिक्रमण और ट्रैफिक का सामना करना पड़ता है. ऐसे में कैसे शहर की छवि बदलेगी? पेश है रिपोर्ट…
दो वक्त में सिमट गयी सफाई, वह भी ठीक नहीं
लोगों के अनुसार प्रकाश पर्व के दौरान जीपीओ गोलंबर से लेकर स्टेशन गोलंबर और आगे चिरैयाटांड़ पुल तक 24 घंटे में चार बार झाडू लगता था. सफाईकर्मी ड्रेस में नजर आते थे. अस्थायी दुकानों को हटा कर सफाई की जाती थी. एक माह तक पूरा क्षेत्र चकाचक रहा, लेकिन अब हालात बदतर हो चले हैं. अब दो बार सफाई होती है, पर सफाई के नाम पर भी औपचारिकता निभायी जाती है.
स्टेशन गोलंबर की दूसरी बड़ी समस्या है खराब ट्रैफिक. स्टेशन गोलंबर के मुहाने पर ही ऑटो और बसों का कब्जा रहता है. इतनी अधिक गाड़ियां लगी रहती हैं कि पैदल यात्री भी परेशान हो जाते हैं. गोलंबर पर दो से तीन ट्रैफिक जवान ही ड्यूटी पर होते हैं. ऑटो और बसों का कब्जा हटाना केवल उनके बस की बात नहीं. उस क्षेत्र में पार्किंग की जगह भी नहीं है. सुबह से लेकर देर रात तक उस क्षेत्र में भयंकर ट्रैफिक से शहर की छवि खराब होती है. जानकारी के बावजूद जिम्मेवार आला अधिकारी कुछनहीं करते.
निर्माण ने स्थिति को बदतर बनाया
जीपीओ गोलंबर से चिरैंयाटाड़ पुल तक फ्लाइ ओवर का निर्माण किया जा रहा है. बीते एक वर्ष से अधिक समय से निर्माण कार्य चल रहा है. इस कारण पुल के नीचे भी निर्माण का अतिक्रमण है. सड़क के बीच में कई जगहों पर 30 फुट से अधिक का कब्जा है. वहीं फुटपाथ के अलावा सड़क पर अतिक्रमण के कारण स्टेशन गोलंबर से जीपीओ गोलंबर तक कई जगहों पर आठ फुट से भी कम चौड़ी सड़क बच जाती है.
पटना : नगर निगम स्वच्छता सर्वेक्षण में रेटिंग सुधारने के लिए विशेष पहल नहीं कर रहा है. नगर विकास व आवास विभाग की ओर से शहर में एक दो जगहों पर लगाये गये होर्डिंग और छोटे बैनर को छोड़ कुछ नहीं किया गया. बीते वर्ष 2014-15 में स्वच्छता नीति 2008 के तहत देश के 476 शहरों का सर्वे किया गया था. इसमें पटना का 429वां स्थान था, जबकि लखनऊ 220वें व रांची 223वें स्थान पर थी. इसके बाद स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर के 73 शहरों का सर्वे किया गया. इसमें पटना को टॉप चार गंदे शहरों में रखा गया. पटना का स्थान 69वां स्थान रहा. यह सर्वेक्षण देश के कुल 500 शहरों में होना है. इस सर्वेक्षण में कुल 2000 अंकों में से 900 अंक डक्यूमेंटेशन के, 600 अंक नागरिकों की भागीदारी और 500 अंक सर्वे एजेंसी के द्वारा दिये जायेंगे.
पहले एक बार भी ठीक से सफाई नहीं होती थी. प्रकाश पर्व में चार बार झाडू लगना शुरू हो गया. अब दो बार लग रहा है. निगम के अधिकारी लगातार थोड़ा ध्यान देते रहें, तो सफाई ठीक रहेगी.
– रामाकांत, शंकर लस्सी दुकान
सबसे अधिक गंदा ठेला पर खाने-पीने की दुकान लगानेवाले करते हैं. इन लोगों ने डस्टबीन भी नहीं रखा है. सड़क पर कचरा फेंका जाता है. नगर निगम को ऐसे लोगों पर जुर्माना लगाना चाहिए.
– अजीत कुमार, सुधा दुकानदार
कचरा फेंकने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान शुरू किया जा रहा है. सड़क पर कचरा फेंकनेवालों पर जुर्माना लगाया जायेगा. अभी दिन में दो बार सफाई के निर्देश दिये गये हैं. कचरा उठाव और सफाईकर्मी की संख्या की जांच होगी.
– अभिषेक सिंह, नगर आयुक्त
स्टेशन पर जाम अतिक्रमण की वजह से लगता है. थाना को कई बार अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए कहा गया है. ऑटो और बस चालकों को सड़क पर गाड़ी खड़ा कर यात्री चढ़ाने और उतारने को लेकर कार्रवाई की जायेगी, बैरिकेडिंग भी कम करने को कहा गया है.
– पीके दास, ट्रैफिक एसपी